पुलिस ने पीटा, धमकाया लेकिन अड़ी रही गैंगरेप पीड़िता, हाईकोर्ट ने CBI जांच का दिया आदेश, TI सहित अन्य के खिलाफ दिए FIR के निर्देश

पुलिस ने पीटा, धमकाया लेकिन अड़ी रही गैंगरेप पीड़िता, हाईकोर्ट ने CBI जांच का दिया आदेश, TI सहित अन्य के खिलाफ दिए FIR के निर्देश

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  • Publish Date - June 23, 2021 / 03:43 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:55 PM IST

ग्वालियर। बहुचर्चित दलित नाबालिग लड़की के साथ हुए गैंगरेप के मामले में आज हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने बड़ा फैसला सुनाया है। शुरूआती दौर में हाईकोर्ट ने ग्वालियर पुलिस को इस मामले में सिलसिलेवार तरीके से दोषी माना है। साथ ही आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के बजाय उलटे फरियादिया पर उत्पीड़न करने के पुलिस की कार्रवाई को गंभीर कृत्य माना है।

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हाईकोर्ट ने कहा है कि पुलिस के रवैये को देखकर नहीं लगता कि पीड़िता को न्याय मिल सकेगा। इसलिए इस पूरे मामले को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई के सुपुर्द करने का आदेश कोर्ट ने दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस मामले में लिप्त पुलिस अफसरों पर 50 हजार रुपए का हर्जाना लगाया जाता है, जो तुरंत ही पीड़िता को दिलवाया जाए।

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 हाईकोर्ट ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुमन गुर्जर, सीएसपी रामनरेश पचौरी, मुरार टीआई अजय पवार, सिरोल टीआई प्रीति भार्गव, सब इंस्पेक्टर कीर्ति उपाध्याय को ग्वालियर चंबल रेंज से बाहर पदस्थ किया जाए। साथ ही मुरार थाने के टीआई और सब इंस्पेक्टर कीर्ति उपाध्याय पर नाबालिग दलित लड़की और उसके परिवार के साथ मारपीट करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की जाए।  हाईकोर्ट ने दलित लड़की को स्वतंत्रता दी है कि वह अतिरिक्त मुआवजे के लिए न्यायालय में अलग से याचिका दायर कर सकती है।

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दरअसल उपनगर मुरार थाना क्षेत्र में एक दलित 16 साल की नाबालिग लड़की के साथ आदित्य भदौरिया और एक अन्य ने दुष्कर्म किया था। आदित्य भदौरिया के दादा गंगा सिंह भदोरिया ने पुलिस से अपनी नजदीकी का लाभ उठाकर पीड़िता का ही उत्पीड़न किया और उस पर दबाव बनाया कि वह पुलिस में बलात्कार की रिपोर्ट वापस ले। लेकिन लड़की अड़ी रही। इसी के चलते उसे और उसके परिवार को पुलिस का अत्याचार झेलना पड़ा। खास बात यह है कि लड़की ने एक फरवरी को जिला न्यायालय में 164 के तहत पुलिस के खिलाफ अपने बयान भी दर्ज कराए थे। हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि क्योंकि लड़की अनुसूचित जाति वर्ग से आती है। इसलिए पुलिस अफसरों के खिलाफ दलित उत्पीड़न की धाराओं के तहत भी मामला दर्ज किया जाए।

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