जीवन जीने के अधिकार में शामिल है राइट टू हेल्थ, सरकारी दावों के मुकाबले जमीनी हालात अलग: हाईकोर्ट ने जारी किया 22 पन्नों का आदेश
जीवन जीने के अधिकार में शामिल है राइट टू हेल्थ, सरकारी दावों के मुकाबले जमीनी हालात अलग: हाईकोर्ट ने जारी किया 22 पन्नों का आदेश
जबलपुर: मध्यप्रदेश में कोरोना का संक्रमण तेजी से पांव पसार रहा है। मरीजों की संख्या में बढ़ने के साथ ही ऑक्सीजन की किल्लत भी देखने को मिल रही है। कोरोना महामारी के मामले में हाईकोर्ट ने आज प्रदेश सरकार को 22 पन्नों का आदेश जारी किया है। बता दें कि प्रदेश में आज भी मध्यप्रदेश में आज 12 हजार 379 कोरोना मरीज मिले हैं और 102 मरीजों की मौत हुई है।
हाईकोर्ट की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि सरकारी दावों के मुकाबले प्रदेश की जमीनी हालात बिल्कुल अलग। ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौतें दुखदाई और शर्मनाक है। राइट टू हैल्थ जीवन जीने के अधिकार में शामिल है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा है कि पूर्व आदेश का पालन करने में राज्य सरकार नाकाम रही है।
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सुनवाई के दौरान रेमडेसिविर की मारामारी को लेकर कहा कि रेमडेसिविर इंजेक्शन वितरण पॉलिसी गलत है, सिर्फ ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीज को इंजेक्शन देना बेतुका फैसला है। अधिकारी के बजाय डॉक्टर की प्रिसक्रिप्शन को ही वितरण का आधार माना जाए।
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हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कोर्ट को भी यह निर्देश दिया है कि मध्यप्रदेश को मिलने वाली लिक्विड ऑक्सीजन के मौजूदा एलॉटमेंट में 100 मीट्रिक टन कोटा बढ़ाने पर विचार करें। साथ ही रेमडेसीविर के मौजूदा कोटे को 20 फ़ीसदी बढ़ाएं। साथ ही कोर्ट ने अगली सुनवाई में कंप्लायंस रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 6 मई को होगी।

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