पोस्टमॉर्टम शुरू होते ही खड़े हो गए ‘मुर्दे’ के रोंगटे, फिर जो हुआ जानकर हैरान जाएंगे

पोस्टमॉर्टम शुरू होते ही खड़े हो गए 'मुर्दे' के रोंगटे, फिर जो हुआ जानकर हैरान जाएंगे

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  • Publish Date - March 5, 2021 / 05:41 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:50 PM IST

बेलगावी। लोगों को हैरतअंगेज कर देने वाली यह सत्य घटना सामने आयी है, कर्नाटक में एक 27 वर्षीय युवक को एक प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया था, उसे पोस्टमॉर्टम के लिए अटॉप्सी सेंटर ले जाया गया, पोस्टमॉर्टम शुरू होने से ठीक पहले ब्रेन डेड युवक के हाथों के रोंगटे खड़े हो गए, हल्का मूवमेंट भी हुआ, जिसे देखकर डॉक्टरों की आंखे फटी रह गईं, जिसके बाद युवक को तुरंत दूसरे अस्पताल में शिफ्ट किया गया, जहां उसका इलाज चल जारी है।

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कर्नाटक के महालिंगापुर में 27 फरवरी को 27 वर्षीय शंकर गोंबी एक हादसे के शिकार हो गया था, जिसके बाद उन्हे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, निजी अस्पताल ने दो दिन निगरानी में रखने के बाद 27 वर्षीय शंकर गोंबी को ब्रेड डेड घोषित कर दिया, अस्पताल प्रबंधन ने शंकर के परिवार से कहा कि शंकर की बॉडी ले जाएं, सरकारी अस्पताल में पोस्टमॉर्टम कराएं।

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निजी अस्पताल से शंकर की बॉडी को बगलकोट स्थित महालिंगापुर सरकारी अस्पताल में भेज दिया गया, उधर, दूसरी तरफ शंकर के परिजन और रिश्तेदार उसके अंतिम संस्कार की तैयारी में जुटे थे, अस्पताल ने डॉ. एसएस गालगली को पोस्टमॉर्टम करने के लिए नियुक्त किया। डॉ. एसएस गालगली ने बताया कि जब मैं अस्पताल की ओर कार से जा रहा था, तब मैंने पूरे इलाके में शंकर के पोस्टर और बैनर देखे, कट आउट्स देखे, कुछ लोग एक्सीडेंट के विरोध में तो कुछ लोग शंकर की आत्मा की शांति के लिए प्रदर्शन कर रहे थे, मुझे समझ में आ गया कि मेरे पोस्टमॉर्टम टेबल पर कौन सा चेहरा दिखने वाला है।

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डॉ. गालगली ने बताया कि जब वे अस्पताल पहुंचे तो शंकर गोंबी को वेंटिलेटर पर रखा हुआ था, शंकर के परिजनों ने डॉक्टर गालगली को बताया कि निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने उनसे कहा है कि जैसे ही वेंटिलेटर हटाएंगे, शंकर की सांस रुक जाएगी, इसलिए पोस्टमॉर्टम से पहले तक वेंटिलेटर लगा रखा है, परिजन करते भी क्या, उम्मीद रहती ही है। सरकारी अस्पताल के बाहर एक हजार से ज्यादा लोग जमा थे, मैंने शंकर की बॉडी को पोस्टमॉर्टम करने से पहले जांच करने की सोची, तभी मुझे उसके हाथों के रोंगटे खड़े हुए दिखाई दिए, उसकी हाथों में हल्की सी हलचल महसूस हुई, मैं तुरंत पल्स ऑक्सीमीटर से उसकी धड़कन चेक की, उसकी नब्ज चल रही थी, मैंने उसका वेंटिलेटर हटा दिया।

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इसके बाद जो हुआ उससे सब लोग हैरत में पड़ गए, शंकर का हाथ जोर से हिला, मैंने तुरंत शंकर के परिजनों को बुलाया, उन्हें ये खबर सुनाई, उनसे कहा कि दूसरे निजी अस्पताल में इसे ले जाइए, इसका इलाज कराइए, परिवार वाले तुरंत उसे दूसरे अस्पताल लेकर गए, वहां वो दो दिन से इलाज करा रहा है, जिंदा है और उसके शरीर के सभी अंग इलाज पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। डॉ. एएस गालगली ने बताया कि मैंने 400 से ज्यादा पोस्टमॉर्टम किए हैं, लेकिन इस तरह का केस पहली बार देखा।

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पुलिस अधिकारी ने कहा कि मेडिकल लापरवाही के खिलाफ केस करने का फैसला जिला स्वास्थ्य विभाग का है, उन्हें फैसला लेना है कि वो निजी अस्पताल पर केस करें या न करें, निजी अस्पताल के प्रबंधन से जब शंकर गोंबी के जिंदा होने की बात की गई तो किसी ने भी बात करने से मना कर दिया।