पंजाब में 15 सितंबर से 18 अक्टूबर तक पराली जलाने के 241 मामले सामने आये: आंकड़े
पंजाब में 15 सितंबर से 18 अक्टूबर तक पराली जलाने के 241 मामले सामने आये: आंकड़े
चंडीगढ़, 19 अक्टूबर (भाषा) पंजाब में इस मौसम में पराली जलाने की अब तक 241 घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिनमें तरनतारन जिले में सबसे अधिक 88 घटनाएं हुई हैं क्योंकि किसान पराली नहीं जलाने की सरकारी अपील को लगातार नजरअंदाज कर रहे हैं। आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
अक्टूबर और नवंबर में धान की फसल की कटाई के बाद दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए अक्सर पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराया जाता है।
धान की कटाई के बाद रबी की फसल गेहूं की बुवाई के लिए समय बहुत कम होता है, इसलिए कुछ किसान पराली को जल्दी से हटाने के लिए अपने खेतों में काटी जा चुकी फसल के अवशेष में आग लगा देते हैं।
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार पंजाब में 15 सितंबर से 18 अक्टूबर तक पराली जलाने की 241 घटनाएं दर्ज की गईं, जो 11 अक्टूबर के 116 से 125 अधिक हैं।
आंकड़ों के अनुसार तरनतारन में पराली जलाने की सबसे अधिक 88 घटनाएं हुईं, इसके बाद अमृतसर में 80, फिरोजपुर में 16 और पटियाला में पराली जलाने की 11 घटनाएं हुईं।
पराली जलाने की घटनाओं को दर्ज करने का काम 30 नवंबर तक जारी रहेगा।
अब तक 113 मामलों में पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में 5.60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा चुका है। कुल राशि में से 4.15 लाख रुपये वसूल किए जा चुके हैं।
आंकड़ों से पता चला है कि पराली जलाने के संबंध में कुल 132 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, जिनमें से 50 तरनतारन में और 37 अमृतसर में दर्ज की गई हैं।
ये मामले भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 (किसी लोक सेवक द्वारा विधिवत जारी आदेश की अवज्ञा) के तहत दर्ज किए गए हैं।
राज्य के अधिकारियों ने पराली जलाने वाले किसानों के भूमि अभिलेखों में 87 लाल प्रविष्टियां भी दर्ज की हैं, जिनमें सबसे ज्यादा तरनतारन और अमृतसर में दर्ज की गई हैं।
भाषा सुरभि देवेंद्र
देवेंद्र

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