Loksabha Election: BJP का ‘विजय संकल्प’..कांग्रेस के पास क्या है विकल्प? जांजगीर से ही शाह ने क्यों किया शंखनाद?
Loksabha Election: BJP का 'विजय संकल्प'..कांग्रेस के पास क्या है विकल्प? जांजगीर से ही शाह ने क्यों किया शंखनाद?
रायपुर: Loksabha Election 2024 चुनाव के लिए कमर कस चुकी बीजेपी के सबसे बड़े रणनीतिकार केंद्रीय मंत्री अमित शाह गुरुवार को छत्तीसगढ़ में मिशन-11 की धुंआधार शुरूआत कर चुके हैं। पहले कोंडागांव में बस्तर क्लस्टर की मीटिंग फिर जांजगीर में आम सभा में संबोधन शाह का इलेक्शन प्लान तैयार है, अंदाज वही पुराना मीटिंग में नेताओं के पिछले कामों की समीक्षा, टीम को आगे का टास्ट और पब्लिक से सीधा कनेक्ट बनाने बड़ी जनसभा कांग्रेस का मानना है इस कवायद का छत्तीसगढ़ में कोई असर ना होगा क्योंकि यहां साय सरकार के काम और मोदी की गारंटी की पोल जनता के बीच खुल गई है। पर क्या वाकई कांग्रेस मोदी-शाह-नड्डा की टीम के सामने चुनौती के लिए तैयार है?
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Loksabha Election ये दो तस्वीरें बताती हैं कि जमीनी जमावट के सिद्धहस्त शाह का फोकस एक बार फिर छत्तीसगढ़ पर है। तय कार्यक्रम के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 22 फरवरी को कोण्डागांव पहुंचे। शाह ने कोण्डागांव ऑडिटोरियम में लोकसभा चुनाव के लिए बनाए गए बस्तर कलस्टर की मीटिंग ली। बैठक में छत्तीसगढ़ के CM विष्णुदेव साय समेत तीनों लोकसभा क्षेत्र के कुल 120 लोकसभा पदाधिकारी शामिल हुए। शाह ने पिछले कामों की समीक्षा की, आगामी चुनाव के लिए 24 निर्धारित बिंदुओं पर काम का निर्देश दिया, मुख्य रूप से युवा और महिलाओं को बूथ से जोड़ने और एक्टिव रहने का निर्देश दिया। इसके बाद अमित शाह जांजगीर में हाई स्कूल मैदान पर विजय संकल्प शंखनाद रैली में हुए शामिल शाह ने छत्तीसगढ़ को राम का ननिहाल बताते हुए, राम मंदिर के 500 साल के इंतजार के खत्म होने को मोदी सरकार का प्रयास बताया। 2019 चुनाव की याद दिलाई, पिछली कांग्रेस प्रदेश सरकार पर तंज कसा और 2024 में 11 सीटों पर जीत का दावा किया।
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शाह के छत्तीसगढ़ दौर से उत्साहित मुख्यमंत्री और डिप्टी CM का दावा है कि 24 के चुनाव में पार्टी को सभी 11 सीटों पर जीत मिलनी तय है। दूसरी तरफ कांग्रेस ने बीजेपी के दावे को खारिज करते हुए कहा कि साय सरकार के कार्यकाल में अभी से युवा, महिला, किसान दुखी हैं। छत्तीसगढ़ की जनता असलियत समझ चुकी है, ऐसे में शाह के आने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
कांग्रेस भले ही कह रही हो कि अमित शाह के आने से फर्क नहीं पड़ता लेकिन अबपी ज्यादा समय नहीं हुआ है। 2023 के विधानसभा चुनाव में विपरीत हालत में बीजेपी, कुछ ही हफ्तों में चुनावी माहौल को अपने पक्ष में कर पाई क्योंकि उसके पास मोदी का फेस, शाह की रणनीति और माथुर जैसे प्रभारी की जमीनी तौर पर ताबड़तोड़ काम किया। अब फिर 11 सीटों पर जीत के लिए मोदी-शाह-नड्डा के साथ-साथ प्रदेश नेताओं को टास्क सौंपें जा चुके हैं। सवाल है इस बार बीजेपी की किलेबंदी का कांग्रेस के पास क्या तोड़ है?

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