तिरुवनंतपुरम, 28 दिसंबर (भाषा) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के एक विधायक ने रविवार को आरोप लगाया कि राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम के निगम निकाय में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्तारूढ़ होने के बाद एक भाजपा पार्षद ने उनसे नगर निगम भवन में स्थित उनके कार्यालय को खाली करने को कहा है।
वट्टियोरकावु से विधायक वी. के. प्रशांत ने पत्रकारों से कहा कि पार्षद आर. श्रीलेखा ने उन्हें फोन कर सस्थामंगलम स्थित तिरुवनंतपुरम नगर निगम भवन में मौजूद उनका कार्यालय खाली करने के लिए कहा।
श्रीलेखा एक सेवानिवृत्त डीजीपी हैं और हाल में हुए स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा के टिकट पर विजयी हुई हैं। वर्तमान में तिरुवनंतपुरम नगर निगम में भाजपा सत्ता में है, जिसने शहर के 101 वार्ड में से 50 में जीत हासिल की है।
प्रशांत ने कहा, ‘‘उन्होंने मुझसे संपर्क कर मेरा कार्यालय खाली करने को कहा। उनका कहना था कि उसी भवन में पार्षद का कार्यालय पर्याप्त सुविधाओं वाला नहीं है और वे उस स्थान का उपयोग करना चाहती हैं, जिसे फिलहाल विधायक कार्यालय के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।’’
उन्होंने बताया कि उनका विधायक कार्यालय पिछले सात वर्षों से उसी भवन से संचालित हो रहा है और इससे पहले भी एक भाजपा पार्षद उसी भवन के एक हिस्से का कार्यालय के रूप में उपयोग कर चुका है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं तिरुवनंतपुरम का महापौर था, तब वार्ड पार्षदों को कार्यालय के लिए स्थान उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया था। विधायक बनने के बाद मैंने निगम में आवेदन दिया और किराये पर यह स्थान मुझे आवंटित किया गया।
प्रशांत ने कहा कि नियमानुसार किसी भी तरह की बेदखली के लिए नगर निगम के सचिव को नोटिस जारी करना होता है।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘यहां एक पार्षद सीधे एक विधायक को फोन कर कार्यालय खाली करने की मांग कर रही हैं। यह वैसा ही है जैसे पुलिस थाने में कामकाज किया जाता है।’’
प्रशांत ने इस कदम की तुलना ‘‘बुलडोजर राज’’ से करते हुए कहा कि उत्तर भारत के कुछ राज्यों में भाजपा द्वारा अपनाई गई नीतियों को तिरुवनंतपुरम में दोहराया जा रहा है।
यह पूछे जाने पर कि क्या उनके कार्यालय ने वार्ड पार्षद के लिए निर्धारित स्थान पर कब्जा कर रखा है, तो प्रशांत ने स्वीकार किया कि उनके कार्यालय में आने वाले लोगों की संख्या अधिक होने के कारण कुछ अतिरिक्त स्थान का उपयोग किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर पार्षद को कोई शिकायत है तो उसकी जांच की जा सकती है। समझौते की अवधि समाप्त होने तक हमें आवंटित स्थान पर काम करने का अधिकार है।’’
प्रशांत ने बताया कि यह कार्यालय उन्हें 31 मार्च 2026 तक आवंटित हुआ है और उन्होंने अगले वर्ष मई में मौजूदा विधानसभा कार्यकाल समाप्त होने तक विस्तार के लिए आवेदन किया है।
उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि पार्षद ने यह फैसला अपने स्तर पर लिया है।
भाषा सुरभि धीरज
धीरज