Chhattisgarh hareli tihar

Chhattisgarh hareli tihar: हरेली में कौन-कौन से पकवान बनाए जाते हैं और खेतों में पकवान क्यों चढ़ाए जाते हैं?

Chhattisgarh hareli tihar: हरेली में कौन कौन से पकवान बनाए जाते हैं और खेतों में पकवान क्यों चढ़ाए जाते हैं?

Edited By :   Modified Date:  July 17, 2023 / 10:21 AM IST, Published Date : July 17, 2023/10:20 am IST

Chhattisgarh hareli tihar: रायपुर। छत्तीसगढ़ के लोग हर त्योहार को बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं। कई त्योहार तो ऐसे होते हैं जो केवल छग में ही मनाए जाते है। उन्हीं त्योहारों में से एक त्योहार हरेली है। जिसका अपना ही विशेष महत्व है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये छत्तीसगढ़ का पहला त्योहार भी माना जाता है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर लोक महत्व के इस पर्व पर सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया गया है।

अमावस्या पर मनाया जाता है हरेली त्योहार

Chhattisgarh hareli tihar: श्रावण कृष्ण पक्ष अमावस्या को हरेली त्योहार मनाया जाता है। जुलाई के महीने में यह त्योहार पड़ता है। पानी बरसने के बाद खेतों में फसल हरी-भरी हो जाती है तब यह त्यौहार मनाते हैं। इस वर्ष हरेली त्यौहार 17 जुलाई सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन गांव में बच्चे और युवा गेड़ी का आनंद लेते हैं। किसानों के लिए ये त्यौहार काफी खास होता है।

आज के दिन बनाए जाते है ये पकवान

Chhattisgarh hareli tihar: छत्तीसगढ़ लोकपर्व के साथ लोक व्यंजनों के लिए भी जाना जाता है, छत्तीसगढ़ में हरेली के लिए भी कुछ खास व्यंजन हर घर में पकाए जाते हैं, जैसे- गुड़ के चीले, ठेठरी, खुरमी और गुलगुला भजिया। आज के दिन बैल, गाय व भैंस को बीमारी से बचाने के लिए बगरंडा और नमक खिलाने की परपंरा है। हरेली पर्व पर कुल देवता व कृषि औजारों की पूजा करने के बाद किसान अच्छी फसल की कामना करते हैं।

आभार किया जाता है व्यक्त

Chhattisgarh hareli tihar: किसान डेढ़ से दो महीने तक फसल लगाने का काम खत्म करने के बाद इस त्योहार को मनाते हैं। हरेली तिहार के दिन किसान अपने पशुओं, कृषि उपकरणों की पूजा कर उनका आभार जताते हैं, उनका मानना है कि ये सारे उनकी खेती में खूब काम आते है और अब के बाद कुछ दिनों के लिए इन्हे काम में नहीं लिया जाएगा तो इन्हे अच्छे से साफ करके उनकी पूजा कर आभार व्यक्त कर रख देते है।

क्यों मनाया जाता है हरेली त्योहार?

Chhattisgarh hareli tihar: फसलों में किसी प्रकार की बीमारी न लग सके इसके साथ ही पर्यावरण सुरक्षित हो, जिसको लेकर किसानों द्वारा हरेली त्यौहार मनाया जाता है। हरेली अमावस्या अर्थात श्रावण कृष्ण पक्ष अमावस्या को किसान अपने खेत एवं फसल की धूप, दीप एवं अक्षत से पूजा करते हैं। पूजा में विशेष रूप से भिलवा वृक्ष के पत्ते, टहनियां व दशमूल (एक प्रकार का कांटेदार पौधा) को खड़ी फसल में लगाकर पूजा करते हैं। किसानों का मानना है कि इससे कई प्रकार के हानिकारक कीट पतंगों एवं फसल में होने वाली बीमारियों से रक्षा होती है।

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