गुजारा भत्ते में समान आधार तय करने की मांग वाली याचिका के खिलाफ न्यायालय पहुंचा एआईएमपीएलबी

गुजारा भत्ते में समान आधार तय करने की मांग वाली याचिका के खिलाफ न्यायालय पहुंचा एआईएमपीएलबी

गुजारा भत्ते में समान आधार तय करने की मांग वाली याचिका के खिलाफ न्यायालय पहुंचा एआईएमपीएलबी
Modified Date: November 29, 2022 / 07:53 pm IST
Published Date: February 14, 2021 12:39 pm IST

नयी दिल्ली, 14 फरवरी (भाषा) ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने वैवाहिक विवादों से संबंधित मामलों में सभी नागरिकों के लिए अंतरराष्ट्रीय संधियों एवं संविधान के तहत लैंगिक और धर्म के आधार पर भेदभाव के बगैर गुजारा भत्ता निर्धारित करने के वास्ते समान आधार प्रतिपादित करने को लेकर दायर एक याचिका के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है।

बोर्ड ने अधिवक्ता एवं भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका का विरोध किया है। उपाध्याय द्वारा जारी याचिका में गुजारा भत्ता के आधारों में व्याप्त विसंगतियों को दूर करने और उन्हें भेदभाव के बिना सभी नागरिकों के लिए एक समान बनाने के लिए सरकार को उचित कदम उठाने के वास्ते निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) की याचिका में कहा गया है, ‘‘आवेदक यह बताना चाहता है कि संविधान के अनुच्छेद 13 में अभिव्यक्ति और ‘कस्टम एंड यूसेज’ (परंपरा एवं इस्तेमाल) में पर्सनल कानूनों में निहित एक धार्मिक संप्रदाय का विश्वास शामिल नहीं है।

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इसमें उपाध्याय द्वारा दायर अर्जी में पक्षकार बनाने का अनुरोध करते हुए कहा गया है, ‘‘संविधान सभा ‘पर्सनल लॉ’ और ‘परंपरा एवं उपयोग’ के बीच अंतर से अवगत थी और उसने सोच समझकर पर्सनल लॉ को छोड़कर ‘परंपरा एवं उपयोग’ को संविधान के अनुच्छेद 13 में शामिल करने की सलाह दी थी।’’

एआईएमपीएलबी इस आधार पर उपाध्याय की याचिका का विरोध करता है कि पर्सनल लॉ को संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 44 की कसौटी पर परखा नहीं जा सकता है।

उच्चतम न्यायालय ने गत वर्ष 16 दिसम्बर को उपाध्याय की ओर से दायर याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था।

उपाध्याय ने अश्वनी कुमार दुबे के माध्यम से दायर अपनी याचिका में कहा था कि संविधान में स्पष्ट प्रावधान होने के बावजूद केन्द्र सरकार सभी नागरिकों के लिये गुजारा भत्ता और निर्वाह धन के आधारों में व्याप्त विसंगतियां दूर करने के लिये आवश्यक कदम उठाने और लैंगिक, धार्मिक भेदभाव के बिना गुजारा भत्ता दिलाने में विफल रही है। भाषा अमित दिलीप

दिलीप


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