Maratha arakshan andolan: सपनों के शहर से 450 KM दूर हिंसा-आगजनी और कर्फ्यू का माहौल, बना मराठा आरक्षण आंदोलन का केंद्र…

Maratha reservation andolan: मराठा आंदोलन को लेकर हो रही हिंसा की चपेट में अब सत्तारूढ़ दल के विधायक भी आ गए हैं।

Maratha arakshan andolan: सपनों के शहर से 450 KM दूर हिंसा-आगजनी और कर्फ्यू का माहौल, बना मराठा आरक्षण आंदोलन का केंद्र…

Maratha arakshan andolan

Modified Date: October 31, 2023 / 02:07 pm IST
Published Date: October 31, 2023 2:07 pm IST

Maratha arakshan andolan: मुंबई। महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन अब हिंसा का रूप लेने लगा है। मराठा आंदोलन को लेकर हो रही हिंसा की चपेट में अब सत्तारूढ़ दल के विधायक भी आ गए हैं। सत्तारूढ़ दल के विधायक और एक पार्षद के घर को आंदोलनकारियों ने आग के हवाले कर दिया है। यह हिंसा और भड़क गई जब मंगलवार आज सुबह मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर एक 35 वर्षीय व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली। अब इस घटना के बाद माहौल और बिगड़ गया है।

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आठ जिलों में विरोध प्रदर्शन जारी

बता दें कि नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर पिछले एक सप्ताह में समुदाय के कम से कम पांच युवाओं ने आत्महत्या कर ली है। हम समुदाय के नेताओं और युवाओं से मिल रहे हैं और अपील कर रहे हैं कि वे हिंसा या आत्महत्या जैसे चरम कदमों का सहारा न लें। मराठा क्रांति मोर्चा के समन्वयक ज्ञानेश्वर पाटिल ने कहा, मराठवाड़ा के आठ जिलों में नौ स्थानों पर विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से जारी रहेगा।

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पाटिल ने पुष्टि की कि देशमुख की मौत मराठा आरक्षण मुद्दे से जुड़ी हुई है। मराठा संगठनों के धरने, जो अब 14वें दिन में प्रवेश कर गया है, और पारला गांव में मनयार बांध पर जलसमाधि आंदोलन के बीच क्षेत्र में तनाव बना हुआ है। मराठा समूहों ने तब तक विरोध वापस लेने से इनकार कर दिया है जब तक कि समुदाय के लिए आरक्षण सहित उनकी सभी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।

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32 साल पहले हुआ था मराठा आरक्षण आंदोलन

Maratha arakshan andolan: महाराष्ट्र में मराठा लंबे समय से सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की मांग कर रहे हैं। करीब 32 साल पहले मराठा आरक्षण को लेकर पहली बार आंदोलन हुआ था। ये आंदोलन मठाड़ी लेबर यूनियन के नेता अन्नासाहब पाटिल की अगुवाई में हुआ था। उसके बाद से मराठा आरक्षण का मुद्दा यहां की राजनीति का हिस्सा बन गया। महाराष्ट्र में ज्यादातर समय मराठी मुख्यमंत्रियों ने ही सरकार चलाई है, लेकिन इसका कोई हल नहीं निकल सका।

 

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