गांव-गरीब के का हे दरकार…जानत हे भूपेश सरकार, साढ़े चार साल में छत्तीसगढ़ GDP रेट में आया भारी उछाल

Chhattisgarh GDP rate in four and a half years भूपेश सरकार के साढ़े चार साल में छत्तीसगढ़ में GDP रेट में भारी उछाल आया है।

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  • Publish Date - July 31, 2023 / 07:05 PM IST,
    Updated On - July 31, 2023 / 07:05 PM IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल ने जब से प्रदेश की कमान संभाली है लगातार गांव गरीब और किसान सहित सभी वर्गों के लिए काम कर रहे हैं। भूपेश बघेल के कामों का बखान कोई और नहीं बल्कि प्रदेश की GDP ग्रोथ बयां कर रहा है। काका के राज में GDP में ताबड़तोड़ बढ़ोतरी देखने को मिल रही है वो भी ऐसे दौर में जब सरकार के साढ़े 4 साल के कार्यकाल में दो साल भयंकर कोरोना महामारी के थे। वहीं अगर देश की GDP के आंकड़ों पर गौर करें तो वो भी छत्तीसगढ़ से कम है। GDP के ये आंकड़े भूपेश सरकार के सर्वांगीण विकास की सोच का ही नतीजा है, जिसका सीधा फायदा आम जनता को मिल रहा है।

क्या होती है GDP

GDP का पूरा नाम ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट है और एक वित्त वर्ष में किसी भी देश में बनी वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य होता है। अगर किसी देश की जीडीपी अधिक होती है और लोगों का जीवन स्तर काफी अच्छा होता है, उन्हें विकसित देश कहा जाता है। वहीं, अगर किसी देश की जीडीपी कमजोर है और लोगों का जीवन स्तर भी एक सीमा से कम है तो उसे विकासशील देश कहा जाता है।

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GDP कैसे आम आदमी के जीवन पर असर डालती है

जीडीपी आम आदमी पर सीधा असर करती है। अगर जीडीपी बढ़ती है तो लोगों पर सकारात्मक प्रभाव होता है और सरकार के हाथ में अधिक पैसा आता है, जिस कारण ये सरकार जन कल्याण पर अधिक पैस खर्च कर पाती है। अगर किसी देश की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ती है तो लोगों के लिए कमाने के अवसर बढ़ते हैं और अच्छा पैसा कमाते हैं और इस कारण उनके जीवन स्तर में सुधार होता है। वहीं, दूसरी तरफ अगर जीडीपी गिरती है तो आम आदमी की आय में गिरावट आती है। इसके साथ कंज्यूमर डिमांड भी कम होती है और बिजनेस की आय में भी गिरावट आती है। वहीं, जीडीपी में औसत वृद्धि होने के कारण जॉब और नए अवसरों में कमी आती है और आय भी नहीं बढ़ती है।

साढ़े चार साल में छत्तीसगढ़ की जीडीपी कितनी है

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2019-20 के अनुसार, छत्तीसगढ़ का सकल राज्य घरेलू उत्पाद  3,63,900 करोड़ रुपए अनुमानित थी। यह 2018-19 के संशोधित अनुमान से 17% अधिक थी। छत्तीसगढ़ की जीएसडीपी की वृद्धि दर 2015-16 में 5.9% की तुलना में 2017-18 में बढ़कर 11.2% हो गई। 2017-18 में सकल राज्य मूल्य संवर्धन में कृषि, मैन्यूफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्रों ने क्रमशः 30%, 33% और 37% का योगदान दिया। इस वर्षावधि में इन क्षेत्रों में क्रमशः 11.2%, 8.7% और 12.8% की दर से वृद्धि हुई। 2017-18 में छत्तीसगढ़ की प्रति व्यक्ति जीएसडीपी 1,02,762 रुपए थी। 2016-17 की तुलना में इस वर्ष प्रति व्यक्ति जीएसडीपी 9.4% अधिक थी।

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2020-21 के अनुसार, छत्तीसगढ़ की जीएसडीपी में 2020-21 में 1.8% की गिरावट आई, जोकि 2019-20 में 5.1% की वृद्धि दर से कम थी। 2020-21 में कृषि क्षेत्र में 6.9% का संकुचन हुआ। उल्लेखनीय है कि इसकी तुलना में 2020-21 में राष्ट्रीय जीडीपी में 7.2% की गिरावट हुई। 2020-21 में मौजूदा कीमतों पर कृषि, मैन्यूफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्रों ने अर्थव्यवस्था में क्रमशः 28%, 34% और 38% का योगदान दिया। 2020-21 में छत्तीसगढ़ की प्रति व्यक्ति जीएसडीपी 1,17,615 रुपए थी। 2019-20 में इसी आंकड़े से 0.07% कम। 2020-21 में छत्तीसगढ़ की प्रति व्यक्ति जीएसडीपी राष्ट्रीय स्तर पर प्रति व्यक्ति जीडीपी से कम थी।

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आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021-22 के अनुसार अनुमानित राष्ट्रीय (भारत) GDP 9.2% रहने पर स्थिर कीमतों पर राज्य का औसत वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद 11.5% रहा। राज्य का औसत वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद स्थिर कीमतों में 11.5 प्रतिशत पर रहा, जबकि अनुमानित राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद 9.2 प्रतिशत पर रहा। 2020-21 में छत्तीसगढ़ की GDP 2,49,683 लाख रुपये रही, लेकिन 2021-22 में यह बढ़कर 2,78,496 लाख रुपये हुई। रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की GDP में 11.54 फीसदी की बढ़ोतरी होनी थी। लक्ष्य को पूरा करने के लिए राज्य ने कृषि में 16.73 प्रतिशत, उद्योग में 50.61 प्रतिशत और सेवा में 32.66 प्रतिशत योगदान दिया। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, इन क्षेत्रों से राष्ट्रीय योगदान क्रमशः 15.67 प्रतिशत, 30.22 प्रतिशत और 54.10 प्रतिशत रहा।

छत्तीसगढ़ का सकल राज्य घरेलू उत्पाद साल 2020-21 में 3,62,214 करोड़ रुपये रहने का अनुमान था। यह संशोधित 2019-20 के पूर्वानुमान की तुलना में 10% की वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। 2019-20 में राज्य की अर्थव्यवस्था में कृषि, उद्योग और सेवाओं के क्रमशः 4.61%, 0.75% और -5.28% बढ़ने का अनुमान था। उद्योग और सेवा दोनों क्षेत्रों में पिछले कुछ वर्षों में उनकी वृद्धि में गिरावट देखी गई थी। 2019-20 में छत्तीसगढ़ की प्रति व्यक्ति आय 98,281 रुपये (2018-19 की तुलना में 6.3%) अधिक होने का अनुमान था। आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (2017-18) के अनुसार, छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर 3.3% थी, जबकि अखिल भारतीय बेरोजगारी दर 6.1% थी।

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2022-23 के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में सकल राज्य घरेलू उत्पाद वृद्धि दर आठ प्रतिशत रहने का अनुमान है। 2021-22 के लिए छत्तीसगढ़ का सकल राज्य घरेलू उत्पाद 3,83,098 करोड़ रुपए अनुमानित है। इसमें 2019-20 की तुलना में 5% की वार्षिक वृद्धि है, और यह 2020-21 के लिए जीएसडीपी के संशोधित अनुमान से 9.4% अधिक है। छत्तीसगढ़ राज्य का जी.एस.डी.पी. स्थिर भावों पर वर्ष 2021-22 में 2 लाख 67 हज़ार 6 सौ 81 करोड़ रुपए से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 2 लाख 89 हज़ार 82 करोड़ रुपए अनुमानित है। इस वर्ष विकास दर आठ प्रतिशत होना अनुमानित है।

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स्थिर भावों पर अग्रिम अनुमान वर्ष 2022-23 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद बाज़ार मूल्य पर गत वर्ष 2021-22 की तुलना में आठ प्रतिशत वृद्धि अनुमानित है। इसमें कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र में 93 प्रतिशत वृद्धि, उद्योग क्षेत्र में 7.83 प्रतिशत वृद्धि एवं सेवा क्षेत्र में 9.21 प्रतिशत वृद्धि अनुमानित है। प्रचलित भावों पर अग्रिम अनुमान वर्ष 2022-23 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद पर गत वर्ष 2021-22 के रुपए 4,06,416 करोड़ से बढ़कर 4,57,608 करोड़ रुपए होना संभावित है, जो कि 60 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। इसमें वर्ष 2021-22 में कृषि एवं संबंद्ध क्षेत्र 85,492 करोड़ रुपए से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 94,635 करोड़ रुपए इसी प्रकार उद्योग क्षेत्र में 1,63,616 करोड़ रुपए से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 1,83,586 करोड़ रुपए एवं सेवा क्षेत्र में 1,36,329 करोड़ रुपए से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 1,55,995 करोड़ रुपए होना संभावित है, जो कि गत वर्ष की तुलना में प्रतिशत वृद्धि क्रमश: 70, 12.21 एवं 14.43 प्रतिशत आकलित है।

राज्य के सकल घरेलू उत्पाद बाज़ार मूल्य पर त्वरित अनुमान के अनुसार गत वर्ष 2020-21 की तुलना में वर्ष 2021-22 में 46 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसमें कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र में 8.07 प्रतिशत एवं सेवा क्षेत्र में 9.80 प्रतिशत वृद्धि हुई है। प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2021-22 के त्वरित अनुमान के अनुसार 1,20,704 रुपये से बढ़कर वर्ष 2021-23 अग्रिम अनुमान में 1,33,898 रुपये होना अनुमानित है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 10.93 प्रतिशत वृद्धि दर्शाता है।

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