सीएम भूपेश बघेल ने वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन के लिए लिखा पत्र, वनांचल क्षेत्रों के लिए मांगी ये सुविधाएं

सीएम भूपेश बघेल ने वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन के लिए लिखा पत्र, वनांचल क्षेत्रों के लिए मांगी ये सुविधाएं

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  • Publish Date - July 5, 2019 / 10:43 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:52 PM IST

रायपुरः सीएम भूपेश बघेल ने भारत सरकार को पत्र लिखकर वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन की मांग की है। भूपेश बघेल ने अपने पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ के वनांचल क्षेत्र में रहने वालों के जीवन स्तर को सुधारकर खुशहाली लाने के लिए इन क्षेत्रों में लघु वनोपज प्रसंस्करण, कृषि प्रसंस्करण एवं खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित ऐसे सूक्ष्म एवं लघु औद्योगिक इकाईयों का स्थापना किया जाना चाहिए, जिससे प्रदुषण न हो।

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मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में कहा है कि कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण वन क्षेत्रों के निवासियों को निर्बाध विद्युत आपूर्ति कर पाना कठिन कार्य है और बिना विद्युत व्यवस्था के किसी भी समुदाय की आर्थिक प्रगति संभव नहीं है। इस समस्या के निराकरण के लिए यह आवश्यक है कि वन क्षेत्रों में एक से 5 मेगावाट क्षमता के सौर संयंत्र परियोजनाओं की स्थापना हेतु अनुमति प्रदान की जाए। इसके लिए ‘नवीन एवं नवीकरण ऊर्जा मंत्रालय‘ भारत सरकार द्वारा वन-क्षेत्रों में गुणवत्तायुक्त विद्युत आपूर्ति हेतु विशेष कार्य योजना तैयार की जाए। उन्होंने इसके लिए भी ‘वन संरक्षण अधिनियम‘ के प्रावधानों में संशोधन करने तथा सौर ऊर्जा परियोजनाओं को ‘हरित गतिविधि‘ मान्य करने का आग्रह किया है।

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उन्होंने आगे लिखा है कि छत्तीसगढ़ राज्य के कुल भू-भाग का 44 प्रतिशत भाग वनों से आच्छादित है। छत्तीसगढ़ को ‘हरित प्रदेश‘ अथवा सम्पूर्ण देश को शुद्ध वायु आपूर्ति करने वाले राज्य होने का गौरव प्राप्त है, लेकिन वनों के आधिक्य के कारण वन क्षेत्रों के निवासियों का जीवन अत्यंत कठिन है। इन क्षेत्रों में ‘वन अधिनियम‘ एवं ‘वन संरक्षण अधिनियम‘ के कड़े प्रावधानों के कारण कृषि, व्यापार, उद्योग, सेवा क्षेत्र, संचार एवं परिवहन गतिविधियों का प्रसार अत्यंत सीमित है। इससे वन क्षेत्रों के निवासियों की आय में वृद्धि, गरीबी में कमी एवं जीवन स्तर में वृद्धि एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य बन चुका है। उन्होंने कहा कि राज्य के चिन्हांकित 10 आकांक्षी जिलों में से 9 जिलों के अधिकांश भागों में वन हैं। वन क्षेत्रों के निवासियों के जीवन में खुशहाली लाना राज्य सरकार का नैतिक दायित्व है, लेकिन इसमें केन्द्र सरकार का पूर्ण सहयोग भी अत्यंत आवश्यक है।

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