ई-टेंडरिंग घोटाला मामले में हो सकता बड़ा खुलासा, इंजीनियर्स टीम रिकवर कर रही फर्जी ई मेल अकाउंट और डिलीट मैसेजस

ई-टेंडरिंग घोटाला मामले में हो सकता बड़ा खुलासा, इंजीनियर्स टीम रिकवर कर रही फर्जी ई मेल अकाउंट और डिलीट मैसेजस

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  • Publish Date - February 8, 2019 / 03:02 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:51 PM IST

रायपुर : ई-टेंडरिंग घोटाला मामले की जांच में आने वाले दिनों में कुछ महत्वपूर्ण खुलासे हो सकते हैं । घोटाले की जांच के लिए 2 सॉफ्टवेयर इंजीनियर साथ ही एक अन्य इंजीनियर की टीम गुरूवार को रायपुर पहुंची । इंजीनियर विशेष मशीन के जरिए डिलीट हो चुके कई फर्जी इमेल अकाउंट समेत कई अहम दस्तावेज को रिकवर करने में जुटे है,EOW की SIT के सामने चल रही जांच में तीनों इंजीनियर आनंद नगर स्थित EOW के दफ्तर से जब्त सभी 76 कम्प्युटरों की हार्डडिस्क की बारीकी से जांच कर रहे है।

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दरअसल CAG रिपोर्ट में इसे करोड़ों की गड़बड़ी बताये जाने के बाद राज्य सरकार ने इस पूरे मामले की जांच के लिए EOW की एक SIT बनाई थी, जिसने नोडल ऐजेंसी चिप्स के दफ्तर पर दबिश देकर कई हार्डडिस्क और अहम दस्तावेज जब्त किये थे। EOW के सूत्रों के अनुसार यदि जब्त हार्डडिस्क में डिलीट किया गया  डाटा रिकवर हो जाता है तो इस मामले में कई आलाधिकारियों के नाम उजागर हो सकते है ।

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आपको बता दें कि पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल में ई-टेंडर के नाम पर चिप्स में 4601 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ। ये प्रदेश में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है। राज्य के प्रधान महालेखाकार यानि कैग ने अपनी रिपोर्ट में बीते 5 साल के दौरान हुए इस भ्रष्टाचार का खुलासा किया है।

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प्रधान महालेखाकार विजय कुमार मोहंती ने एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार की आईटी एजेंसी चिप्स ने पीडब्लूडी, जलसंसाधन समेत 17 विभागों के निर्माण कार्यों के लिए ई-टेंडरिंग की प्रकिया लागू की, लेकिन टेंडर प्रक्रिया में इतने लूप-होल रखे कि बिना किसी प्रतिस्पर्धा के पसंदीदा ठेकेदारों को वर्कआर्डर दिए जाते रहे। कैग ने खुलासा किया कि जिस कंप्यूटर से टेंडर भरे और मंजूर हुए वो अफसरों के थे। ठेकेदारों के साथ चिप्स और विभागीय अफसर मिलकर काम करते थे। कैग ने मामले में जांच की सिफारिश की है।