'Peace Talks' with Naxals, Direct Message of CM, Why Opposition doubts?

नक्सलियों से ‘शांति वार्ता’… सीएम का सीधा संदेश….विपक्ष को क्यों संदेह?

सीएम का सीधा संदेश....विपक्ष को क्यों संदेह? 'Peace Talks' with Naxals, Direct Message of CM, Why Opposition doubts?

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:48 PM IST, Published Date : May 19, 2022/10:59 pm IST

रायपुर: ‘Peace Talks’ with Naxals प्रदेश के मुख्यमंत्री ने एक बार फिर ये बात दोहराई है कि अगर नक्सली संविधान को मानते हैं…मैं चर्चा के लिए तैयार हूं। CM भूपेश बघेल बस्तर दौरे पर हैं, जहां उन्होंने नक्सलवाद के मसले पर ये बयान दिया। जाहिर है इसपर विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया मिलनी ही थी। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने नक्सलियों के सामने घुटने टेक दिए हैं। जबकि पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार की आदिवासियों से दूरी बढ़ गई है। जितना भी इंफ्रास्ट्रक्चर आज बस्तर में है वो सब भाजपा शासनकाल का है। कुल मिलाकर विपक्ष का सीधा आरोप है कि कांग्रेस सरकार नक्सल मुद्दे पर कोई स्पष्ट बात नहीं करती। कोई ठोस नीति नहीं है बल्कि भाजपा ने कांग्रेस की नीयत पर ही सवाल उठाए हैं।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp  ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*

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‘Peace Talks’ with Naxals बस्तर में नक्सल समस्या के समाधान को लेकर मौजूदा सरकार ने नक्सल पीड़ितों प्रभावितो और आदिवासी समाज से बातचीत करने की बात कही थी। इसको लेकर सरकार ने बस्तर में सुरक्षा विकास और विश्वास की रणनीति के साथ आक्रामक तरीके से ऑपरेशन चलाने के साथ-साथ विकास की गतिविधियों को भी तेज करने की प्रक्रिया जारी रखी। शुरुआत में यह बात सामने आई जब नक्सलियों से वार्ता को लेकर सुगबुगाहट तेज हुई। नक्सलवाद के समाधान पर वार्ता हमेशा से ही एक महत्वपूर्ण विकल्प की तरह देखा जाता रहा है, फिर एक बार नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी ने छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्यमंत्री के नाम वार्ता को लेकर अनुकूल माहौल बनाने के लिए पत्र लिखा।

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इस पत्र में परंपरागत तरीके से नक्सलियों की तरफ से वही मांगे थी जिन मांगों को लेकर कभी भी सहमति बनती नहीं है। जमीन पर यह दिखाई दे रहा है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में अब उनकी पकड़ लगातार बढ़ रहे। पुलिस कैंप और प्रशासन की सक्रियता से कमजोर हो रही है। बड़ी संख्या में लोग अब भी माओवादियों के इशारे पर काम कर रहे हैं। लेकिन पहले की तरह नक्सलियों का बड़ा कैडर तैयार हो ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है। कम से कम पिछले कुछ सालों में नक्सल घटनाओं में आ रही कमी इसी तरफ इशारा करती है पर बातचीत के जरिए नक्सली राजनीतिक साध रहे हैं।

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इस पर अभी संशय बना हुआ है बस्तर दौरे के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस पर सीधी और सपाट तौर पर जवाब देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि नक्सल अगर संविधान पर विश्वास करते हैं और लोकतंत्र में अपना भरोसा रखते हैं तो वह कहीं भी कभी भी किसी भी स्थान पर उनसे बातचीत करने के लिए तैयार हैं। हालांकि माओवादी विचारधारा ऐसा कभी करने को नहीं कहेगी फिर एक बार वार्ता का मामला उसी मोड़ पर आकर पड़ता दिखाई दे रहा है, जहां दोनों अपनी विचारधाराओं से आगे बात करने को तैयार नहीं है।

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ऐसे में नक्सल प्रभावित इलाकों में फिलहाल शांति स्थापित होने की उम्मीदें दिखाई नहीं दे रही। हालांकि यह भी महत्वपूर्ण है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के बस्तर दौरे के दौरान माओवादियों ने शांति पूर्ण माहौल बनाया हुआ है। आमतौर पर प्रदेश के मुखिया के दौरे के दौरान विरोध हमले हत्याएं आम हुआ करती थी जो इस बार दिखाई नहीं दे रहा है बेशक इसका श्रय पुलिस ले सकती है।

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