धरी की धरी रह गई भाजपा की सारी रणनीति, राजनीतिक समीकरण और चुनावी मैनेजमेंट भी फेल, कांग्रेस ने खेला ऐसा खेल

धरी की धरी रह गई भाजपा की सारी रणनीति, राजनीतिक समीकरण और चुनावी मैनेजमेंट भी फेल, कांग्रेस ने खेला ऐसा खेल

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  • Publish Date - January 7, 2020 / 12:21 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:11 PM IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ के नगरीय निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का सारा जोड़-तोड़, राजनीतिक समीकरण और चुनावी मैनेजमेंट फेल हो गया। छत्तीसगढ़ के 10 नगर निगमों में से भारतीय जनता पार्टी एक में भी अपना महापौर और सभपति नहीं बना पाई, जबकि राजनांदगांव और कोरबा में कांग्रेस की तुलना में उसके अधिक पार्षद थे। अपने सालों पुराने गढ़ धमतरी और दुर्ग में भी वो फेल रही ।

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भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ के नगरीय निकाय चुनाव में अब तक का सबसे बड़ी हार झेल रही है। जबकि अगर परिणाम की बात करें तो कुछ एक नगर निगम छोड़कर सभी नगर निगम में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के पार्षदों के बीच मामूली अंतर ही है और अगर निर्दलीयों की बात करें तो ज्यादातर भारतीय जनता पार्टी के बागी ही चुनाव जीते हैं ऐसे में अगर भारतीय जनता पार्टी थोड़ा दम लगा दी तो शायद बहुत से नगर निगम में उनका महापौर सभापति होता । लेकिन अब तक नगर निगम में भारतीय जनता पार्टी का खाता नहीं खुला है ।

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भारतीय जनता पार्टी ने रायपुर सहित सभी नगर निगमों में चुनावी मैनेजमेंट के लिए जाने जाने वाले नेताओं को पर्यवेक्षक बनाया था लेकिन इन रणनीतिकारों की भी सारी रणनीति फेल हो गई । भाजपा के ये दिग्गज कांग्रेस के पार्षदों को तोड़ना तो दूर अपने समर्थक निर्दलीय पार्षदों तक को नहीं तोड़ पाए ।

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हम आपको बता दें कि भाजपा ने बृजमोहन अग्रवाल को रायपुर ,प्रेमप्रकाश पांण्डेय को बिलासपुर, संतोष बाफना को दुर्ग, अजय चंद्राकर को धमतरी का पर्यवेक्षक बनाया था लेकिन कहीं भी इनका जादू नहीं चला । नगर निगम के अलावा नगर पालिका में भी भारतीय जनता पार्टी कोई कमाल नहीं दिखा पाई । तिल्दा नगर पालिका में 13 वार्ड में भाजपा और छह में कांग्रेसी जीती थी । यहां पूर्ण बहुमत के बाद भी कांग्रेस के उम्मीदवार सत्ता पर काबिज हो गए ।

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इसी तरह बेमेतरा नगरपालिका में 21 में से 12 में भाजपा और 8 में कांग्रेस के पार्षद जीत के आए थे यहां पर कांग्रेसी भाजपा के पार्षदों को तोड़ने में कामयाब रही । जांजगीर में भी कांग्रेस ने भाजपा के पार्षदों में क्रास वोटिंग कराकर अध्यक्ष बना लिया । इस पर भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस ने सत्ता का भय दिखा कर भाजपा और निर्दलीय पार्षदों को तोड़ लिया है ।

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वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि निर्दलीयों के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी के पार्षदों ने भी समझ लिया है कि कांग्रेस के साथ रहकर ही वे अपने वार्ड का विकास कर सकते हैं । इसलिए वे उन्होंने कांग्रेस को समर्थन दिया है । छत्तीसगढ़ की जनता ने नगरी निकाय चुनाव में कांग्रेस को जिता कर यह साबित कर दिया है कि वह सरकार के कामकाज से खुश है ।

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वहीं भारतीय जनता पार्टी के भय और आतंक के बल पर पार्षदों को तोड़ने के आरोप पर खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि भाजपा का आरोप खिसयानी बिल्ली के समान है । अब छत्तीसगढ़ में नगर निकाय चुनाव और सभी निगमों में भाजपा को मिली शिकस्त को देख कर ये कहा जा सकता है कि प्रदेश में सत्ता जाते ही भाजपा का चुनावी मैनेजमेंट भी फेल हो गया है ।

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