रायपुर/सौरभ सिंह परिहार। साल 2022 खत्म होने में बस चंद दिन बचे हैं। 2023 में विधानसभा चुनावों के लिए दल कमर कस चुके हैं। चुनाव जीतने की होड़ अब साफ-साफ दिखने लगी है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रदेश प्रभारी बनने के बाद पहली बार दौरे पर आईं कुमारी शैलजा ने राजीव भवन में ताबड़तोड़ मीटिंग लीं। कांग्रेस कार्यकारिणी से लेकर ब्लॉक प्रमुखों तक को सुना और एक लाइन का निर्देश दिया कि, मिलकर लड़ना है और हर हाल में मिशन 2023 जीतना है। लेकिन सवाल है इसके लिए नई प्रभारी के सामने चुनौतियां क्या हैं, प्रदेश सत्ता में बने रहने के लिए कुमारी शैलजा का मंत्र क्या है।
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(आदिवासी नृत्य करती कुमारी शैलजा के शॉट लगाएं)छत्तीसगढ़ की नई कांग्रेस प्रभारी कुमारी शैलजा जो रायपुर आते ही छत्तीसगढ़ के मिजाज में ढल गई हैं। उन्होंने आज राजीव भवन में 7 घंटे से ज्यादा समय में 4 मैराथन बैठक ली। इन सभी बैठकों का केवल एक ही उद्देश्य था 2023 में कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़ में बनाया जाए। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार की योजनाओं को जन-जन तक ले जाया जाए। भाजपा के प्रोपेगेंडा का मुंहतोड़ जवाब देते रहें और एआईसीसी के कार्यक्रमों को जमीनी स्तर पर क्रियान्वित करते रहें।
इससे पहले की प्रदेश कांग्रेस प्रभारी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम के मौजूदगी में कहा सत्ता और संगठन में बेहतर सामंजस्य होना चाहिए.. इस बैठक के बाद ही ब्लॉक अध्यक्षों की शिकायत उन्होंने कहा कि आपको मान सम्मान जरूर मिलेगा हालांकि उन्होंने यह भी कह दिया कि 100% किसी का काम नहीं होता..वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि आरक्षण संशोधन विधेयक के मुद्दे को लेकर 3 जनवरी को कांग्रेस रायपुर में महारैली का आयोजन करने जा रही है। इस पर बीजेपी ने पलटवार किया।
कुमारी शैलजा ने अपने पहले ही दौरे में ब्लॉक अध्यक्षों से लेकर प्रदेश पदाधिकारियों से चर्चा कर यह संदेश जरूर दे दिया है कि कांग्रेस पार्टी के लिए सभी नेता कार्यकर्ता समान है और मिल जुलकर 2023 का चुनाव छत्तीसगढ़ में जीतना है।