शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों ने मसौदा ईआईए अधिसूचना वापस लेने के लिए पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखा

शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों ने मसौदा ईआईए अधिसूचना वापस लेने के लिए पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखा

शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों ने मसौदा ईआईए अधिसूचना वापस लेने के लिए पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखा
Modified Date: November 29, 2022 / 08:30 pm IST
Published Date: September 3, 2020 1:27 pm IST

नयी दिल्ली, तीन सितम्बर (भाषा) देशभर से पांच सौ शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों और विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के अनुसंधानकर्ताओं ने पर्यावरण मंत्रालय से विवादास्पद मसौदा पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना वापस लेने और वर्तमान ईआईए 2006 अधिसूचना को एक नये प्रस्ताव से मजबूती प्रदान करने का आग्रह किया है।

गत मार्च में अधिसूचना जारी होने के बाद मंत्रालय को करीब 17 लाख ईमेल के जरिये सुझाव मिले हैं जिसमें कई आपत्तियां भी शामिल हैं।

एक और पत्र में, 130 संस्थानों के हस्ताक्षरकर्ताओं ने पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना के मसौदे के बारे में अपनी चिंताओं को सूचीबद्ध किया है, जो जारी होने के बाद से विवादों में घिरी हुई है। इस पत्र में मंत्रालय से इसे वापस लेने का आग्रह किया गया है क्योंकि यह पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है, मंजूरी प्रक्रिया को कमजोर कर सकती है।

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जिन संस्थानों और विश्वविद्यालयों ने मंत्रालय को लिखा है उनमें इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आईआईएसईआर), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (एनसीबीएस) और भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) शामिल हैं।

विवादास्पद अधिसूचना की ‘‘व्यापार में सुगमता को बढ़ावा देने के लिए पर्यावरण सुरक्षा उपायों को बुनियादी तौर पर खत्म करने’’ को लेकर देश भर के छात्रों, नागरिकों, कार्यकर्ताओं, पर्यावरणविदों की ओर से कड़ी आलोचना की गई है और इसका विरोध किया गया है।

हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘विभिन्न संस्थानों के पीएचडी छात्रों द्वारा शुरू किए गए इस संस्थागत सहयोग को 105 फैकल्टी, पूर्व फैकल्टी और वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ ही 400 से अधिक पीएचडी छात्रों, पोस्ट-डॉक्टोरल रिसर्च फेलो, निजी शोधकर्ताओं और अन्य शोध छात्रों ने समर्थन किया है। इन सभी ने इस पत्र पर अपनी निजी क्षमता में हस्ताक्षर किए हैं।’’

पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में शामिल आईआईएससी, बेंगलुरु के एसोसिएट प्रोफेसर कार्तिक शंकर ने कहा, ‘‘बाघ, कछुओं और हाथी जैसी प्रजातियों को लेकर काफी आवाज उठायी जाती है और कुछ अन्य जानवरों के लिए भी आक्रोश जताया जाता है लेकिन सच्चाई यह है कि बड़े पैमाने पर विकास परियोजनाओं की खराब योजना का जैव विविधता, पारिस्थितिक तंत्र और लोगों पर सबसे बड़ा नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।’’

आईआईटी-बाम्बे के पीएचडी छात्र अयाज अहमद ने कहा, ‘‘माना जाता है कि ईआईए प्रक्रिया प्रदूषणकारी उद्योगों और अन्य विकास परियोजनाओं को विनियमित करने और पर्यावरण पर उनके प्रभाव को कम करने के लिए है। हालांकि इसके बजाय, मसौदा पर्यावरण नियमों में सुगमता प्रदान करना प्रस्तावित करता है। हमें मजबूत पर्यावरणीय नियम की जरूरत है।’’

मंत्रालय द्वारा 23 मार्च को जारी मसौदा ईआईए अधिसूचना को लेकर 11 अगस्त तक जनता के विचार और सुझाव आमंत्रित थे।

भाषा अमित नरेश

नरेश


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