CG Ki Baat | Photo Credit: IBC24
रायपुर: CG Ki Baat देश में वक्फ संशोधन कानून 2025 को लेकर कुछ लोग विरोध का झंड़ा उठाए हैं, प्रदेश में धर्मांतरण मुद्दे का शोर है। इसी बीच बिलासपुर की गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसने हर किसी हैरान कर दिया। विपक्ष ने सरकार को कानून-व्यवस्था पर फिर घेरा तो सत्तापक्ष की सफाई के बावजूद एक नई बहस ने जोर पकड़ा है। हुआ ये कि NSS कैंप में 150 से ज्यादा हिंदू बच्चों को ईद के दिन नमाज पढ़ने के लिए मजबूर किया गया ये आरोप है हिंदू छात्रों का मामला थाने पहुंच चुका है, आरोपी प्रोफेसर को जिम्मेदारी से हटाकर, फैक्ट फाइंडिंग टीम बना दी गई है।
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CG Ki Baat 1 सुनने में अजीब लग सकता है लेकिन है सच दरअसल, बिलासपुर में 26 मार्च से 1 अप्रैल तक लगे NSS कैंप के दौरान वहां मौजूद 155 हिंदू छात्रों को गुमराह कर, योग की आड़ में नमाज पढ़वाई गई। शिकायतकर्ता छात्रों के मुताबिक 30 मार्च को ईद-उल-फितर के दिन, कोटा स्थित शिव तराई में बाकी दिनों की तरह NSS कैंप में सुबह 6:15 से 7:00 बजे के बीच, योग के लिए छात्र जमा हुए कुल 159 छात्र कैंप में थे, जिनमें से 4 मुस्लिम थे, कोऑर्डिनेटर ने चार मुस्लिम छात्रों को मंच पर बुलाकर नमाज अदा करने कहा और वहां मौजूद बाकी छात्रों को उसे दोहराने का आदेश दिया।
छात्र बताते हैं कि शिविर के दौरान इफ्तार पार्टी का भी आयोजन किया गया और तो और उस दौरान उनके मोबाइल फोन भी जब्त करा लिये गए। इसीलिए घटना का कोई वीडियो या फोटो साक्ष्य नहीं है, लेकिन हिंदू छात्रों ने पहचान छिपाते हुए वीडियो बनाकर घटना को कन्फर्म किया, कोनी थाने में इसकी शिकायत की गई, पुलिस ने यूनिवर्सिटी प्रबंधन से रिपोर्ट मांगी, मामले के तूल पकड़ने पर विवि प्रबंधन ने 3 सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बना दी है, संबंधित NSS कॉर्डिनेटर प्रोफेसर दिलीप झा को प्रभार से हटा दिया है। दूसरी तरफ प्रोफेसर झा फिलहाल छुट्टी पर हैं, तीर्थ यात्रा पर हैं। आरोपी प्रोफेसर के मुताबिक जो आरोप लगे हैं वो झूठे हैं, लेकिन नमाज क्यों पढ़ाई गई उसपर कोई बात नहीं कही।
वहीं, विपक्ष ने मामले को धर्मांतरण से जोड़ते हुए बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी सरकार में कानून व्यवस्था नाम की चीज नहीं बची है। वहीं, सत्तापक्ष का दावा है संजीदगी से जांच होगी, दोषी पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मामला अजीब है, आरोप संगीन है, सफाई भी है और दावे भी हैं लेकिन सवाल है कि आखिर हिंदू छात्रों से नमाज क्यों पढ़वाई गई, क्या सोच है इसके पीछे, ये किसी की सनक है या साजिश?