‘चन्दन है छत्तीसगढ़ की माटी…बच्चा-बच्चा राम’ ब्रम्हांड तक पहुंची भूपेश सरकार के ‘राष्ट्रीय रामायण महोत्सव’ की गूंज

National Ramayana Festival for the first time in Chhattisgarh सीएम भूपेश ने एक ओर जहां सीएम हाउस में हरेली पर विशेष आयोजन किया|

‘चन्दन है छत्तीसगढ़ की माटी…बच्चा-बच्चा राम’ ब्रम्हांड तक पहुंची भूपेश सरकार के ‘राष्ट्रीय रामायण महोत्सव’ की गूंज

National Ramayana Festival in Chhattisgarh

Modified Date: June 16, 2023 / 12:16 pm IST
Published Date: June 15, 2023 8:02 pm IST

National Ramayana Festival in Chhattisgarh: रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जब से छत्तीसगढ़ की सत्ता संभाली है, तब से वे प्रदेश की संस्कृति, तीज-त्यौहार और परंपराओं को सहेजने और संजोने में लगे हुए हैं। सीएम भूपेश ने एक ओर जहां हरेली, तीजा, पोरा सहित अन्य त्योहारों को प्राथमिकता देकर उनकी लोकप्रियता देश के कोने-कोने तक पहुंचा रहे हैं तो दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में खेले जाने वाले गिल्ली-डंडा, बांटी, भौरा, कबड्डी जैसे परंपरागत खेलों को बढ़ावा देने में लगे हैं। इन खेलों को आने वाली पीढ़ी भूल न जाए इसलिए छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का आयोजन भी किया। ऐस में माटी पुत्र भूपेश बघेल ये कैसे भूल सकते ​थे कि ये छत्तीसगढ़ की माटी प्रभु श्री राम का ननिहाल है। सीएम बघेल ने जहां दुनिया के इकलौते कौशल्या मंदिर को संवारने और राम वन गमन पथ को अस्तित्व में लाने का काम किया, तो वहीं राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन कर दुनिया को ये बता दिया कि हम यूं ही नहीं कहते ‘भांचा राम’!

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छत्तीसगढ़ का बच्चा-बच्चा मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम को भांचा यानि भांजा मानता है, क्योंकि छत्तीसगढ़ की माता कौशल्या का मायका है। इसी वजह से छत्तीसगढ़ में आज भी भांचा को प्रभु श्री राम का दर्जा दिया जाता है और उनके पैर पड़ते हैं। छत्तीसगढ़ भगवान का ननिहाल तो है ही, इसके अलावा भगवान राम ने अपने वनवास काल के कई अहम वर्ष यहां गुजारे हैं। मान्यता है कि भगवान राम ने 14 साल के वनवास में 10 साल छ्त्तीसगढ़ में गुजारे थे। भगवान राम सरगुजा जिले के सीतामढ़ी हरचौका से छत्तीसगढ़ में प्रवेश किए थे और विभिन्न हिस्सों से गुजरते हुए सुकमा तक गए। इस दौरान श्री राम ने शिवरीनारायण में माता शबरी के जुठे बेर खाए और नवधा भक्ति का भी ज्ञान दिया।

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छत्तीसगढ़ में पहली बार राष्ट्रीय रामायण महोत्सव

छत्तीसगढ़ की संस्कृति में राम का विशेष महत्व है। गांव-गांव में रामधुनी और रामायण जैसे कार्यक्रम स्थानीय स्तर पर होते रहते हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ में पहली बार भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार ने राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का महोत्सव का आयोजन किया। इसके लिए चुना गया केलो मइया की गोद में बसे रायगढ़ जिले को। भगवान श्री राम ने अपने वनवास के 10 साल छत्तीसगढ़ में गुजारे हैं। भगवान श्री राम ने वनवास के दौरान कितनी कठिनाई झेली लेकिन अपनी मर्यादा नहीं खोई। भगवान राम जब वन गए तो मर्यादा पुरूषोत्तम बन गए। उनके इस चरित्र निर्माण में छत्तीसगढ़ का भी अंश है। इसी वजह से रायगढ़ के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में तीन दिनों तक ‘राष्ट्रीय रामायण महोत्सव’ आयोजित किया गया।

जानें क्यों रखा गया रामायण के अरण्य कांड की थीम?

National Ramayana Festival in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का केंद्र भगवान राम के वन्यजीवन को लेकर था। अरण्य कांड तुलसीदास कृत रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण का ऐसा हिस्सा है, जिसमें भगवान श्रीराम के वनवास के दिनों का वृतांत है। इसमें माता सीता और भ्राता लक्ष्मण के 14 साल के वनवास का ​वर्णन किया गया है। इस वृतांत को ध्यान में रखते हुए अरण्य कांड की थीम रखी गई थी। इस कार्यक्रम की सभी प्रस्तुतियां लगभग इसी थीम पर आधारित थी। सीएम भूपेश कहते हैं कि हमारे राम कौशल्या के राम, वनवासी राम, शबरी के राम, हमारे भांचा राम और हम सबके राम हैं। तीन दिनों तक चले इस महोत्सव में रायगढ़ ‘राममयगढ़’ हो गया। राम कथा हमारे दिलों में बसी हुई है। हमारी सुबह राम-राम से होती है और शाम भी राम-राम से होती है।

रामायण महोत्सव में विदेशी कलाकार भी हुए शामिल

रायगढ़ के रामलीला मैदान में आयोजित राष्ट्रीय रामायण महोत्सव में छत्तीसगढ़ की रामायण मंडलियों के अलावा महाराष्ट्र, केरल, गोवा, असम सहित 10 राज्यों के रामायण दलों ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में सात समुंदर पार इंडोनेशिया और कंबोडिया में फैले राम कथा के विविध रूपों की झलक दर्शकों को देखने मिली। इस कार्यक्रम की शोभा उस वक्त और बढ़ गई जब इंडोनेशिया समेत कई अन्य देशों को रामायण दल इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

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राष्ट्रीय रामायण महोत्सव ने बनाया विश्व रिकॉर्ड

सीएम भूपेश बघेल की पहल से आयोजित राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के दौरान रायगढ़ राममयगढ़ हो गया था। महोत्सव को लेकर दो विश्व कीर्तिमान गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज हुए। थीम अरण्यकाण्ड पर सबसे ज्यादा समय तक मंचन करने का वर्ल्ड रिकार्ड बना। इस कार्यक्रम में तीन दिनों, 756 मिनट तक 17 दलों के 375 कलाकरों ने मंचन किया। तीन दिनों तक 10 हजार लोगों ने हनुमान चालीसा का पाठ किया।

भूपेश सरकार की पहल की हुई चहुंओर चर्चा

National Ramayana Festival in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में आयोजित राष्ट्रीय रामायण महोत्सव केवल छत्तीसगढ़ तक ही सीमित नहीं था। इसकी चर्चा पूरे देश में हुई। भूपेश सरकार की पहल के बाद लोगों को ये पता चला कि भगवान ने अपने वनवास के महत्वपूर्ण समय छत्तीसगढ़ के जंगलों में बिताया है। यहां की संस्कृति में राम-रचे बसे हैं। यहां भगवान राम के कारण ही भांचा के पैर छूने की परंपरा है। भूपेश सरकार के इस आयोजन की तारीफ देश भर के मानस मर्मज्ञों ने की। इसके अलावा रामायण के शोधकर्ता, रामचरित मानस के जानकारों ने मुक्त कंठ से भूपेश सरकार के इस पहल की तारीफ की।

 

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