Raipur Smat city News 2021 : लापरवाही का पौधा..भ्रष्टाचार का पेड़! करोड़ों खर्च कर लगावाए पौधे…लेकिन नहीं लौटी हरियाली…आखिर कहां गए पौधे?

Raipur Smat city News 2021 : लापरवाही का पौधा..भ्रष्टाचार का पेड़! करोड़ों खर्च कर लगावाए पौधे...लेकिन नहीं लौटी हरियाली...आखिर कहां गए पौधे?

Raipur Smat city News 2021 :  लापरवाही का पौधा..भ्रष्टाचार का पेड़! करोड़ों खर्च कर लगावाए पौधे…लेकिन नहीं लौटी हरियाली…आखिर कहां गए पौधे?
Modified Date: November 29, 2022 / 08:47 pm IST
Published Date: July 4, 2021 6:22 pm IST

Raipur Smat city News 2021 

रायपुर : स्मार्ट सिटी के दस्तावेज कहते हैं कि यहां करोड़ों के पेड़ लगाए गए हैं, लेकिन जहां हरे-भरे पेड़ दिखने चाहिए थे वो जगह विरान पड़ी हुई है। विभाग और अधिकारियों ने दावा तो किया कि यहां भी करोड़ों के पेड़ लगाए गए हैं, लेकिन जमीनी हकीकत क्या है? ये जानने के लिए हमारी टीम मौके पर पहुंची। रायपुर स्मार्ट सिटी में जनता के पैसे से लगे पेड़ तो नदारद हैं, लेकिन जो उग रहे हैं वो हैं ‘भ्रष्टाचार के पेड़’।

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IBC24 की टीम ने बीते समय में रायपुर स्मार्ट सिटी के कामों का विशलेषण किया तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। पता चला रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड बीते दो सालों में रायपुर और आउटर के इलाकों में वृक्षारोपण के नाम पर लगभग 25 हजार पेड़ के लिए साढ़े 7 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है, ठेकेदारों को 1 पेड़ के लिए औसतन 28 सौ रुपए से लेकर 3 हजार रुपए भुगतान गया। लेकिन जब IBC24 की टीम ने वृक्षारोपण वाली जगहों की पड़ताल की तो जो हकीकत सामने आई वो और भी चौंकाने वाली थी। जून-जुलाई 2019 में रायपुर की चारों दिशाओं में स्मार्ट सिटी लिमिटेड के माध्यम से 7 करोड़ रुपए के लगभग 25 हजार पेड़ लगाने के टेंडर किए गए। वर्तमान में ये सभी टेंडरों का कार्य पूर्ण बताया जा रहा है, लेकिन जो सच्चाई है वो कुछ और ही है। इस बारे में जब जिम्मेदारों से सवाल पूछे गए तो वो बगलें झांकने लगे।

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रायपुर स्मार्ट सिटी के दस्तावेजों के तहत रायपुर दक्षिण में 1 सौ उनसठ लाख रुपए का वृक्षारोपण किया गया। बिन्नी बाई सोनकर स्कूल, भाठागांव नाला के पास 23 सौ से ज्यादा पेड़ लगाए गए हैं, लेकिन जमीनी स्थिति कुछ और ही है। स्कूल परिसर में पेड़ दिखाई तो देते हैं, मगर मुआयना करने में पेड़ों की संख्या में गड़बड़ी लगती है। दरअसल टेंडर शर्तों के अनुसार तीन साल तक पेड़ों का रखरखाव नहीं किया गया। स्कूल परिसर में शेड के नीचे पेड़ लगा दिए गए जो मर चुके हैं। वहीं, मैदान में जगह-जगह गड्डे और मिट्टी के डेर दिखाई देते हैं जिन्हे शायद पेड़ लगाने के लिए तैयार किया गया था लेकिन पेड़ लगाए ही नहीं गए।

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दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के विधायक बृजमोहन अग्रवाल ना सिर्फ अपने विधानसभा क्षेत्र बल्कि पूरे रायपुर में किए गए वृक्षारोपण पर सवाल उठा रहे हैं। सरोना ट्रेंचिंग ग्राउंड में जिस जगह रायपुर शहर का कचरा डंप होता था वहां भी 21 सौ का एक पेड़ लगाने का दावा है। लेकिन मौके पर जाने पर मैदान के सामने की ओर पेड़ों की कतारें तो दिखाई देती है लेकिन थोड़ा आगे बढ़ने पर कुछ नजर नहीं आता।

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रायपुर पश्चिम में एक करोड़ 99 लाख के वृक्षारोपण के बारे में विधायक विकास उपाध्याय गड़बड़ी की शिकायत पर पहले कहते हैं कि पेड़ मरते भी हैं लेकिन ठेकेदारों द्वारा मेंटेनेंस की बात पर जोर देकर कार्रवाई और जांच की बात भी कह रहे हैं ।

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रायपुर दक्षिण के बाद IBC24 की टीम रायपुर उत्तर इलाके की पड़ताल के लिए पहुंची। स्मार्ट सिटी के रिकार्ड के अनुसार कुल 1 करोड़ 99 लाख रुपए के पड़े लगाए गए। खासकर दलदल सिवनी के ITI गर्ल्स और व्बॉज हास्टल, सांइस सेंटर गांधी हास्टल में साढ़े 6 हजार से ज्यादा पेड़ लगाए गए हैं, लेकिन मौके पर जो नजारा था वो कुछ और ही था। ITI ब्वायज और गर्ल्स हास्टल में लगभग 3 हजार पेड़ लगाने का दावा था। हास्टल के सामने कुछ पेड़ जरुर दिखाई दिए, लेकिन ब्वायज हास्टल में जहां संख्या 13 सौ 26 बताई गई जा रही है वहीं बगल और पीछे गिनती के पेड़ लगे हैं। सालों से बंद पड़े गर्ल्स हास्टल और स्थिति और भी खराब थी, यहां नाम मात्र के ही पेड़ लगे हैं। इन सब जगहों के बीच पता चला की बीते दिनों में अधिकारियों से लगातार सवाल होने के बाद कुछ कर्मचारी यहां गड्डे खोद कर पेड़ लगाने की तैयारी कर रहे हैं। मौके पर कई जगह ताजा खुदे गड्डे दिखाई पड़े, वहीं सवाल पूछने पर वहां मौजूद लोग कुछ भी कहने से बचते रहे।

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रायपुर उत्तर के विधायक कुलदीप जुनेजा कहते हैं की पेड़ों की निगरानी नहीं हो रही है। ऐसे में अधिकारियों की गलती है और ठेकेदारों को नोटिस देकर रिकवरी और कार्रवाई होनी चाहिए।

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स्मार्ट सिटी के रिकार्ड में दलदल सिवनी स्थित साइंस सेंटर के पीछे पार्क में लाखों के पेड़ लगे हैं। स्मार्ट सिटी के रिकार्ड में बताया गया कि साइंस सिटी में 18 सौ 91 पेड़ लगाए गए हैं, लेकिन मौके पर पहुंचने पर यहां सीनियर क्यूरेटर ने बताया कि यहां कोई पेड़ स्मार्ट सिटी द्वारा नहीं लगाए गए है। सच्चाई जानने हमारी टीम जब विज्ञान भवन पहुंची तो पता चला की यहां कभी 18 सौ पेड़ लगाए ही नहीं गए हैं। यहां भी सेंटर के बाहर हमें कई ताजा गड्डे खुदे हुए दिखाई दिए जिन्हे पेड़ लगाने के लिए आज-कल में खोदा गया है।

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एम्स की रेसिडेंसियल कॉलोनी का नजारा भी बाकी सभी जगहों जैसा था। यहां भी स्मार्ट सिटी ने 26 सौ 65 पेड़ लगाने का दावा किया लेकिन यहां का हाल अन्य जगहों से अलग नहीं है। पेड़ की खोज में हम एक्सप्रेस-वे पहुंचे। दावा है कि यहां भी करीब 26 सौ से ज्यादा पेड़ लगे हैं। लेकिन हकीकत में करीब 17 लाख रुपए के 6 सौ पेड़ कम हैं। पड़ताल पर पहुंची टीम ने पाया की अंधेरे का फायदा उठाकर तेलीबांधा से देवपुरी जाने वाले निर्माणाधीन एक्सप्रेस-वे में पेड़ लगाने की तैयारी की जा रही है और सड़क किनारे बड़ी संख्या में पेड़ जमा किए जा रहे हैं।

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आईबीसी 24 की पड़ताल के दौरान कलेक्ट्रेट परिसर में बुलाई गई दिशा समिति की बैठक में पहुंचे सांसद सोनी, महापौर एजाज ढेबर ने गंभीर सवाल उठाते हुए कहा की इस मामले में जांच कर लापरवाही या गलती पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई होगी। जबकि निगम के नव नियुक्त आयुक्त और स्मार्ट सिटी के MD प्रभात मलिक ने भी माना की 25 हजार में लगभग 20 से 25 प्रतिशत पेड़ों का हिसाब नहीं या वो मर चुके हैं। आयुक्त मलिक ने ठेकेदारों को नोटिस और कार्रवाई की बात कही पर मगर ऑन कैमरा कुछ भी कहने से बचते रहे। हालांकि सासंद सुनील सोनी ने कहा की अगर गड़बड़ी हुई है तो अधिकारियों को खुलकर मीडिया के सामने कहना चाहिए। इस मामले में तत्काली महापौर प्रमोद दुबे ने भी जांच और कार्रवाई की बात कही है। हर साल हरियाली बढ़ाने के उद्देश्य से वन विभाग व्यापक पौधरोपण अभियान चलाता है। कई करोड़ नए पौधे लगाए जाते हैं, जागरूकता अभियान चलते हैं। बावजूद इसके वनक्षेत्र सिकुड़ता जा रहा है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि यह पौधे गए कहां? क्या केवल कागज में ही पौधे लगा दिए गए?

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कुल मिलाकर भ्रष्टाचार की बली चढ़े पेड़ और घटता वनक्षेत्र चिंता का विषय है। हर साल हरियाली बढ़ाने के उद्देश्य से वन विभाग व्यापक पौधरोपण अभियान चलाता है। कई करोड़ नए पौधे लगाए जाते हैं, जागरूकता अभियान चलते हैं। बावजूद इसके पेड़ दिखाई नहीं दे रहे। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि ये पौधे गए कहां? क्या केवल कागज में ही पौधे लगा दिए गए? हमारी पड़ताल में हुए खुलासे साबित करते हैं कि हरियाली भले ही धरा पर न दिखे, लेकिन अफसरों के आंगन में खूब लहलहाई है।

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लेखक के बारे में

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