Dharali Cloud Burst: बादल फटने और भू स्खलन के बाद से 68 लोग अब भी लापता, इनमें 25 नेपाल के रहने वाले .. तलाश में जुटी रेस्क्यू टीम
बीते दिनों उत्तराखंड के धराली में मानसून ने भारी तबाही मचाई थी, इस दौरान बदल फटने की घटना भी सामने आई थी।
Dharali Cloud Burst Latest Updates || Image- IBC24 News File
- धराली में बादल फटने से भारी तबाही हुई।
- खीरगाड़ नदी में अचानक बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त।
- 68 लोग लापता, जिनमें 25 नेपाली नागरिक शामिल।
Dharali Cloud Burst Latest Updates: उत्तरकाशी: उत्तराखंड सरकार ने मंगलवार को आंकड़ों को संशोधित करते हुए कहा कि धराली आपदा में 68 लोग लापता हुए हैं जिसमें 25 नेपाली मूल के व्यक्ति शामिल हैं। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार, एक सप्ताह पहले उत्तरकाशी जिले के धराली में खीरगाड़ नदी में आयी भीषण बाढ़ में एक व्यक्ति की मृत्यु हुई और 68 अन्य लापता हुए हैं।
लापता लोगों में सेना के नौ जवानों के अलावा धराली गांव के आठ, आसपास के क्षेत्रों के पांच, टिहरी जिले का एक, बिहार के 13, उत्तर प्रदेश के छह, राजस्थान का एक और नेपाल के 25 नागरिक शामिल हैं। इससे पहले, सोमवार को गढ़वाल मंडल के आयुक्त विनय शंकर पाण्डेय ने आपदा में एक व्यक्ति की मृत्यु होने और 42 लोगों के लापता होने की पुष्टि की थी। हांलांकि, उन्होंने 24 नेपाली मजदूरों के भी लापता होने की आशंका व्यक्त की थी लेकिन साथ ही यह भी कहा था कि उनके बारे में संबंधित ठेकेदारों से अधिक विवरण नहीं मिल पा रहा है।
पाण्डेय ने कहा था कि पहले लापता माने जा रहे पांच नेपाली मजदूर मोबाइल फोन नेटवर्क बहाल होने के बाद सुरक्षित पाए गए थे और हो सकता है कि ये भी सुरक्षित हों। इस संबंध में उन्होंने केदारनाथ आपदा का भी उदाहरण दिया था, जहां लापता बताए गए कई लोग प्रभावित क्षेत्र से वापस अपने घर पहुंच गए थे। इस बीच, धराली में मौसम की विपरीत परिस्थितियों में राहत, तलाश एवं बचाव अभियान संचालित किया जा रहा है। लगातार बारिश के बाद मंगलवार को मौसम साफ होते ही हेलीकॉप्टरों के माध्यम से प्रभावित क्षेत्र में खाद्य तथा राहत सामग्री भेजी गयी।
Dharali Cloud Burst Latest Updates: अधिकारियों ने यहां बताया कि आपदा के बाद हर्षिल हेलीपैड के निकट भागीरथी नदी का जलप्रवाह रूकने से बनी अस्थाई झील को खोलने के प्रयास लगातार जारी हैं। उन्होंने बताया कि वहीं, गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर लिमचागाड़ पुल बनने के बाद प्रभावित क्षेत्र तक सड़क संपर्क बहाल करने के लिए भी युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है, जिससे राहत और बचाव कार्यों में तेजी आ सके। मलबे में लापता लोगों की तलाश के लिए ग्राउंड पैनीट्रेटिंग रडार (जीपीआर) और रेस्क्यू रडार की मदद ली जा रही है।
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) से मिली जानकारी के अनुसार, धराली में खीरगाड़ का जलस्तर बढ़ने से खोज एवं बचाव दलों के आने-जाने हेतु लकड़ी और लोहे के पाइप से बनाई गयी छोटी लिंक पुलिया बह गयी थी और क्षेत्र में खोजबीन के लिए बनाये गए गड्ढों में पानी भर गया था। मिली जानकारी के अनुसार हांलांकि, विषम परिस्थितियों में युद्धस्तर पर काम कर रहे तलाश एवं बचाव दलों ने पुलिया को दोबारा बना दिया तथा गड्ढों से भी पानी निकाल दिया। पांच अगस्त को खीरगाड़ में अचानक आयी भीषण बाढ़ से धराली में कई होटल, मकान और होमस्टे जमींदोज हो गए थे।
अधिकारियों ने बताया कि मौसम खुलते ही मातली हेलीपैड से हेलीकॉप्टरों से प्रभावित क्षेत्र के लिए खाद्य और राहत सामग्री की खेप भेजने का सिलसिला शुरू हो गया। अधिकारियों ने बताया कि चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी से भी हेलीकॉप्टरों के जरिये खाद्यान्न और ईंधन के साथ ही क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत के लिए सीमा सड़क संगठन के प्रयोग हेतु ‘वायरक्रेट्स’ भी हर्षिल भेजी गयी। उन्होंने बताया कि धराली गांव की दो गर्भवती महिलाओं को हेलीकॉप्टर के माध्यम से मातली हेलीपैड पहुंचाया गया, जहां से उन्हें उत्तरकाशी जिला अस्पताल भेजा गया।
Dharali Cloud Burst Latest Updates: मलबे में लापता लोगों की खोज का काम युद्धस्तर पर जारी है। यूएसडीएमए के अनुसार, राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) की विशेष इंजीनियरिंग टीम क्षेत्र में जीपीआर की मदद से काम कर रही है जबकि चीता हेलीकॉप्टरों की टीम द्वारा संपूर्ण क्षेत्र में लिडार सर्वेक्षण किया गया है। जीपीआर एक भू-भौतिकीय विधि है, जो सतह के नीचे कीचड़ और पानी की मौजूदगी में भी रेडियो तरंगों के माध्यम से मानव उपस्थिति का पता लगा सकती है। इस साल फरवरी में तेलंगाना में एसएलबीसी सुरंग हादसे में फंसे लोगों का पता लगाने के लिए जीपीआर का इस्तेमाल किया गया था।
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के अनुसार, जीपीआर 50 मीटर गहराई तक मौजूद वस्तुओं का पता लगा सकता है। अधिकारियों के अनुसार, अभी निचले क्षेत्रों में जीपीआर से स्कैनिंग की गई है और ढाई से तीन मीटर की गहराई में अब तक 20 जगहें ऐसी मिली हैं जहां भवनों या उस जैसे अन्य ढांचों का पता चला है। उन्होंने कहा कि ऐसे में वहां किसी के जीवित या मृत मिलने की उम्मीद की जा सकती है। उन्होंने बताया कि जिंदगी के संकेत वाले स्थलों पर मशीनों का प्रयोग नहीं किया जा रहा है और उन स्थलों को चिह्नित कर हाथ से प्रयोग किए जाने वाले औजारों से खुदाई की जा रही है।
अधिकारियों के अनुसार तलाश अभियान को और सुदृढ़ करने के लिए ‘रेस्क्यू रडार’ को भी मौके पर उतार दिया गया है। इस उपकरण का प्रयोग कर रहे एरिका इंजीनियरिंग के एक तकनीकी अधिकारी के अनुसार, रेस्क्यू रडार भी रेडियो तरंगों पर काम करता है। एनडीआरएफ के अधिकारियों के अनुसार जब तक मलबे से भरे पूरे क्षेत्र को चिह्नित नहीं कर दिया जाता, तब तक जीपीआर और रेस्क्यू रडार जैसे उपकरणों का प्रयोग किया जाता रहेगा। हालांकि, प्रभावित क्षेत्र में मलबे में लापता लोगों के जीवित होने की संभावना समय बीतने के साथ और कम होती जा रही है।
Dharali Cloud Burst Latest Updates: उधर, स्थानीय लोगों ने पर्यटन विभाग को करीब 40 होमस्टे, होटल और रिजॉर्ट के नुकसान की सूची सौंपी है। अधिकारियों ने बताया कि आपदा प्रभावित 98 परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता के चेक दे दिए गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि इसके अलावा प्रभावित लोगों के लिए बेहतर राहत एवं पुनर्वास पैकेज भी तैयार किया जा रहा है । यूएसडीएमए के अनुसार, प्रभावित क्षेत्रों में फंसे 1,308 श्रद्धालुओं तथा स्थानीय लोगों को बाहर निकाला जा चुका है।
वहीं, आपदाग्रस्त क्षेत्र तक सड़क संपर्क बहाल करने का कार्य भी जोरों पर चल रहा है। यूएसडीएमए ने बताया कि गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर लिमचागाड़ में बेली पुल का निर्माण होने के बाद अब डबरानी से सोनगाड़ तथा हर्षिल से धराली के बीच बाधित मार्ग को अगले दो दिन में चालू कर दिया जाएगा। यूएसडीएमए ने बताया कि आपदा के बाद हर्षिल हेलीपैड के निकट भागीरथी नदी का जलप्रवाह रूकने से बनी झील को खोलने के प्रयास यूजेवीएन लिमिटेड तथा सिंचाई विभाग द्वारा किए जा रहे हैं। उसने बताया कि झील में फंसे हुए लकड़ी के लटठों को काट कर हटाया जा रहा है जबकि जल प्रवाह हेतु मैन्युली काम किया जा रहा है। एनडीआरएफ की दो ओबीएम बोट भी हर्षिल में बनी झील को खोलने में सहायता के लिए पहुंच गयी हैं।

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