CG Contract Employees: लंबे इंतजार के बाद हजारों महिला संविदा कर्मचारियों की बड़ी जीत, हाईकोर्ट के आदेश के बाद शासन ने जारी किया वेतन

CG Contract Employees: लंबे इंतजार के बाद हजारों महिला संविदा कर्मचारियों की बड़ी जीत, हाईकोर्ट के आदेश के बाद शासन ने जारी किया वेतन

CG Contract Employees: लंबे इंतजार के बाद हजारों महिला संविदा कर्मचारियों की बड़ी जीत, हाईकोर्ट के आदेश के बाद शासन ने जारी किया वेतन

CG Contract Employees | Photo Credit: IBC24

Modified Date: August 18, 2025 / 09:41 pm IST
Published Date: August 18, 2025 9:41 pm IST
HIGHLIGHTS
  • हाईकोर्ट ने कहा: मातृत्व अवकाश केवल वेतन का नहीं
  • महिला सम्मान का भी अधिकार
  • शासन ने संविदा स्टाफ नर्स को मातृत्व अवकाश अवधि का पूरा वेतन दिया

बिलासपुर: CG Contract Employees उच्च न्यायालय में सोमवार को सुनवाई के दौरान शासन ने कोर्ट को अवगत कराया कि जिला अस्पताल कबीरधाम में कार्यरत संविदा स्टाफ नर्स को मातृत्व अवकाश अवधि का पूरा वेतन भुगतान कर दिया गया है। यह फैसला प्रदेश की हजारों महिला संविदा कर्मचारियों के लिए बड़ी जीत माना जा रहा है, क्योंकि मामला सीधे तौर पर महिला सम्मान और उनके संवैधानिक अधिकारों से जुड़ा हुआ था।

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CG Contract Employees याचिकाकर्ता स्टाफ नर्स ने 16 जनवरी 2024 से 16 जुलाई 2024 तक मातृत्व अवकाश लिया था, जो विधिवत स्वीकृत हुआ। 21 जनवरी को उन्होंने कन्या संतान को जन्म दिया और 14 जुलाई को पुनः कार्यभार ग्रहण किया। मातृत्व अवकाश की अवधि का वेतन शासन द्वारा नहीं दिया गया, जबकि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 2010 में इसका स्पष्ट प्रावधान है। इसी के चलते उन्होंने रिट याचिका और उसके पालन न होने पर अवमानना याचिका दायर की। मामले में न्यायमूर्ति रविन्द्र कुमार अग्रवाल की एकलपीठ ने पूर्व सुनवाई में ही शासन से कड़े शब्दों में पूछा था कि आदेश के बावजूद वेतन भुगतान क्यों नहीं किया गया।

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कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की थी कि यह मामला केवल आर्थिक अधिकार का नहीं बल्कि महिलाओं के सम्मान और गरिमा से संबंधित है। आज की सुनवाई में शासन की ओर से यह जानकारी दी गई कि याचिकाकर्ता को अब मातृत्व अवकाश की अवधि का वेतन दे दिया गया है। इसके साथ ही अवमानना याचिका का निष्कर्ष निकल आया। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता श्रीकांत कौशिक ने कहा- “यह केवल एक महिला स्टाफ नर्स की जीत नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की उन महिला संविदा कर्मियों की जीत है, जिन्हें वर्षों से मातृत्व अवकाश वेतन को लेकर संघर्ष करना पड़ रहा था। न्यायालय ने यह साफ कर दिया है कि मातृत्व अवकाश महिला कर्मचारियों का वैधानिक अधिकार है, चाहे उनकी नियुक्ति नियमित हो या संविदा।


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