कुछ कामकाज गैर-अल्पसंख्यकों के हाथ में होने से एएमयू का अल्पसंख्यक चरित्र कमजोर नहीं होता: न्यायालय

कुछ कामकाज गैर-अल्पसंख्यकों के हाथ में होने से एएमयू का अल्पसंख्यक चरित्र कमजोर नहीं होता: न्यायालय

कुछ कामकाज गैर-अल्पसंख्यकों के हाथ में होने से एएमयू का अल्पसंख्यक चरित्र कमजोर नहीं होता: न्यायालय
Modified Date: January 10, 2024 / 09:10 pm IST
Published Date: January 10, 2024 9:10 pm IST

नयी दिल्ली, 10 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के विवादित अल्पसंख्यक दर्जे पर सुनवाई करते हुए कहा कि केवल यह तथ्य कि किसी शैक्षणिक संस्थान के प्रशासन का कुछ हिस्सा गैर-अल्पसंख्यक अधिकारियों द्वारा भी देखा जाता है, इसके अल्पसंख्यक चरित्र को ‘कमजोर’ नहीं करता है।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने रेखांकित किया कि संविधान का अनुच्छेद 30 कहता है कि प्रत्येक अल्पसंख्यक, चाहे वह धार्मिक हो या भाषाई, को अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना का और उनका प्रशासन देखने का अधिकार होगा।

इस जटिल मुद्दे पर सुनवाई के दूसरे दिन पीठ ने कहा, ‘‘केवल यह तथ्य कि किसी शैक्षणिक संस्थान के प्रशासन का कुछ हिस्सा गैर-अल्पसंख्यक अधिकारियों द्वारा भी देखा जाता है, जो संस्थान में अपनी सेवा या उसके साथ अपने जुड़ाव के चलते पक्ष रखने का प्रतिनिधित्व रखते हैं, इसके अल्पसंख्यक चरित्र को ‘कमजोर’ नहीं करता है।’’

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पीठ ने कहा, ‘‘लेकिन यह इस बिंदु तक नहीं हो सकता कि पूरा प्रशासन गैर-अल्पसंख्यक हाथों में है।’’

एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे का मुद्दा पिछले कई दशक से कानूनी प्रक्रिया में उलझा है।

भाषा वैभव माधव

माधव


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