Chhattisgarh Legislative Assembly : रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन सदन में धान खरीदी और कस्टम मिलिंग का मुद्दा उठाया गया। जेसीसीजे (JCCJ) विधायक धर्मजीत सिंह ने तीन सालों के धान खरीदी और कस्टम मिलिंग को लेकर सवाल खड़े किये। उन्होंने सदन में साल 2018 -19, 2019-20 और 2020-21 में कितनी मात्रा में धान खरीदी हुई? कितनी मात्रा में धान कस्टम मीनिंग के लिए राइस मिलर्स को दिया गया? चावल जमा करने की स्थिति में राइस मिल उस पर क्या कार्रवाई की गई? सवाल उठाए।
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Chhattisgarh Legislative Assembly : विधायक धर्मजीत सिंह के सवालों के जवाब में खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने बताया कि साल 2018 -19 में 80.38 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी और इसमे से 79.73 लाख मीट्रिक टन की कस्टम मिलिंग हुई। इसके साथ ही साल 2019-20 में 83.94 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की गई। जब्कि 81.49 लाख मीट्रिक टन की कस्टम मिलिंग। इसके अलावा वर्ष 2020-21 में 92.02 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की गई और 80.35 लाख मीट्रिक टन कस्टम मिलिंग हुई।
इसके बाद आज नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सदन में धान खरीदी में किए गए भुगतान का मामला उठाया। इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जोरदार नोंकझोंक हुई। जिसके बाद मुद्दे पर मंत्री के जवाब से असंतुष्ट होते हुए नेता प्रतिपक्ष ने सदन से वॉक आउट किया। दरअसल, नेता प्रतिपक्ष के सवालों पर मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि समर्थन मूल्य पर 51563.47 करोड़ भुगतान किया गया है। इसपर धरमलाल कौशिक ने पूछा कि कितना केंद्र सरकार ने दिया और कितना राज्य सरकार ने दिया। इसका जवाब दते हुए मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि केन्द्र ने 51563.47 और राज्य ने 11148.45 भुगतान किया।
Chhattisgarh Legislative Assembly : सदन में धान खरीदी और मिलिंग के मामलों को लेकर काफी बहस-बाजी हुई। दोनों पक्षों में लगातार बयानबाजी चल रही थी। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के सवालों पर मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि व्यवस्था पिछली सरकार में भी थी। इस सरकार में भी है,केंद्र सरकार कोई पैसा धान खरीदी में नहीं देती। धान खरीदी के बाद मिलिंग करने के बाद जो चावल जमा होती है। मिलिंग चार्ज और ट्रांसपोर्टिंग जो भी होता है। उसमें उसके एवज में राज्य सरकार को केंद्र सरकार पैसा देती है, धान खरीदी का कोई पैसा केंद्र सरकार नहीं देती। जो सेंट्रल पूल में जाएगा उसका पैसा केंद्र देती है। जो स्टेट पुल है जो नान में आता है उसका पैसा राज्य सरकार देती।