नयी दिल्ली । राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने शनिवार को कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस में अंग्रेजों को निडर होकर चुनौती देने का साहस था और अगर वह उस समय होते, तो भारत का विभाजन नहीं होता। डोभाल ने कहा कि बोस भारत की आजादी के लिए अंग्रेजों से लड़ने के लिए दृढ़ थे और कभी भी आजादी की भीख नहीं मांगना चाहते थे। उन्होंने कहा कि वह न केवल राजनीतिक अधीनता को समाप्त करना चाहते थे, बल्कि महसूस करते थे कि लोगों की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक मानसिकता को बदलना होगा और “उन्हें आकाश में मुक्त पक्षियों की तरह महसूस करना चाहिए”।
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उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा आयोजित पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्मृति व्याख्यान में एनएसए ने यह बात कही। अपने संबोधन के दौरान, डोभाल ने बोस के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला और कहा कि उनमें महात्मा गांधी को चुनौती देने का साहस भी था, लेकिन इसके साथ ही, डोभाल ने कहा कि बोस के मन में गांधी के लिए गहरा सम्मान था।
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