Vishnu ka Sushasan: साय सरकार ने उठाया बस्तर की लोक संस्कृति को समृद्ध करने का बीड़ा, बस्तर पंडुम में दिखेगी रीति-रिवाजों की झलक, इन कार्यक्रमों के लिए भी बजटीय प्रावधान
Vishnu ka Sushasan: साय सरकार ने उठाया बस्तर की लोक संस्कृति को समृद्ध करने का बीड़ा, बस्तर पंडुम में दिखेगी रीति-रिवाजों की झलक, इन कार्यक्रमों के लिए भी बजटीय प्रावधान
Vishnu ka Sushasan | Photo Credit: IBC24
- बस्तर पंडुम 2025 का आयोजन बस्तर की समृद्ध लोककला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा।
- बस्तर के जनजातीय नृत्य, गीत, वाद्ययंत्र, शिल्प-चित्रकला जैसे सात प्रमुख विधाओं पर आधारित प्रतियोगिताएं होंगी।
- साय सरकार ने बस्तर की संस्कृति के संरक्षण के लिए बजट में विशेष प्रावधान किए हैं।
रायपुर: Vishnu ka Sushasan छत्तीसगढ़ राज्य अपने मौलिक संस्कृति और परंपराओं के लिए देश-दुनिया में एक अलग पहचान रखती है। यहां के आदिवासी समाज का अपना एक विशेष स्वभाव है। उनकी अपनी एक विशिष्ट जीवनशैली है, जो प्रकृति पूजक के रूप में जल, जंगल, पहाड़ और जमीन से जुड़ी रही है। साय सरकार केवल प्रदेश का विकास ही नहीं कर रही है, बल्कि बस्तर सरगुजा समेत मैदानी इलाके के आदिवासियों के संस्कृतियों को सहेजने का काम कर रही है।
बस्तर पंडुम 2025 की शुरुआत
Vishnu ka Sushasan बस्तर की संस्कृति के संरक्षण के लिए साय सरकार ने कई अहम फैसले लिए हैं। बस्तर की मौलिक संस्कृति अब देश-दुनिया में बड़ी सरलता के साथ पहुंच रही है। साय सरकार ने ‘‘बस्तर पंडुम 2025’’ का भव्य आयोजन करने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की मंशा के अनुरूप इस आयोजन के माध्यम से बस्तर संभाग की समृद्ध लोककला, रीति-रिवाज, पारंपरिक जीवनशैली और सांस्कृतिक विरासत को संजोने और नई पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। यह महोत्सव न केवल बस्तर के प्रतिभाशाली कलाकारों को एक मंच प्रदान करेगा, बल्कि उनकी कला को नई पहचान और प्रोत्साहन भी देगा।
7 प्रमुख विधाओं पर केंद्रित होगा आयोजन
‘‘बस्तर पंडुम 2025’’ में जनजातीय नृत्य, गीत, नाट्य, वाद्ययंत्र, पारंपरिक वेशभूषा एवं आभूषण, शिल्प-चित्रकला और जनजातीय व्यंजन एवं पारंपरिक पेय से जुड़ी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। ये स्पर्धाएं तीन चरणों में संपन्न होंगी। जनपद स्तरीय प्रतियोगिता 12 से 20 मार्च, जिला स्तरीय प्रतियोगिता 21 से 23 मार्च, संभाग स्तरीय प्रतियोगिता दंतेवाड़ा में 1 से 3 अप्रैल तक सम्पन्न होगी। प्रत्येक स्तर पर प्रतिभागियों को विशेष पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्रदान किए जाएंगे।
सरकार ने किया बजट का प्रावधान
साय सरकार की योजनाएं केवल कागजों तक ही सीमित नहीं है। इसके लिए बजट में राशि का प्रावधान भी किया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2025-2026 के लिए साय सरकार ने बस्तर में होने वाले विभिन्न लोक आयोजनों के लिए राशि आवंटित की है। हर साल बस्तर ओलंपिक के आयोजन के लिए ₹5 करोड़ का प्रावधान किया गया है। योग शिविरों के लिए ₹2 करोड़ और जैव विविधता टूरिज्म ज़ोन के लिए ₹10 करोड़ का बजट रखा गया है। बस्तर संभाग के सभी जिलों में लोक उत्सवों के आयोजन (बस्तर मड़ई) और बस्तर मैराथन के लिए भी बजट में 2 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया है। वहीँ, बस्तर सरगुजा में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए होम स्टे पालिसी बनाया जाएगा।
साय सरकार ने देवगुड़ियों को संवारा
बस्तर के आदिवासी अंचलों में प्रत्येक गांव और पंचायतों में आदिवासियों की देवगुड़ी है। इन आदिवासियों के लिए देवगुड़ी का भी अलग महत्व है। देवगुड़ी से तात्पर्य भगवान के मंदिर से है जिन्हें आदिवासी अपनी कुल देवता के रूप में पूजते हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और वन मंत्री केदार कश्यप वनसमृद्ध जनजातीय क्षेत्रों से संबंध रखते हैं। इसलिए वे आदिवासी पंरपराओं को जीवित रखने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। उनके नेतृत्व में वन विभाग देवगुड़ी स्थलों के संरक्षण के लिए समर्पित है। ये प्रयास राज्य में सतत् वन प्रबंधन और जैव विविधता संरक्षण के हमारे व्यापक मिशन के अनुरूप हैं।”वन विभाग स्थानीय जनजातीय के सहयोग से देवगुड़ी के संरक्षण एवं संवर्धन में सक्रिय रूप से प्रयासरत है। इस पहल के अंतर्गत बड़ी संख्या में स्थानीय वनस्पति प्रजातियों का रोपण किया जा रहा है और पारंपरिक त्योहारों का पुनर्जीवन किया जा रहा है।

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