हरियाणा के फरीदाबाद में 780 एकड़ वन भूमि पर 6,793 अवैध निर्माण: रिपोर्ट

हरियाणा के फरीदाबाद में 780 एकड़ वन भूमि पर 6,793 अवैध निर्माण: रिपोर्ट

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  • Publish Date - September 4, 2025 / 05:10 PM IST,
    Updated On - September 4, 2025 / 05:10 PM IST

नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने शीर्ष अदालत को बताया है कि वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 का उल्लंघन करते हुए हरियाणा के फरीदाबाद में 780 एकड़ वन भूमि पर फार्महाउस, स्कूल और सरकारी भवनों समेत लगभग 6,800 अवैध ढांचे बनाए गए हैं।

समिति ने 29 अगस्त की अपनी अंतरिम रिपोर्ट में कहा कि विचाराधीन भूमि पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम (पीएलपीए), 1900 के तहत अधिसूचित है और यह अनखीर, अनंगपुर, लक्कड़पुर और मेवला महाराजपुर गांवों में फैली हुई है।

इसमें कहा गया है कि 1980 के कानून के तहत इस भूमि में वन भूमि की सभी विशेषताएं मौजूद हैं, इसलिए 25 अक्टूबर 1980 से केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति के बिना इसका उपयोग गैर-वनीय उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा सकता।

सीईसी ने कहा कि ‘‘फार्महाउस, मैरिज गार्डन, बैंक्वेट हॉल और इस तरह के अन्य निर्माण’’ अवैध रूप से किए गए हैं और शीर्ष अदालत के 21 जुलाई, 2022 के निर्देशों के अनुपालन में जिला अधिकारियों द्वारा ‘‘261.06 एकड़ क्षेत्र में फैले 88 स्थानों पर स्थित 241 संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया गया है।’’

समिति का कहना है कि कार्रवाई के बावजूद बड़े पैमाने पर उल्लंघन जारी है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘हरियाणा के फरीदाबाद में पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम, 1900 की धाराओं 4 और 5 के तहत अधिसूचित भूमि पर 780.26 एकड़ क्षेत्र में निर्माण किया गया है। ये निर्माण वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 के प्रावधानों का उल्लंघन है।’’

अकेले अनंगपुर में 286 एकड़ में 5,948 संरचनाएं हैं, अनखीर में लगभग 250 एकड़ में 339 संरचनाएं, लक्कड़पुर में लगभग 197 एकड़ में 313 संरचनाएं और मेवला महाराजपुर में 46 एकड़ में 193 संरचनाएं हैं।

सीईसी ने कहा कि बड़े वाणिज्यिक ढांचों के ध्वस्त होने से इन क्षेत्रों में ‘‘मानव गतिविधि में काफी कमी’’ आई है और ‘‘वनस्पति में स्पष्ट सुधार’’ हुआ है।

इसने कहा कि वन विभाग ने बताया कि ‘‘इस भूभाग में चित्तीदार हिरणों की उपस्थिति पहली बार दर्ज की गई है।’’

इसने कहा कि लेकिन इस ध्वस्तीकरण अभियान से निवासियों में, विशेषकर गांव के आबादी क्षेत्रों में, गुस्सा भी भड़क गया है।

सीईसी ने कहा, ‘‘ग्रामीणों में, विशेषकर अनंगपुर गांव के आबादी क्षेत्रों में, काफी नाराजगी देखी गई, जिन्होंने अपने घरों की सुरक्षा के संबंध में चिंता व्यक्त की।’’

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 5,938 घरेलू इकाइयां, जिनमें से ज्यादातर अनंगपुर में हैं, पीएलपीए-अधिसूचित भूमि के अंतर्गत आती हैं। सीईसी ने पाया कि ग्रामीणों को अपने घर खोने का डर है और वे इस अभियान का विरोध कर रहे हैं।

सीईसी ने सरकारी विभागों द्वारा किए गए उल्लंघनों को भी चिह्नित किया और कहा कि ‘‘हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, हरियाणा पर्यटन, पुलिस विभाग और नगर निगम जैसी सरकारी एजेंसियों से संबंधित कुछ संरचनाओं का निर्माण पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम, 1900 की धाराओं 4 और 5 के तहत अधिसूचित भूमि पर किया गया है, जो वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 के प्रावधानों का उल्लंघन है।’’

समिति ने कहा कि पुनः अतिक्रमण को रोकने के लिए भी कदम उठाए जाने चाहिए, जिसमें ध्वस्त की गई संरचनाओं के लिए स्थापित बिजली लाइन को तत्काल हटाना और ऐसी भूमि पर खोदे गये बोरवेल शामिल हैं।

भाषा

देवेंद्र नरेश

नरेश