Rar on Reservation.. Political wrangling intensified in Chhattisgarh!

दांव पर आरक्षण.. ‘गढ़’ में रण, आरक्षण पर रार.. छत्तीसगढ़ में तेज हुई सियासी तकरार!

दांव पर आरक्षण.. 'गढ़' में रण, आरक्षण पर रार.. छत्तीसगढ़ में तेज हुई सियासी तकरार! Rar on Reservation.. Political wrangling intensified in Chhattisgarh!

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:14 PM IST, Published Date : September 27, 2022/11:35 pm IST

(रिपोर्टःराजेश मिश्रा) रायपुरः छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने बीते दिनों आरक्षण मामले पर फैसला देते हुए राज्य में 58 फीसद कुल आरक्षण को रद्द कर दिया। भाजपा-कांग्रेस दोनों इस स्थिति के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। राज्य सरकार ने मामले में तीन बड़े वकीलों को सुप्रीम कोर्ट में खड़े करने का निर्णय लिया है। जिस पर भाजपा का दावा है कि ये हमारे बनाए दबाव का नतीजा है।

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हाल ही में आरक्षण मामले में आए हाईकोर्ट के फैसले पर विपक्ष इस मुद्दे पर सीधे-सीधे सरकार को घेर रहा है। बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस ने मामले में हाईकोर्ट में दमदारी से पक्ष नहीं रखा। अब राज्य सरकार आरक्षण प्रतिशत के इस मुद्दे पर देश के तीन नामचीन वकील कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी और अभिषेक मनु सिंघवी के पैनल के जरिए सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी। मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उल्टे भाजपा को घेरते हुए कहा कि भाजपा ने तब पूरे डॉक्यूमेंट्स ही सबमिट नहीं किए थे। यहां तक की इसे लेकर ननकीराम कंवर की रिपोर्ट भी नहीं लगायी थी।

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राज्यसभा सदस्य सरोज पांडे ने इस मुद्दे पर भाजपा की ओर से कमान संभाली है। सरोज पांडे ने राज्य सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि जब हमने सरकार पर दबाव बनाया तो आज सरकार महंगे वकीलों को खड़ा कर रही है, अगर सरकार पहले ही गंभीरता से इसे लेती तो आज ये फैसला नहीं आता।

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चुनाव का समय नजदीक आ रहा है और आदिवासी बहुल राज्य में आरक्षण के इस संवेदनशील मुद्दे पर जमकर सियासी वार-पलटवार होना तय है। 58 फीसद आरक्षण के हाई कोर्ट से रद्द होने के बाद सर्व आदिवासी समाज भी इस मुद्दे फर लामबंद हो गया है। समाज ने ST वर्ग के सभी सांसदों-विधायकों की एक बैठक 1 अक्टूबर को बुलाई गई है । जाहिर है ऐसे सत्तापक्ष , विपक्ष को कोई सियासी मौका देना नहीं चाहता।