Congress Adhiveshan 2023 in Raipur

Congress Adhiveshan 2023 in Raipur: लाहौर अधिवेशन से कम नहीं रायपुर का राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन, याद आती है 31 दिसंबर 1929 की मध्यरात्रि, उस रात को क्या हुआ था ऐसा..जानें

Congress Adhiveshan 2023 in Raipur : रायपुर अधिवेशन का महत्व 1929 के दिसंबर मे हुए कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन से कम नहीं है।

Edited By :   Modified Date:  February 24, 2023 / 05:29 PM IST, Published Date : February 24, 2023/5:29 pm IST

Congress Adhiveshan 2023 in Raipur : रायपुर। कांग्रेस का महाधिवेशन शुक्रवार से छत्तीसगढ़ के रायपुर में शुरू हो चुका है। जिसमें राजनीति, अर्थव्यवस्था समेत कई विषयों पर प्रस्ताव पारित करने और कांग्रेस कार्य समिति के गठन के साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव में व्यापक विपक्षी एकजुटता के संदर्भ में पार्टी अपना रुख स्पष्ट करेगी। पार्टी का यह 85वां महाधिवेशन 24 फरवरी से 26 फरवरी तक चलेगा। कांग्रेस का यह महाधिवेशन ऐसे समय हो रहा है कि जब आगामी लोकसभा चुनाव में करीब एक वर्ष का समय बचा है तथा विपक्षी एकजुटता के संदर्भ में लगातार चर्चा हो रही है। इतना ही नहीं इस साल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने वाले है जिनमें से एक छत्तीसगढ़ राज्य भी शामिल है। कांग्रेस इस अधिवेशन में इन राज्यों में होने वाले विस चुनाव की तैयारियों पर भी वार्तालाप करेगी।

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राजधानी पहुंचे सोनिया और राहुल गांधी

Congress Adhiveshan 2023 in Raipur : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कांग्रेस का 85वां अधिवेशन आज से शुरू हो चुका है। इस अधिवेशन में शामिल होने के लिए कांग्रेस के दिग्गज सोनिया और राहुल गांधी राजधानी पहुँच चुके हैं। सीएम भूपेश बघेल के नेतृत्व में एयरपोर्ट पर कांग्रेस के दोनों दिग्गज नेताओं का भव्य स्वागत किया गया।

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रायपुर अधिवेशन कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन से कम नहीं

Congress Adhiveshan 2023 in Raipur : अगर देखा जाए तो 24-26 फ़रवरी के बीच हो रहे कांग्रेस के रायपुर अधिवेशन का महत्व 1929 के दिसंबर मे हुए कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन से कम नहीं है। इस अधिवेशन में पं.जवाहरलाल नेहरू अध्यक्ष चुने गये थे और 31 दिसंबर की मध्यरात्रि को रावी नदी के तट पर पहली बार ‘पूर्ण स्वाधीनता’ का नारा बुलंद हुआ हुआ था। इस अधिवेशन से पैदा हुई ऊर्जा ने ही 17 साल बाद आज़ादी का सूर्योदय संभव किया था। ‘रायपुर अधिवेशन’ के सामने उसी आज़ादी को बचाने और संवारने की चुनौती है।

 

कांग्रेस इस समय जैसी वैचारिक स्पष्टता का निर्वाह कर रही है, उसे देखते हुए लगता है कि वह इस चुनौती का सामना कर सकती है। इस समय मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे अनुभवी नेता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं जो सीधे स्वतंत्रता आंदोलन से उपजी पीढ़ी के हाथों दीक्षित हुए हैं। वे उस सपने को पूरा करने के लिए कृतसंकल्प हैं जो हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा था। यही नहीं, राहुल गांधी जैसे करोड़ों दिलों में आशा जगाने वाले संवेदनशील और प्रखर जननेता भी पार्टी के पास हैं जिन्होंने भारतीय राजनीति के आकाश में पैदा हुए एक विराट नैतिक शून्य को अपनी सत्यनिष्ठा से भरा है।

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रायपुर अधिवेशन के सामने देश को आश्वस्त करने की बड़ी ज़िम्मेदारी है कि आज़ादी को बचाने के लिए वैसी ही लड़ाई लड़ी जाएगी जैसे कि आज़ादी को पाने के लिए लड़ी गयी थी। आज़ादी और संविधान बचाने के लिए अब कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा।

 

 

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