CG Ki Baat: रमन करे प्रचार..विपक्ष करे प्रहार! क्या संवैधानिक पदों पर बैठे नेता का प्रचार करना नियमत: गलत है ?

CG Ki Baat: रमन करे प्रचार..विपक्ष करे प्रहार! क्या संवैधानिक पदों पर बैठे नेता का प्रचार करना नियमत: गलत है ?

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  • Publish Date - February 7, 2025 / 10:48 PM IST,
    Updated On - February 7, 2025 / 10:48 PM IST

CG Ki Baat/ Image Credit: IBC24

रायपुर। CG Ki Baat: 11 फरवरी को निकाय चुनाव के लिए वोटिंग में अब कम वक्त बचा है। जिसके लिए दोनों सियासी दल प्रचार में पूरा जोर लगा रहे हैं। नेताओँ को उनके अपने प्रभाव और प्रभार क्षेत्रों में प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी गई हैं। इसी बीच विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह के राजनांदगांव नगर निगम महापौर के भाजपा प्रत्याशी मधुसूदन यादव के पक्ष में प्रचार करने को लेकर सियासत गरमा गई है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने इसे संवैधानिक पद की गरिमा के उलट बताया, इसकी शिकायत राज्य निर्वाचन आयोग से कर दी, जबकि खुद बीजेपी ने ऐसा ही आरोप कांग्रेस से मेयर रहीं, मौजूदा छग महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक पर लगाए हैं। सवाल है कि आखिर क्या हैं संवैधानिक पद पर बैठे लोगों के लिए प्रचार या सियासी कार्यक्रमों में शामिल होने के नियम, किसे अधिकार है इस पर सवाल पूछने का, खुलकर बहस होगी इस पर।

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छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने, छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के साथ राजनांदगांव में बीजेपी महापौर प्रत्याशी मधुसूदन यादव के पक्ष में प्रचार करने पर कड़ी आपत्ति जताई है। कांग्रेस ने इसकी शिकायत राज्य निर्वाचन आयोग से करते हुए तत्काल एक्शन लेने की मांग की है। कांग्रेस के मुताबिक विधानसभा अध्यक्ष जैसे संवैधानिक पद पर रहते हुए डॉ रमन सिंह का पार्टी के पक्ष में खुलेआम प्रचार करना संवैधानिक संस्था की गरिमा का उल्लंघन है। कांग्रेस ने नसीहत दी की डॉ रमन सिंह को अपने पद मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए। हालांकि, आरोप पर खुद विधानसभा अध्यक्ष ने जवाब दिया कि कहा कि, जेब में संविधान की किताब रखकर चलने वाली कांग्रेस सीख ना दे, उन्होंने संविधान पढ़ा है, वो जानते हैं क्या संविधान के तहत है, बीजेपी का कहना है कि बेमुद्दा कांग्रेस बेवजह इस मामले को तूल दे रही है।

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CG Ki Baat:  जब संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के चुनावी कार्यक्रम के मंच पर होने के बारे में नियम-कानून क्या कहता है, इस बारे में एक्सपर्ट से पूछा गया तो बताया गया कि इस बारें ऐसा कोई नियम नहीं है लेकिन विधानसभा अध्यक्ष जैसे संवैधानिक पद में बैठे लोग स्वयं ही नैतिकता के नाते पॉलिटिकल कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखते हैं। वैसे, दो दिन पहले ही बिलासपुर में बीजेपी की मेयर कैंडिडेट पूजा विधानी के चुनाव अभिकर्ता अनिल दुआ राज्य निर्वाचन आयोग में लिखित शिकायत कर, छग राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक पर, संवैधानिक पद पर रहते बिलासपुर कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी प्रमोद नायक के पक्ष में प्रचार करने का आरोप लगाया, उन्हें या तो अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने या उन पर एक्शन लेने की मांग की। जवाब में किरणमयी नायक ने कहा कि प्रमोद नायक उनके सगे देवर हैं। सो वो उनके पक्ष में इस नाते साथ दे सकती हैं यानि इस तरह के आरोप दोनों तरफ से हैं, दोनों पक्षों पर हैं तो फिर ऐसे में सवाल है क्या विरोधी दल के नेता की नैतिकता के नाते शिकायत करना उचित है, क्या ये सिर्फ एक पॉलिटिकल माहौल बनाने के लिए है ?