Chhattisgarh News: पंचायतों के विकास में सरपंच-सचिव ही बन गए रोड़ा! डकार गए 3 करोड़ की राशि, वसूली में छूट रहे विभाग के पसीने

पंचायतों के विकास में सरपंच-सचिव ही बन गए रोड़ा! Sarpanch and Secretary became a hindrance in the development of Panchayats!

Chhattisgarh News: पंचायतों के विकास में सरपंच-सचिव ही बन गए रोड़ा! डकार गए 3 करोड़ की राशि, वसूली में छूट रहे विभाग के पसीने

Reported By: Abhishek Soni,
Modified Date: May 28, 2025 / 09:16 pm IST
Published Date: May 28, 2025 9:16 pm IST
HIGHLIGHTS
  • 237 पंचायतों के सरपंच-सचिवों पर 3 करोड़ रुपये से अधिक की राशि हड़पने का आरोप।
  • सबसे बड़ा घोटाला मैनपाट में, जहां 157 सरपंच-सचिवों से ₹2.76 करोड़ वसूले जाने हैं।
  • प्रशासन ने अब एफआईआर और वसूली की कार्रवाई तेज करने का भरोसा दिया है।

सरगुजाः Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में पंचायत का विकास करने वाले प्रतिनिधि ही विकास पर पलीता लगाने का काम कर रहे हैं। गंभीर बात ये है कि जिले के 237 पंचायतों के सरपंच-सचिवों ने 3 करोड़ की राशि डकार ली। इस राशि की वसूली के लिए जिम्मेदार अधिकारी भी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। आईबीसी-24 की ओर से मामला संज्ञान में लाए जाने के बाद अब अधिकारी जल्द से जल्द वसूली के साथ ही एफआईआर दर्ज कराने की बात कह रहे है।

Read More : Jiwaliya Toll Plaza Incident: शहर में तूफान का तांडव! आंधी के कहर से उड़ गया पूरा टोल प्लाजा, CCTV में कैद हुआ तबाही का मंजर

Chhattisgarh News: पंचायत राज के जरिए देश को मजबूत करने की परिकल्पना की गई थी और इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति सरपंच और सचिव को जिम्मेदारी दी जाती है, मगर सरगुजा जिले में यही सरपंच-सचिव पंचायत विकास में रोड़ा बन रहे हैं। दरअसल, सरगुजा जिले के करीब 237 पंचायत के सरपंच-सचिवों को पंचायत विकास के लिए दी गई। राशि से पंचायत का विकास करने के बजाय अपना विकास किया और पंचायत की राशि डकार ली। इनमें सड़क निर्माण, पुलिया निर्माण, 15 वें वित्त की राशि के साथ ही गांव में अन्य विकास की राशि थी।

 ⁠

Read More : Delhi Metro News: अब मेट्रो में यात्रा के दौरान ऐसा काम करना पड़ेगा भारी, डीएमआरसी ने दी कड़ी चेतावनी, सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कही ये बात 

जानिए कहां कितनी होनी है वसूली?

अलग-अलग जनपद क्षेत्रों की बात करें तो अंबिकापुर के 114 सरपंच-सचिवों से 14 लाख 42 हजार 11 रुपये की वसूली करनी है। इसी तरह लुंड्रा में 8 सरपंच-सचिवों से 7 लाख 82 हजार 450 रुपये की वसूली करनी है। उदयपुर में 18 सरपंच-सचिवों से 31 लाख 63 हजार 652 रुपये की वसूली करनी है। लखनपुर में 11 सरपंच-सचिवों से 8 लाख 80 हजार 224 रुपये की बकाया राशि वसूली करनी है। सीतापुर के 13 सरपंच-सचिवों से 10 लाख 89 हजार 363 रुपये की वसूली करनी है। बतौली में 16 सरपंच सचिवो से 15 लाख 28 हजार 660 रुपये की वसूली करनी है। इतना ही नहीं, छग का शिमला कहे जाने वाले मैनपाट ब्लाक के सरपंचों-सचिवों ने सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा किया है, जहां के 157 सरपंच सचिवो से 2 करोड़ 76 लाख 9 हजार 476 रुपये की वसूली करनी है। ऐसे में पंचायत के जानकारों का कहना है कि पहले निर्माण कार्यो की मानटरिंग के अभाव में फिर अधिकारियों के द्वारा वसूली में गंभीरता नही दिखाने का ही परिणाम है कि पंचायत की राशि का बंदरबांट हो रहा है और अधिकारी इस पर अंकुश नहीं लगा पा रहे।

Read More : Wife killed husband: पति के दोस्त से पत्नी ने बनाए शारीरिक संबंध, फिर उसी के साथ मिलकर पत्नी ने पति को उतारा मौत के घाट 

एफआईआर कराने की बात कह रहे अधिकारी

सरगुजा एक आदिवासी बाहुल्य इलाका है ऐसे में यहां विकास की राशि पंचायतों के विकास के लिए बेहद अहम होती है। अब भी यहां कई ऐसे इलाके है जो पहुंचविहीन है। यहां दिए गये राशि से गांव की तश्वीर बदल सकती थी, मगर ऐसा होता नहीं दिख रहा है। इस बंदरबांट में राजनेताओं की भी भूमिका बेहद संदिग्ध है, क्योंकि गांव में इन्हीं के शागिर्द काम करते है और आधा-अधूरा काम कर पूरा भुगतान पा जाते हैं, जिसका खामियाजा कई बार पंचायत के सरपंच-सचिवों को उठाना पड़ता हैं। हालांकि अब आईबीसी 24 के द्वारा मामला संज्ञान में लाने के बाद अधिकारी ज्यादा से ज्यादा वसूली करने के साथ ही राशि न वापस करने वालो के खिलाफ एफआईआर कराने की बात भी कह रहे है। बहरहाल, जिस तरह से पंचायतों में विकास के पैसों का बंदरबांट किया जा रहा है, उसे रोकने के साथ ही गबन की गई राशि के जल्द से जल्द वसूली की कवायद तेज करने की आवश्यकता है, ताकि ऐसा करने वाले सबक ले सके, क्योंकि राशि से गांव का विकास होना था जो अब राशि नही होने के कारण विकास से वंचित रह जाए रहे है।


सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।