What is meaning of increasing activities of Naxalites in Bijapur

बीजापुर की लास्ट बैटल! बीजापुर में नक्सलियों की बढ़ती गतिविधियों के क्या हैं मायने?

बीजापुर में नक्सलियों की बढ़ती गतिविधियों के क्या हैं मायने? What is meaning of increasing activities of Naxalites in Bijapur

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:56 PM IST, Published Date : February 12, 2022/11:01 pm IST

बीजापुर से संतोष के साथ नरेश मिश्रा, रायपुर: Naxalites in Bijapur बस्तर में माओवादियों की हलचल फिर शुरू हो गई है। इस बार नक्सल गतिविधियों का केंद्र बीजापुर बना हुआ है, जहां पिछले साल अप्रैल में भी फोर्स को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। पखवाड़े भर में एक के बाद एक कई घटनाएं बीजापुर में घटी हैं। पत्रकारों को धमकी देने का मामला हो या फिर इंजीनियर का अपहरण या फिर घात लगाकर फोर्स को नुकसान पहुंचाना। माना जा रहा है कि नक्सली गर्मी से पहले सुरक्षाबलों को बैकफुट में धकेलना चाहते हैं। अब सवाल है कि बीजापुर में नक्सलियों की बढ़ती गतिविधियों के मायने क्या हैं? क्या अंदरूनी इलाकों में पुलिस कैंप बनने के बाद लाल गैंग का दायरा सिमट गया है और बीजापुर में लास्ट बैटल की शुरूआत हो चुकी है?

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Naxalites in Bijapur बस्तर के बीजापुर जिले में एक बार फिर नक्सली हमला हुआ। बासागुड़ा थाना इलाके में नक्सली और पुलिस के बीच मुठभेड़ में CRPF का असिस्टेंड कमांडेंट शहीद हो गया। जानकारी के मुताबिक तिम्मापुर से लगे पुतकेल के जंगलों में नक्सलियों की मौजूदगी की खबर के बाद शनिवार सुबह CRPF 168 बटालियन सर्चिंग के लिए निकले, जहां पहले से घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने फायरिंग की। जवानों ने भी नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब दिया। दोनों तरफ से करीब आधे घंटे तक मुठभेड़ चली, जिसमें एक जवान शहीद और एक जवान घायल हो गया।

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घटना को दुखद बताते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। नक्सली बैकफुट पर हैं हमारे जवानों ने नक्सलियों को एक सीमित दायरे में समेट दिया है। हालांकि बीजेपी राज्य सरकार के दावों को खोखला बताते हुए उसकी नक्सल नीति पर सवाल उठा रही है।

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जाहिर है ठंड खत्म होने के साथ ही बस्तर में नक्सल गतिविधियां फिर तेज हो गई हैं। मुखबिर के नाम पर ग्रामीणों की हत्या का मामला हो या फिर आईडी के जरिए फोर्स को निशाना बनाना। बीजापुर में पखवाड़े भर में ऐसी कई वारदातें सामने आ चुकी हैं। लेकिन इंद्रावती नदी पर पुल निर्माण में लगे इंजीनियर का अपहरण और फिर पत्रकारों को धमकी देना। ये इशारा करता है कि नक्सली बौखलाए हुए हैं। दरअसल नक्सली जानते हैं कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगा, फोर्स के ऑपरेशन भी बढ़ेंगे। ऐसे में वो कतई नहीं चाहते कि फोर्स वापस उन पर हमलावर हों, क्योंकि पहले ही तेलंगाना की तरफ से ग्रेहाउंड फोर्स ने उनके बड़े नेताओं को ढेर कर चुनौती बढ़ा दी है। ऐसे में अब नक्सली अपनी जमीन को बचाने फोर्स पर हमला कर रहे हैं।

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