12वीं की परीक्षा : अंतिम परीक्षा में मिले अंकों पर ही विचार की सीबीएसई की नीति को न्यायालय ने खारिज किया

CBSE 12th Exam: अंतिम परीक्षा में मिले अंकों पर ही विचार की सीबीएसई की नीति को कोर्ट ने खारिज किया

12वीं की परीक्षा : अंतिम परीक्षा में मिले अंकों पर ही विचार की सीबीएसई की नीति को न्यायालय ने खारिज किया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:23 PM IST, Published Date : January 7, 2022/3:20 pm IST

नई दिल्ली, सात जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को सीबीएसई की पिछले साल जून की मूल्यांकन नीति में निर्दिष्ट उस शर्त को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि बाद की परीक्षा में प्राप्त अंकों को कक्षा 12 के छात्रों के मूल्यांकन के लिए अंतिम माना जाएगा।

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न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) अंतिम परिणाम की घोषणा के लिये प्रतिभागी को अंतिम शैक्षणिक वर्ष में किसी विषय में प्राप्त दो अंकों में से बेहतर को स्वीकार करने का विकल्प प्रदान करेगा।

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न्यायालय पिछले साल सीबीएसई द्वारा कक्षा 12 के अंकों में सुधार के लिये आयोजित परीक्षा में शामिल हुए कुछ छात्रों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि 17 जून, 2021 की नीति के खंड-28 में प्रावधान के बारे में शिकायत की गई है जिसमें कहा गया है कि “… इस नीति के अनुसार, बाद की परीक्षा में प्राप्त अंकों को अंतिम माना जाएगा।” पीठ ने कहा, “इस के परिणामस्वरूप, हमें खंड-28 में उल्लेखित उस शर्त विशेष को खारिज करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि बाद की परीक्षा में अर्जित अंकों को अंतिम माना जाएगा।”

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न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की शिकायत है कि यह शर्त पिछली नीति को हटाकर जोड़ी गई है, जहां एक विषय में एक उम्मीदवार द्वारा प्राप्त किए गए दो अंकों में से बेहतर को परिणाम की अंतिम घोषणा में रखा जाना था। न्यायालय ने कहा कि सीबीएसई द्वारा पूर्व की नीति को हटाने के लिये कोई औचित्य नहीं बताया गया। सीबीएसई के पिछले साल 12वीं के बोर्ड के इम्तिहान महामारी के कारण रद्द कर दिए गए थे।

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याचिका निस्तारित करते हुए पीठ ने कहा कि उस नीति को अपनाए जाने की जरूरत थी क्योंकि छात्रों द्वारा चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना किया जा रहा है और यह अपने आप में उस प्रावधान को न्यायोचित ठहराता है जो छात्रों के लिए ज्यादा अनुकूल हो। शुरुआत में, सीबीएसई के वकील ने कहा कि इन छात्रों का मूल्यांकन सुधार परीक्षा के अनुसार किया गया है, और अब वे नीति का लाभ नहीं उठा सकते हैं। पीठ ने कहा, “यह आपको कैसे प्रभावित करता है? हमें औचित्य दें, ऐसा क्यों संभव नहीं है।”

 

 
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