Lormi teacher resigns: ‘क्या विद्या के मंदिर स्कूल चिड़ियाघर है?’.. सरकारी टीचर के इस्तीफे पर उठ रहे सवाल, लिखी हैरान करने वाली वजह.. आप भी पढ़ें
ज्ञानसिंह ध्रुव का इस्तीफा सिर्फ एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं, बल्कि एक व्यापक बहस का विषय बन गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि शिक्षा प्रणाली और शिक्षक समुदाय के प्रति दृष्टिकोण में सुधार की आवश्यकता है।
Lormi government teacher viral resignation letter | Image- IBC24 News File
Lormi government teacher viral resignation letter : मुंगेली: शिक्षक को समाज में गुरु का दर्जा दिया गया है। एक ऐसा मार्गदर्शक, जो बच्चों को ज्ञान देकर उनके भविष्य को उज्ज्वल बनाता है। लेकिन छत्तीसगढ़ के लोरमी क्षेत्र में एक शिक्षक ने अपने इस्तीफे के माध्यम से ऐसा बयान दिया है जिसने शिक्षा जगत में हलचल मचा दी है। उन्होंने शिक्षा के मंदिर को “चिड़ियाघर” और शिक्षक के पेशे को “नौकर मानसिकता” से जोड़कर चौंकाने वाले सवाल खड़े किए हैं।
20 वर्षों की सेवा के बाद इस्तीफा
यह मामला परसवारा के शासकीय प्राथमिक शाला के प्रधान पाठक ज्ञानसिंह ध्रुव से जुड़ा है। ज्ञानसिंह पिछले 20 वर्षों से सरकारी शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे। 2 जनवरी 2025 को उन्होंने लोरमी विकासखंड शिक्षा अधिकारी को अपना इस्तीफा सौंपा, जिसमें उन्होंने नौकरी छोड़ने के कारणों को विस्तार से लिखा। उनका पत्र न केवल हैरान करने वाला है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था और सरकारी नौकरी के प्रति उनके दृष्टिकोण को भी उजागर करता है।
क्या लिखा है इस्तीफे में?
ज्ञानसिंह ने अपने इस्तीफे में लिखा: “मैं, ज्ञानसिंह ध्रुव, प्रधान पाठक के पद पर कार्यरत हूं। वर्ष 2005 से शासकीय शिक्षक के रूप में अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन कर रहा हूं। हालांकि 20 वर्षों की सेवा के बाद भी मेरे और मेरे परिवार की स्थिति में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है। शासकीय नौकरी में हमें ‘मालिक’ नहीं, बल्कि ‘नौकर’ मानसिकता के साथ जीना पड़ता है। अब मैं इस मानसिकता के साथ जीवन नहीं जी सकता। शिक्षा के मंदिर का वातावरण मेरे लिए चिड़ियाघर जैसा बन गया है, जहां रहकर मैं अपने और अपने परिवार का जीवन नहीं बदल सकता। इसलिए मैं अपनी स्वेच्छा से त्याग पत्र दे रहा हूं। कृपया इसे स्वीकृत करें।”
अधिकारियों की प्रतिक्रिया
Lormi government teacher viral resignation letter : ब्लॉक शिक्षा अधिकारी डी.एस. राजपूत ने पुष्टि की कि उन्हें ज्ञानसिंह का इस्तीफा प्राप्त हुआ है। उनके अनुसार, इस्तीफे में इस्तेमाल किए गए शब्द अस्वीकार्य हैं। जिला शिक्षा अधिकारी ने भी इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस्तीफे के पीछे की भाषा और कारणों ने न केवल शिक्षा विभाग को, बल्कि पूरे शिक्षक समुदाय को आहत किया है।
मंजूरी पर अनिश्चितता
फिलहाल, ज्ञानसिंह का इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया है। अधिकारी इस पर विचार कर रहे हैं और प्रक्रिया जारी है। हालांकि, इस घटना ने सरकारी शिक्षकों के बीच असंतोष और उनके कार्यक्षेत्र की चुनौतियों को उजागर कर दिया है।
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प्रश्न जो खड़े हुए
इस घटना ने कई सवाल खड़े किए हैं:
- क्या सरकारी नौकरी और शिक्षक का पेशा वाकई “नौकर मानसिकता” तक सीमित है?
- क्या शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है ताकि शिक्षकों को उनके योगदान का सही सम्मान मिल सके?
- क्या यह घटना अन्य शिक्षकों में भी असंतोष को बढ़ावा दे सकती है?
Lormi government teacher viral resignation letter : ज्ञानसिंह ध्रुव का इस्तीफा सिर्फ एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं, बल्कि एक व्यापक बहस का विषय बन गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि शिक्षा प्रणाली और शिक्षक समुदाय के प्रति दृष्टिकोण में सुधार की आवश्यकता है।

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