शह मात The Big Debate: ‘महादेव’ V/S महादेव..पोस्टर से पॉलिटिक्स तक! क्या कांग्रेस राज में महादेव को बदनाम किया गया? देखिए पूरी रिपोर्ट
Chhattisgarh News: 'महादेव' V/S महादेव..पोस्टर से पॉलिटिक्स तक! क्या कांग्रेस राज में महादेव को बदनाम किया गया? देखिए पूरी रिपोर्ट
Chhattisgarh News | Photo Credit: IBC24
- श्रावण में ‘महादेव’ पर सियासत गरम
- ऑपरेशन महादेव बनाम महादेव एप घोटाला
- पोस्टर वॉर से बहस संसद तक
रायपुर: Chhattisgarh News श्रावण मास यानि शिव-भक्ति का महीना, लेकिन छत्तीसगढ़ में श्रावण मास में महादेव के नाम पर जारी है। पोस्टर पॉलिटिक्स और वार-पलटवार हद ये कि महादेव को भी सियासी दंगल में खड़ा किया जा रहा है। बीजेपी ने पोस्टर जारी जताया कि कांग्रेस ने महादेव के नाम पर सट्टा एप चलाकर घोटाला किया, तो बीजेपी राज में ऑपरेशन महादेव के तहत आतंकियों को सजा मिलती है। जाहिर तौर पर कोशिश है कांग्रेस को करप्शन के कलंक वाली सनातन विरोधी पार्टी बताया जाए। लगे हाथ बीजेपी ने केंद्र सरकार के मजबूत निर्णय के तौर पर बढत लेने का मौका भी बनाया। ये रणनीति कोई नई नहीं है पर इस बार प्रसंग में महादेव आ गए हैं। जिसके एक तरफ है पोस्टर और दूसरी ओर पॉलिटिक्स।
Chhattisgarh News साल 2023 के विधानसभा चुनाव के चुनावी माहौल के वक्त से बीजेपी-कांग्रेस में पोस्टर WAR छिडा़ है। चुनाव के बाद भी बीजेपी ने कांग्रेस को, पिछली सरकार को और खासकर पूर्व CM भूपेश बघेल को लेकर घोटालों के आरोपों पर पोस्टर वार की सीरीज चला रखी है। इस वक्त जबकि देश की संसद में ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन महादेव पर बहस जारी है। छत्तीसगढ़ बीजेपी ने भूपेश सरकार के वक्त हुए महादेव सट्टा एप घोटाले को टार्गेट करता हुए एक कार्टून पोस्टर जारी किया। तंज कसा फर्क साफ है, एक ने महादेव के नाम पर बेटियों के सिंदूर का बदला लिया, तो दूसरे ने महादेव के नाम पर 506 करोड़ का घोटाला कर डाला। जाहिर है इस पर जुबानी जंग छिड़ना थी। प्रदेश के डिप्टी CM अरुण साव ने कांग्रेस को भोले बाबा के नाम पर करप्शन करने के लिए कोसा। तो पलटवार में PCC चीफ दीपक बैज ने याद दिलाया कि जिस महादेव सट्टा एप पर बीजेपी हमलावर है उस एप के को अभी तक बंद करने का साहस नहीं किया है। बैज ने तंज कसा कि बीजेपी के फेक यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स पहले खुद जवाब दें कि आखिर अब तक महादेव सट्टा ऐप बंद क्यों नहीं किया गया।
वैसे, पक्ष-विपक्ष के बीच किसी मुद्दे पर सियासी तकरार होना आम बात है। आरोप-प्रत्यारोप में पोस्टर-पॉलिटिक्स भी नॉर्मल बन चुका है लेकिन क्या महादेव सट्टा एप घोटाला केस में कई वरिष्ठ अफसरों की गिरफ्तारी के बाद भी क्या घोटले से कन्नी काटी जा सकती है। सवाल ये भी है कि क्या इस केस को सेना के बड़े ऑपरेशन से जोड़कर तुलना करना समझदारी है?

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