महाकाल की नगरी में नृसिंह जयंती, पुरोहित ने पुत्र के साथ निभाई वर्षो पुरानी परंपरा

महाकाल की नगरी में नृसिंह जयंती, पुरोहित ने पुत्र के साथ निभाई वर्षो पुरानी परंपरा

महाकाल की नगरी में नृसिंह जयंती, पुरोहित ने पुत्र के साथ निभाई वर्षो पुरानी परंपरा
Modified Date: November 29, 2022 / 08:26 pm IST
Published Date: May 6, 2020 7:34 am IST

उज्जैन। धर्म नगरी उज्जैन में यूं तो प्रत्येक त्यौहार बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाए जाते हैं । हालांकि इस समय कोरोना वायरस के कारण यहां चारों ओर सन्नाटा पसरा है। नृसिंह जयंती पर प्रतिवर्ष शहर में सुबह से ही धार्मिक आयोजन शुरू हो जाते हैं, लेकिन इस बार कोई आयोजन नहीं किए जा रहे हैं। ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला।

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वर्षों से चली आ रही परंपरा को निभाने के लिए यहां शहर में एक पुरोहित अपने पुत्र को साथ लेकर नृसिंह यात्रा निकाली। रास्ते में पिता- पुत्र ने भगवान नृसिंह के जयकारे लगाए। नृसिंह भगवान श्रीहर‍ि के चौथे अवतार माने गए हैं । यूं तो संपूर्ण भारत में नृसिंह भगवान की पूजा की जाती है। लेकिन दक्षिण भारत में वैष्‍णव संप्रदाय के लोग इन्‍हें व‍िपत्ति के समय रक्षा करने वाले देवता के रूप में पूजते हैं।

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दरअसल व‍िष्‍णु भगवान ने यह अवतार भी अपने भक्‍त के कल्‍याण के लिए ही धारण क‍िया था। लेकिन यह अवतार अन्‍य अवतारों से थोड़ा अलग था। इसमें वह आधे सिंह और आधे मनुष्‍य के रूप में थे। यानी कि उनका धड़ तो मानव रूप में था। लेक‍िन चेहरा और हाथ-पैर स‍िंह की तरह थे। यह रूप उन्‍होंने अपने भक्‍त प्रह्लाद की रक्षा और दैत्‍य हिरण्यकश्यप के वध के लिए धारण किया था।


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