कोवैक्सीन की दोनों डोज कितना असरदार, 2,714 लोगों पर किया गया रिसर्च, सामने आई ये बात

corona symptoms : भारत के स्वदेश में विकसित कोरोना वायरस टीके के पहले वास्तविक आकलन में यह दावा किया गया है..

कोवैक्सीन की दोनों डोज कितना असरदार, 2,714 लोगों पर किया गया रिसर्च, सामने आई ये बात
Modified Date: November 29, 2022 / 08:53 pm IST
Published Date: November 24, 2021 10:52 am IST

नयी दिल्ली। लक्षण वाले कोविड-19 रोग के खिलाफ कोवैक्सीन टीके की दो खुराक 50 प्रतिशत प्रभावी पाई गई हैं। भारत के स्वदेश में विकसित कोरोना वायरस टीके के पहले वास्तविक आकलन में यह दावा किया गया है जिसका प्रकाशन ‘द लांसेट इन्फेक्शियस डिजीज’ जर्नल में किया गया है।

हाल में लांसेट में प्रकाशित अंतरिम अध्ययन के परिणाम में सामने आया था कि कोवैक्सीन या बीबीवी152 टीके की दो खुराक लक्षण वाले रोग के खिलाफ 77.8 फीसदी प्रभावी है और इसकी सुरक्षा को लेकर कोई गंभीर चिंता नहीं है। कोवैक्सीन को बीबीवी152 भी कहा जाता है।

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लांसेट के नवीनतम अध्ययन में दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 15 अप्रैल से 15 मई तक 2,714 अस्पताल कर्मियों को शामिल किया गया, जिन्हें कोविड के लक्षण थे और जिन्होंने संक्रमण का पता लगाने के लिए आरटी-पीसीआर जांच कराई थी।

अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन के दौरान भारत में वायरस के डेल्टा स्वरूप का प्रकोप था और तब कोविड-19 के कुल पुष्ट मामलों में से 80 फीसदी के लिए यही स्वरूप जिम्मेदार था।

हैदराबाद की भारत बायोटेक ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान, पुणे (एनआईवी-आईसीएमआर) के साथ मिलकर कोवैक्सीन का निर्माण किया जिसे 28 दिन के अंतर पर दो खुराक में दिया जाता है।

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कोवैक्सीन को भारत में 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों के लिए आपात उपयोग की मंजूरी जनवरी में दी गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसी महीने कोवैक्सीन को कोविड-19 टीकों के आपात उपयोग के लिए स्वीकृत टीकों की सूची में शामिल किया था।

लांसेट का अध्ययन भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों पर किया गया जिन्हें प्राथमिक रूप से कोवैक्सीन टीका लगाने की पेशकश की गई थी। एम्स, नई दिल्ली में मेडिसिन के एडीशनल प्रोफेसर मनीष सोनेजा ने कहा, ‘‘हमारा अध्ययन इस बारे में एक पूरी तस्वीर दिखाता है कि बीबीवी152 (कोवैक्सीन) इस क्षेत्र में कैसे काम करता है। इस पर भारत में कोविड-19 के मामले बढ़ने की पृष्ठभूमि में और डेल्टा स्वरूप के टीके से बच निकलने की क्षमता को देखते हुए विचार किया जाना चाहिए।’’

एम्स स्थित कोविड टीकाकरण केंद्र में इस साल 16 जनवरी से सभी 23,000 कर्मियों को कोवैक्सीन टीका विशेष रूप से उपलब्ध करवाया गया था। अनुसंधानकर्ताओं ने लक्षण वाले सार्स-सीओवी-2 संक्रमण के खिलाफ टीके के प्रभाव का आंकलन किया था। अध्ययन में शामिल 2,714 कर्मचारियों में से 1,617 लोगों को सार्स-सीओवी-2 होने की पुष्टि हुई थी और 1,097 को संक्रमण नहीं होने का पता चला था।

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अध्ययन में सामने आया कि कोवैक्सीन टीके की दो खुराक के बाद लक्षण वाले कोविड-19 रोग से 50 प्रतिशत बचाव हुआ, जिसमें आरटी-पीसीआर जांच दूसरी खुराक के 14 या अधिक दिन बाद कराई गई थी। अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक, सात सप्ताह की फॉलोअप अवधि में दोनों खुराक का प्रभाव बना रहा।

एम्स में मेडिसिन की सहायक प्रोफेसर पारूल कोदान ने कहा, ‘‘अध्ययन के निष्कर्ष पहले के अन्य अध्ययन की पुष्टि करते हैं जिनमें कहा गया था कि सर्वाधिक बचाव पाने के लिए बीबीवी152 की दो खुराक आवश्यक हैं।’’

अध्ययनकर्ताओं ने यह स्वीकार किया कि इस अध्ययन में कोवैक्सीन को जितना प्रभावी पाया गया है वह तीसरे चरण के ट्रायल के हाल में प्रकाशित अनुमान के मुकाबले कम है।


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