IBC24 JanKarwan in Korba: काले हीरे की धरती पर इस बार किसकी चमकेगी किस्मत? क्या है ऊर्जाधानी कोरबा की असल समस्या, जानें जनकारवां में..

Modified Date: July 19, 2023 / 12:01 am IST
Published Date: July 18, 2023 11:53 pm IST

IBC24 JanKarwan in Korba: छत्तीसगढ़ के साथ ही देश के अलग-अलग राज्यों को अपनी बिजली से रौशन करने वाला कोरबा अब भी विकास की रौशनी से महरूम हैं। ऐसा हम नहीं बल्कि यहां के स्थानीय मतदाताओं और विपक्षी नेताओं का दावा हैं। कोयला, पानी और वन सम्पदा से भरपूर कोरबा क्या वास्तव में बुनियादी सुविधाओं के अभाव से जूझ रहा हैं या फिर यह सिर्फ सियासी आरोप है? कोरबा ने अब तक विकास का कितना लंबा सफर तय किया? प्रदूषण के साथ अंधाधुन विकास के थपेड़ो से जूझते कोरबा को आखिर इसके बदले क्या हासिल हुआ? इन्ही तमाम बातों पर चर्चा करने के लिए आईबीसी24 का लोकप्रिय जनकारवां आज पहुंचा है उर्जाधानी। (IBC24 JanKarwan in Korba) आज हम उर्जाधानी कोरबा के लोगों के साथ यहां के सभी दलों के नेताओ, जनप्रतिनिधियों से सीधी चर्चा कर जानने की कोशिश करेंगे कोरबा की असल समस्याओं को, कोरबा की जरूरतों को और कोरबा के हिस्से आये अब तक के विकास को। इसके साथ ही हम जानेंगे कोरबा की भौगोलिक, आर्थिक और राजनीतिक सफर के बारें में।

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विद्युत् उत्पादन की वजह से छत्तीसगढ़ के कोरबा को ऊर्जाधानी कहा जाता है। छत्तीसगढ़ प्रदेश में सबसे पहला एनटीपीसी का पावर प्लांट कोरबा में लगा था। राज्य का सरकारी विद्युत संयंत्र भी कोरबा में स्थित है।

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एशिया के सबसे बड़ी खुली कोयला खदान गेवरा माइंस भी यहीं है, जो साउथ ईस्टर्न कोल फिल्ड्स (एसईसीएल) द्वारा संचालित है। भारत का सबसे बड़ा एल्युमिनियम संयंत्र भारत एल्युमिनियम कंपनी (बालको) भी यहीं स्थित है। इतनी महत्वपूर्ण कंपनियों का केंद्र होने के कारण कोरबा का अच्छा विकास भी हुआ है और देश के विभिन्न हिस्सों से आए लोगों को यहां रोजगार भी मिला है। विभिन्न धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लोगों ने यहां की संस्कृति को बहुत समृद्ध भी बनाया है। यह जिला वनोपज से सम्पन्न है। आदिवासी बहुल कोरबा जिले में संरक्षित आदिवासी जनजाति कोरवा (पहाडी कोरवा) प्रमुख रूप से निवास करती है।

स्वतन्त्रता से पूर्व इस क्षेत्र में पांच रियासतों की जानकारी मिलती है। इनमे कोरबा, छुरी, उपरोड़ा, मातिन और लाफा जमींदारियां थी। अब एकमात्र उपरोड़ा जमींदारी का लिखित इतिहास शेष है। 25 मई, 1 998 को कोरबा को जिले का दर्जा दिया गया। (IBC24 JanKarwan in Korba) इससे पहले कोरबा बिलासपुर जिले का हिस्सा था। यह अभी बिलासपुर संभाग के अंतर्गत आता है। बात करें कोरबा के आर्थिक स्थिति की तो यह छत्तीसगढ़ प्रदेश के सबसे धनाढ्य जिलों में गिना जाता है, जिले का 92 फ़ीसदी हिस्सा वन्यक्षेत्र है जबकि शेष आठ फ़ीसदी में ही शहरीकरण हो सका है। इससे समझा जा सकता है कि कोरबा में विकास की संभावनाएं कितनी प्रबल है। कोरबा के लिए हसदेव और अहिरन नदी जीवनदायिनी है। हसदेव नदी के जल से ही यहां विद्युत् उत्पादन सम्भव हो सका। इसके अतिरिक्त यहां से बहने वाले नहरों का उपयोग पड़ोसी जिले जांजगीर-चाम्पा में सिंचाई कार्य के लिए किया जाता है।

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कोरबा राजनीतिक रूप से कांग्रेस का गढ़ रहा है। यहां कोरबा, कटघोरा। रामपुर और पाली तानाखार के तौर पर चार विधानसभा क्षेत्र है जबकि कोरबा लोकसभा क्षेत्र मनेन्द्रगढ़ से लेकर जीपीएम जिले तक विस्तारित है। कांग्रेस के जयसिंह अग्रवाल कोरबा विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते है। वे छग सरकार में राजस्व, आपदा प्रबंधन मंत्री भी है। इसी तरह डॉ रमन सिंह के कार्यकाल में छग के पूर्व गृहमंत्री रहे ननकीराम कंवर रामपुर विधानसभा, छग के गांधी कहे जानें वाले वयोवृद्ध नेता बोधराम कंवर के सुपुत्र पुरषोत्तम कंवर कटघोरा और मोहितराम केरकेट्टा कांग्रेस से पाली-तानाखार के विधायक है। छग विधानसभा के अध्यक्ष डॉ चरण दस महंत की धर्मपत्नी ज्योत्सना महंत कोरबा लोकसभा क्षेत्र की सांसद है। इससे पहले यह संसदीय क्षेत्र भाजपा के कब्जे में था। भाजपा के दिवंगत नेता स्व. बंशीलाल महतो कोरबा लोकसभा के प्रथम संसद रहे।

कोरबा हर दृष्टि से समृद्ध है। कोरबा जितना आधुनिक है उतना ही ऐतिहासिक महत्व वाला स्थान भी। लेकिन आज के दौर में कोरबा अनेक तरह की समस्याओं से जूझ रहा है। इनमे पहल भारी प्रदुषण का है। कल कारखानो और औधोगिकीकरण की वजह से यह देश के सबसे प्रदूषित शहरो में भी स्थान बना चुका है। कल कारखानों से निकलने वाले जहरीले रसायन की वजह से हसदेव नदी का पानी भी बेहद प्रदूषित हो चुका है। (IBC24 JanKarwan in Korba) उद्योगों के विस्तार के लिए यहां के वन्य क्षेत्र सिमट रहे है जिसकी वजह से कोरबा के शहरी क्षेत्र में लगातार वन्यप्राणी घुसपैठ कर रहे है। हाथियों के हमले हो या भालुओ की वजह से यहाँ अक्सर मानव-वन्यजीवों का द्वन्द नजर आता है। बहरहाल इन सभी समस्याओं के साथ कोरबा की अन्य समस्याओ और मुद्दों पर आधारीय है आज का हमारा जनकारवां देखे..

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लेखक के बारे में

A journey of 10 years of extraordinary journalism.. a struggling experience, opportunity to work with big names like Dainik Bhaskar and Navbharat, priority given to public concerns, currently with IBC24 Raipur for three years, future journey unknown