Naxalite Laeder Damodar Encounter: क्या मारा गया नक्सली दामोदर?.. एक हाथ में AK-47 तो दूसरे में रखता था वाई-फाई कनेक्टेड लैपटॉप, चलता-फिरता गूगल मैप था ये माओवादी..
नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद छत्तीसगढ़ और ओडिशा की पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन चलाया था। इसमें 10 अलग-अलग टीमों को एक साथ तैनात किया गया था, जिसमें 3 टीम ओडिशा से, 2 टीम छत्तीसगढ़ पुलिस से और 5 CRPF टीम शामिल थीं।
Reality of Naxalite Laeder Damodar Encounter || Image-andhrawatch.com
रायपुर: पिछले हफ्ते छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में हुए नक्सल-पुलिस मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने 12 नक्सलियों को मार गिराया और उनके शव बरामद किए। इस ऑपरेशन में अत्याधुनिक हथियार भी जब्त किए गए। इस ऑपरेशन में कोबरा जवानों के साथ-साथ डीआरजी, बस्तर फाइटर्स और सीआरपीएफ की टुकड़ी को भी उतारा गया था। (Reality of Naxalite Laeder Damodar Encounter) मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हजारों जवानों को संभावित ठिकानों पर तैनात किया गया था। यह ऑपरेशन अब तक का सबसे बड़ा नक्सल विरोधी अभियान बताया जा रहा है।
पुलिस को सूचना मिली थी कि नक्सलियों के टॉप लीडर, माड़वी हिड़मा और देवा इस इलाके में मौजूद हैं। इस जानकारी के आधार पर जवानों को रवाना किया गया। कई घंटों तक चली इस मुठभेड़ में पुलिस ने सर्चिंग अभियान चलाया और 12 शवों को बरामद किया। हालांकि, पुलिस अब तक इन शवों की पहचान नहीं कर पाई है और इन्हें अज्ञात नक्सली माना गया है।
अगले दिन पश्चिम बस्तर डिवीजन कमेटी के प्रवक्ता गंगा ने एक प्रेस नोट जारी किया। उन्होंने दावा किया कि मारे गए नक्सलियों की संख्या 12 नहीं, बल्कि 18 थी। इसमें 6 नक्सलियों के शव नक्सली अपने साथ ले गए थे। गंगा ने प्रेस नोट में यह भी स्वीकार किया कि इस कार्रवाई में नक्सलियों को भारी नुकसान हुआ। (Reality of Naxalite Laeder Damodar Encounter) उन्होंने पुलिस और सरकार पर दमन का आरोप भी लगाया। नक्सलियों ने इस नोट में चार प्रमुख नक्सलियों के मारे जाने की बात कही, जिनमें दामोदर, हूँगी, जोगा और नरसिंह राव का नाम शामिल था। अब सवाल यह उठता है कि क्या दामोदर मारा गया? और अगर हकीकत में दामोदर मारा गया है, तो तेलंगाना पुलिस ने इसकी पुष्टि क्यों नहीं की?
दामोदर राव का महत्व
दामोदर राव नक्सलियों के बड़े नेताओं में शुमार था। वह हमेशा अपनी सुरक्षा के लिए हथियारबंद दल के साथ रहता था। इतना ही नहीं, खुद दामोदर भी अपनी सुरक्षा के लिए घातक हथियारों से लैस रहता था। दामोदर पर 50 लाख रुपये का इनाम रखा गया था, जो उसकी खतरनाक छवि को दर्शाता है। कहा जाता है कि दामोदर के पास एके-47 जैसे अत्याधुनिक हथियार होते थे, और वह लैपटॉप और वॉकी-टॉकी जैसे उपकरणों से लैस रहता था। उसे तेलंगाना-छत्तीसगढ़ बॉर्डर के जंगलों के हर रास्ते का बखूबी ज्ञान था, मानो पूरा नक्शा उसके दिमाग में हो।
लीडर बनने का सफर
अब तक छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य क्षेत्र में नक्सली अपना प्रभाव जमाए हुए थे। हालांकि, यह ज्ञात है कि तेलंगाना के राज्य सचिव यापा नारायण उर्फ हरिभूषण की 21 जून 2021 को कोविड से मौत हो गई थी। उसके बाद से इस पद को भरने के लिए पार्टी ने कड़ी रणनीति अपनाई। माओवादी नेता आजाद ने भी इस पद को पाने की पूरी कोशिश की, लेकिन अंत में माओवादी पार्टी ने सैन्य प्रमुख बड़े चोक्काराव उर्फ दामोदर उर्फ मल्लन्ना को तेलंगाना राज्य सचिव नियुक्त किया। (Reality of Naxalite Laeder Damodar Encounter) अगर वास्तव में दामोदर मारा गया है, तो यह छत्तीसगढ़, ओडिशा और तेलंगाना पुलिस के लिए बड़ी राहत की खबर होगी।
मारा गया चलपति
हाल ही में छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में सुरक्षाबलों को एक बड़ी सफलता मिली है। जवानों ने यहां एक एनकाउंटर में 14 नक्सलियों को ढेर कर दिया। इनमें 1 करोड़ रुपये का इनाम घोषित नक्सली जयराम उर्फ चलपति भी शामिल था। यह पहली बार था जब जवानों ने नक्सलियों के सेंट्रल कमेटी के सदस्य को मारा। चलपति नक्सलियों के सेंट्रल कमेटी का सदस्य था। इस सफलता पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री साय और गृहमंत्री विजय शर्मा ने जवानों को बधाई दी है।
गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि इस एनकाउंटर में पहली बार किसी सेंट्रल कमेटी सदस्य को मारा गया है। 1 करोड़ रुपये के इनामी जयराम के मारे जाने के साथ अब तक 14 नक्सलियों को ढेर किया जा चुका है। ऑपरेशन अभी भी जारी है, और कुछ और नक्सलियों के शव बरामद हो सकते हैं। (Reality of Naxalite Laeder Damodar Encounter) उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद से 260 से ज्यादा नक्सली मारे गए हैं, 870 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है और 1000 से ज्यादा माओवादी गिरफ्तार किए गए हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि निर्धारित समय में प्रदेश में शांति होगी।
सुरक्षा बलों की जॉइंट ऑपरेशन में सफलता
नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद छत्तीसगढ़ और ओडिशा की पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन चलाया था। इसमें 10 अलग-अलग टीमों को एक साथ तैनात किया गया था, जिसमें 3 टीम ओडिशा से, 2 टीम छत्तीसगढ़ पुलिस से और 5 CRPF टीम शामिल थीं। जवानों ने जब क्षेत्र में सर्चिंग अभियान शुरू किया, तब नक्सलियों ने उन पर हमला कर दिया। जवानों ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए 14 माओवादियों को मार गिराया।
2025 में अब तक मारे गए 47 नक्सली
- 2 जनवरी 2025: बीजापुर – 5 नक्सली ढेर
- 5 जनवरी 2025: अबूझमाड़, नारायणपुर – 5 नक्सली ढेर
- 3 जनवरी 2025: कांडेसर, गरियाबंद – 3 नक्सली ढेर
- 16 जनवरी 2025: बीजापुर-सुकमा बॉर्डर – 20 नक्सली ढेर
- 21 जनवरी 2025: गरियाबंद – 14 नक्सली ढेर
2024 के प्रमुख नक्सल ऑपरेशन
- 12 दिसंबर 2024: अबूझमाड़, नारायणपुर – 7 नक्सली ढेर
- 22 नवंबर 2024: भेज्जी, कोंटा – 10 नक्सली ढेर
- 4 अक्टूबर 2024: थुलथुली, दंतेवाड़ा – 38 नक्सली ढेर
- 3 सितंबर 2024: पुरंगेल, दंतेवाड़ा – 9 नक्सली ढेर
- 15 जून 2024: अबूझमाड़, नारायणपुर – 8 नक्सली ढेर
- 23-24 मई 2024: अबूझमाड़ – 8 नक्सली ढेर
- 10 मई 2024: पीडिया, बीजापुर – 12 नक्सली ढेर
- 30 अप्रैल 2024: टेकमेटा, नारायणपुर – 10 नक्सली ढेर
- 16 अप्रैल 2024: छोटे बेठिया, कांकेर – 29 नक्सली ढेर
- 2 अप्रैल 2024: नेड्रा, बीजापुर – 13 नक्सली ढेर

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