नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने एयरसेल-मैक्सिस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एक याचिका पर सुनवाई के लिए शुक्रवार को सहमति जताई, जिसमें कांग्रेस सांसद कार्ति पी. चिदंबरम के खिलाफ धनशोधन के आरोप तय करने से संबंधित सुनवाई स्थगित करने के आदेश को चुनौती दी गई है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कार्ति चिदंबरम को उस समय नोटिस जारी किया, जब ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के कारण धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मुकदमे में देरी होगी।
पीठ ने राजू से एजेंसी को हुए पूर्वाग्रह के बारे में पूछा और कहा कि उच्च न्यायालय ने उस अपराध में आरोप तय होने तक इंतजार करने को कहा था, जिस पर ईडी की शिकायत आधारित थी।
न्यायमूर्ति कांत ने राजू से कहा, “मान लीजिए कि कल किसी अपराध में कोई आरोप तय नहीं होता या निचली अदालत आरोप तय कर देती है, लेकिन उच्च न्यायालय या यह अदालत उसे खारिज कर देती है, तो आपकी पूरी मेहनत व्यर्थ हो जाएगी।”
पीठ ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने “समय से पहले हस्तक्षेप” किया है और उसे वैकल्पिक रूप से कार्ति चिदंबरम को केवल यह कहकर संरक्षण देना चाहिए था कि पीएमएलए मुकदमा, संबंधित अपराध के मुकदमे से पहले समाप्त नहीं होना चाहिए।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने नौ अप्रैल को निचली अदालत से आरोप-पत्र पर बहस 29 मई के बाद के लिए स्थगित करने को कहा था। उच्च न्यायालय ने यह निर्देश इसलिए दिया था, क्योंकि उसने कार्ति चिदंबरम की उस याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय से जवाब मांगा था, जिसमें कांग्रेस सांसद ने अपने खिलाफ दो मामलों में आरोप-पत्र तय किए जाने से संबंधित सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया था।
ईडी ने 2011 में 263 चीनी नागरिकों को वीजा जारी करने से जुड़े कथित घोटाले में कार्ति चिदंबरम और अन्य के खिलाफ धनशोधन का मामला दर्ज किया था। उस समय उनके पिता पी. चिदंबरम केंद्रीय गृह मंत्री थे।
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जोहेब सुरेश
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