शह मात The Big Debate: मैनपाट में मास्टर क्लास..विपक्षी मोर्चे में क्या खास? मैनपाट की मास्टर क्लास का सबसे अहम सबक क्या?
Chhattisgarh News: मैनपाट में मास्टर क्लास..विपक्षी मोर्चे में क्या खास? मैनपाट की मास्टर क्लास का सबसे अहम सबक क्या?
Chhattisgarh News | Photo Credit: IBC24
- जेपी नड्डा ने बीजेपी नेताओं को दी ‘करप्शन से बचें
- विनम्र बनें’ जैसी दो टूक सीख
- शाह की यात्राओं को लेकर कांग्रेस की हुंकार भरी
रायपुर: Chhattisgarh News कांग्रेस-बीजेपी के सियासी आयोजनों ये सियासत नहीं आसान..एक आग का दरिया है और डूब के जाना है। सत्ता अगर शेर की सवारी है, तो विपक्ष अग्निपथ छत्तीसगढ़ की सियासी जमीन आज पक्ष और विपक्ष के दांव-पेंचों और जोर आजमाइश की गवाह बनी। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही राष्ट्रीय दलों के अध्यक्ष एक ही दिन मौजूद रहे। दोनों के मकसद अलग, चुनौतियां अलग पर चाह एक सी पॉवर वाली पॉलिटिक्स के लिए ये सारी कवायद मैनपाट में नड्डा साहब जब मंत्री-विधायकों की मास्टर क्लास ले रहे थे। उसी दौरान कांग्रेस अध्यक्ष खरगे को कांग्रेसी अंबेडकर का आज का नया अवतार घोषित कर रहे थे। बीजेपी नेता जब सत्ता की नई समझ और नए शास्त्रों से लैस किए जा रहे थे। उसी दौरान कांग्रेसी, आरोपों और बयानों के नए अस्त्रों का संधान कर रहे थे। कुल मिलाकर वार-प्रतिवार लगातार धुआंधार वाला माहौल पूरे दिन बना रहा। अब जब दोनों ही मोर्चों से आज के युद्ध विराम का शंख बज चुका है तो हम निकले हैं ये पता लगाने की आज का स्कोर क्या रहा। कहां कितने आहत और कितनों को राहत और इससे भी आगे आखिर किसकी शह और किसको मात?
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Chhattisgarh News छत्तीसगढ़ मॉनसूनी फुहारों से तरबतर है लेकिन प्रदेश के पॉलिटिकल गलियारे का तापमान बढ़ा हुआ है। वजह है बीजेपी-कांग्रेस के बड़े आयोजन रायपुर में बारिश के बीच सांइस कॉलेज मैदान पर, कांग्रेस ने बड़ी जनसभा की नाम दिया ‘किसान, जवान और संविधान’ राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे ने गठबंधन के साथियों TDP-JDU की मदद से चल रही केंद्र सरकार पर, शाह के बार-बार बस्तर आगमन पर, इशारों वाले CM बताकर मुख्यमंत्री साय पर, धड़ल्ले से होते शराब कारोबार पर और संविधान संशोधन पर संघ को जमकर घेरा। बाकि नेताओं ने भी निशाना साधा।
दूसरी तरफ, बीजेपी ने मैनपाट में अपने जनप्रतिनिधियों की क्लास लगाई जिसमें- राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 3 दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग की शुरूआत पार्टी के विधायकों-सांसदों को दो टूक सीख से किया। नेताओं को नसीहत दी गई की जनता के बीच एक्टिव और विनम्र रहें, मीडिया में सोच-समझकर बोलें और करप्शन से बचें। कांग्रेस पर कटाक्ष किया कि वो ऐसे आयोजनों को कभी समझ ही नहीं सकते।
साफ है कि बीजेपी तीन दिवसीय प्रशिक्षण में पिछली गलतियों पर लगाम कसने, आगामी टास्क और ड्यूटीज पर फोकस कर रही है तो कांग्रेस केंद्र-राज्य के खिलाफ विरोध का परचम उठाए, जनता की आवाज बनने का दावा करती है। दोनों के सामने चुनौतियां कम नहीं हैं। सवाल ये है, कौन अपने मकसद में कामयाब रहा?

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