कवर्धा में फिर भिड़े कांग्रेसी, जिलाध्यक्ष के सामने ही मारपीट पर हुए उतारू, उभरकर सामने आ रहे नेताओं के बीच मतभेद

कवर्धा में फिर भिड़े कांग्रेसी, जिलाध्यक्ष के सामने ही मारपीट पर हुए उतारू, उभरकर सामने आ रहे नेताओं के बीच मतभेद

Deep differences within Congress leaders in the state

Modified Date: June 18, 2023 / 10:02 pm IST
Published Date: June 18, 2023 9:55 pm IST

रायपुर: प्रदेश में सत्ताशीन कांग्रेस के संगठन के भीतर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। इसकी बानगी एक बार फिर से कवर्धा जिले में देखने को मिली है,जहां जिलाध्यक्ष के सामने ही कांग्रेसियों के बीच जूतम पैजार कि स्थिति बन गई। हालांकि दूसरे नेताओं ने उनके झगड़े पर बीच बचाव किया और दोनों को शांत कराया, लेकिन सवाल उठ रहे कि क्या वजह है सत्ता में होने के बाद भी कांग्रेसियों के बीच हर दिन इस तरह की स्थिति निर्मित हो रही है? (Deep differences within Congress leaders in the state) देखा जा रहा कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे वैसे-वैसे संगठन के पदाधिकारी और नेता आपस में ही भिड़ रहे, आपस में मारपीट कर रहे, जिससे पार्टी के भीतर हावी गुटबाजी और संगठन के पदाधिकारियों के बीच मतभेद खुलकर सामने आ रहे।

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दरअसल रविवार को घर-घर चलो अभियान को लेकर कवर्धा जिले के पार्टी कार्यालय में डीसीसी कवर्धा के प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया था। संगठन के नेता बता रहे थे कि इस अभियान के तहत वे प्रदेश सरकार की उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच जाएंगे। वे प्रदेश में हुए जनहितैषी और कल्याणकारी कार्यों के दम पर आम मतदाताओं से फिर से कांग्रेस को वोट देने कि अपील करेंगे। लेकिन यह प्रेसवार्ता पूरा हो पाता इससे पहले ही कांफ्रेंस में मौजूद कांग्रेस सेवादल के प्रदेश सचिव जयप्रकाश बारले और पूर्व महामंत्री और अल्पसंख्यक नेता अजहर खान किसी बात को लेकर आपस में भिड़ गए।

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गुस्से से लाल-पीले दोनों नेताओं को इस बात का भी ख्याल नहीं रहा कि मौके पर संगठन के बड़े नेता और मीडियाकर्मी मौजूद है, वे दोनों एक-दूसरे के साथ मारपीट करने पर उतारू हो गए। मामला बिगड़ता देख जिलाध्यक्ष नीलू चन्द्रवंशी आगे आई और दोनों नेताओं को एक-दूसरे से दूर कर मामले को शांत कराया। बावजूद मौके पर गहमागहमी कि स्थिति बानी रही। बता दे कि दो महीने पहले भी एक पीसी के दौरान पंडरिया विधायक और क्रेडा सदस्य के बीच कुर्सी को लेकर जमकर बहसबाजी हुई थी। इस तरह देखा जाएं तो सवाल उठता है कि जब संगठन के भीतर ही नेताओं में इतने गहरे मतभेद हो तो वह जनता के बीच किस तरह खुद को एकजुट दिखाकर वोट कि अपील कर पाएंगे? जाहिर है इस तरह के गुटबाजी और मतभेद का असर सीध तौर पर संगठन और चुनावी कार्यक्रमों के साथ नतीजों पर भी पड़ सकता है, जो कांग्रेस के लिए अच्छे संकेत नहीं है।

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बिलासपुर में भी भिड़े थे कांग्रेसी

गौरतलब है कि बिलासपुर जिले में भी पार्टी के भीतर नेताओं के बीच पुराने मतभेद रहे है जो पिछले दिनों सतह पर आ गया। कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस के यूथ कांग्रेस कार्यक्रम के दौरान शक्ति प्रदर्शन को लेकर मारपीट की घटना सामने आई थी। उसी घटना को लेकर मस्तूरी यूथ कांग्रेस के दोनों पदाधिकारियों को जांच के लिए बुलाया गया था। (Deep differences within Congress leaders in the state) कांग्रेस भवन से निकलने के बाद दोनों पक्ष श्रीकांत वर्मा मार्ग पर एक दूसरे से भिड़ गए। मारपीट कि इस घटना के बाद यूथ कांग्रेस उपाध्यक्ष को गंभीर चोट आने का हवाला देते हुए समर्थको ने सिविल लाइन थाने में हंगामा करते रहे।

एमपी में भी यही हाल

छत्तीसगढ़ के इतर अगर बात पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश की करें तो यहाँ भी हालत कुछ जुदा नहीं। यहां खंडवा के कांग्रेस दफ्तर गांधी भवन में भी कांग्रेस नेताओं में विवाद देखा गया। दरअसल कांग्रेस प्रभारी संजय दत्त संगठन की बैठक लेने वाले थे। लेकिन इस दौरान ही कांग्रेस के दो कार्यकर्ताओं के बीच बहस हो गई। देखते ही देखते दोनो में हाथापाई शुरू हो गई। बात कुर्सियां उठाने तक बढ़ गई, तभी मौके पर मौजूद वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने मोर्चा संभाला और दोनो कार्यकर्ताओं को समझाइश देकर मामला शांत करवाया। इधर, सोशल मीडिया पर गांधी भवन का यह वीडियो जमकर सुर्खियां बटोर रहा है। हालांकि इस पूरे घटनाक्रम पर कांग्रेस के नेता कुछ भी कहने को तैयार नहीं है, लेकिन जो सच्चाई है वो इस वीडियो में स्पष्ट दिखाई दे रही है।

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