28 फरवरी से 31 मार्च तक होगा ‘शिशु संरक्षण माह’ का आयोजन, पांच वर्ष तक के बच्चों को पिलाया जाएगा विटामिन ‘ए’ का प्रोफिलैक्टिक डोज

'Shishu sanrakshan maah' : शिशुओं के स्वास्थ्य और पोषण की बेहतर देखभाल के लिए प्रदेश में 28 फरवरी से 31 मार्च तक ‘शिशु संरक्षण माह’ का आयोजन

28 फरवरी से 31 मार्च तक होगा ‘शिशु संरक्षण माह’ का आयोजन, पांच वर्ष तक के बच्चों को पिलाया जाएगा विटामिन ‘ए’ का प्रोफिलैक्टिक डोज
Modified Date: February 27, 2023 / 10:22 pm IST
Published Date: February 27, 2023 10:04 pm IST

रायपुर : ‘Shishu sanrakshan maah’ : शिशुओं के स्वास्थ्य और पोषण की बेहतर देखभाल के लिए प्रदेश में 28 फरवरी से 31 मार्च तक ‘शिशु संरक्षण माह’ का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान नौ माह से पांच वर्ष तक के बच्चों को विटामिन ‘ए’ का प्रोफिलैक्टिक डोज पिलाया जाएगा। साथ ही छह माह से पांच वर्ष तक के बच्चों को आयरन एवं फॉलिक एसिड सिरप वितरित की जाएगी। शिशु संरक्षण माह के दौरान प्रदेश भर के 25 लाख 60 हजार बच्चों को विटामिन ‘ए’ और 26 लाख 90 हजार बच्चों को आयरन एवं फॉलिक एसिड देने का लक्ष्य रखा गया है।

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‘Shishu sanrakshan maah’ :  मैदानी स्तर पर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, मितानिनों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आंगनबाड़ी सहायिकाओं द्वारा बच्चों को दवाई पिलवाकर अभियान को सफल बनाया जाएगा। शिशु संरक्षण माह में शिशु स्वास्थ्य के संवर्धन से संबंधित राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों की गतिविधियों के संचालन और सेवाओं की प्रदायगी का सुदृढ़ीकरण भी किया जा रहा है। शिशु के अच्छे शारीरिक और मानसिक विकास तथा संक्रमण से बचाव के लिए पौष्टिक आहार जरूरी है। छह माह के बच्चे को स्तनपान के साथ पूरक आहार अवश्य देना चाहिए।

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शिशु एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के उप संचालक डॉ. व्ही.आर. भगत ने बताया कि राज्य में सुपोषण सुनिश्चित करने महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा अलग-अलग कार्यक्रमों के जरिए पौष्टिक आहार और गर्म भोजन देने का प्रावधान है। इस कार्यक्रम के अनुपूरक के रूप में शिशु संरक्षण माह का आयोजन किया जाता है जो कि बच्चों को कुपोषण एवं एनीमिया से बचाने में काफी मददगार है। डॉ. भगत ने बताया कि शिशु संरक्षण माह के दौरान छह माह से पांच साल तक के बच्चों को मितानिनें गृह भ्रमण कर सप्ताह में दो बार आई.एफ.ए. सिरप पिलाएंगी। वहीं नौ माह से पांच वर्ष तक के बच्चों को विटामिन ‘ए’ की खुराक भी दी जाएगी।

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संक्रमण से लड़ने के लिए पौष्टिक आहार जरूरी

‘Shishu sanrakshan maah’ :  शुरूआती दो सालों में जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, वह खांसी, जुकाम, दस्त जैसी बीमारियों से बार-बार ग्रसित होता है। बच्चे को इन संक्रमणों से बचाने और लड़ने के लिए पौष्टिक आहार की जरूरत होती है। यदि छह माह के बाद बच्चा सही ढंग से ऊपरी आहार नहीं ले रहा है तो वह कुपोषित हो सकता है। कुपोषित बच्चों के संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है। बच्चों को ताजा व घर का बना हुआ भोजन ही खिलाना चाहिए।

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