ग्रीनविच से पहले भारत की अपनी मध्यरेखा थी जो उज्जैन से होकर गुजरती थी: एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तक

ग्रीनविच से पहले भारत की अपनी मध्यरेखा थी जो उज्जैन से होकर गुजरती थी: एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तक

ग्रीनविच से पहले भारत की अपनी मध्यरेखा थी जो उज्जैन से होकर गुजरती थी: एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तक
Modified Date: July 21, 2024 / 06:38 pm IST
Published Date: July 21, 2024 6:38 pm IST

नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की कक्षा-6 की सामाजिक विज्ञान की नयी पाठ्यपुस्तक के अनुसार ग्रीनविच मध्यरेखा से काफी पहले भारत की अपनी प्रधान मध्यरेखा थी जिसे ‘मध्यरेखा’ कहा जाता था और जो मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर से गुजरती थी।

नए पाठ्यक्रम के अनुसार विकसित पाठ्यपुस्तक में जो बदलाव किए गए हैं उनमें जाति-आधारित भेदभाव का कोई उल्लेख नहीं किया गया है, भेदभाव के बारे में बी आर आंबेडकर के अनुभव के संदर्भ में बदलाव किया गया है और हड़प्पा सभ्यता को ‘सिंधु-सरस्वती’ सभ्यता के रूप में संदर्भित किया गया है।

पुस्तक के अनुसार, ‘‘ग्रीनविच भूमध्य रेखा पहली प्रधान मध्यरेखा नहीं है। अतीत में अन्य भी थीं। वास्तव में, यूरोप से कई शताब्दियों पहले, भारत की अपनी एक प्रधान मध्यरेखा थी। इसे मध्य रेखा कहा जाता था और यह उज्जयिनी (आज का उज्जैन) शहर से होकर गुजरती थी, जो कई शताब्दियों तक खगोल विज्ञान का एक प्रतिष्ठित केंद्र था।’’

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इसमें लिखा है, ‘‘प्रसिद्ध खगोलशास्त्री वराहमिहिर लगभग 1,500 साल पहले यहीं रहते थे और काम करते थे। भारतीय खगोलशास्त्री अक्षांश और देशांतर की अवधारणाओं से अवगत थे, जिसमें शून्य या प्रधान मध्य रेखा की आवश्यकता भी शामिल थी। उज्जयिनी मध्य रेखा सभी भारतीय खगोल ग्रंथों में गणनाओं के लिए एक संदर्भ बन गई।’’

पाठ्यपुस्तक में अतीत से हटकर, ‘भारतीय सभ्यता का प्रारंभ’ अध्याय में ‘सरस्वती’ नदी का कई बार उल्लेख किया गया है।

नयी पाठ्यपुस्तक में, सरस्वती नदी को ‘भारतीय सभ्यता का प्रारंभ’ नामक अध्याय में प्रमुख स्थान दिया गया है, जहां हड़प्पा सभ्यता को ‘सिंधु-सरस्वती’ के रूप में संदर्भित किया गया है। इसमें कहा गया है कि ‘सरस्वती’ नदीघाटी में सभ्यता के प्रमुख शहरों-राखीगढ़ी और गणवेरीवाला के साथ-साथ छोटे शहर और कस्बे भी शामिल थे।

इसके अनुसार, आज उक्त नदी को भारत में ‘घग्गर’ के नाम से और पाकिस्तान में ‘हाकरा’ के नाम से जाना जाता है तथा अब यह मौसमी नदी है।

भाषा वैभव नेत्रपाल

नेत्रपाल


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