भाजपा ने मीडिया के लिए अपमानजनक शब्द का चयन करने पर तेजस्वी पर निशाना साधा

भाजपा ने मीडिया के लिए अपमानजनक शब्द का चयन करने पर तेजस्वी पर निशाना साधा

भाजपा ने मीडिया के लिए अपमानजनक शब्द का चयन करने पर तेजस्वी पर निशाना साधा
Modified Date: July 14, 2025 / 10:38 pm IST
Published Date: July 14, 2025 10:38 pm IST

नयी दिल्ली, 14 जुलाई (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को राजद नेता तेजस्वी यादव की उस आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर उनकी कड़ी आलोचना की, जिसमें उन्होंने ‘सूत्र’’ आधारित मीडिया की खबरों को खारिज करने के लिए एक अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल किया था। भाजपा ने आरोप लगाया कि लोकतांत्रिक संस्थाओं को गाली देना ‘इंडिया’ गठबंधन के नेताओं की संस्कृति और स्वभाव बन चुका है।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने आरोप लगाया कि चाहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी हों या तेजस्वी यादव, वे ‘आपातकालीन मानसिकता’ से ग्रस्त हैं और यह ‘इंडिया’ नहीं, बल्कि ‘गाली’ गठबंधन है।

भाजपा आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि यादव द्वारा सार्वजनिक रूप से इस तरह के शब्द का प्रयोग ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’ है।

 ⁠

उन्होंने कहा कि राजद नेता का दोष यह नहीं है कि वह दसवीं कक्षा में फेल हो गए, बल्कि असली दोष सत्ता का अहंकार है।

रविवार को बिहार में पत्रकारों से बात करते हुए राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता ने निर्वाचन आयोग के सूत्रों के हवाले से छपी खबरों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘हम ऐसे ‘सूत्र’ को ‘मूत्र’ मानते हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तानी शहरों पर कब्जा करने जैसी खबरें भी ‘सूत्रों’ के आधार पर चलाई गई थीं।

राजद नेता से निर्वाचन आयोग के सूत्रों पर आधारित रिपोर्ट के बारे में पूछा गया था, जिसमें दावा किया गया था कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के दौरान घर-घर सर्वे में बड़ी संख्या में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के नागरिक पाए गए हैं।

भंडारी ने कहा कि जो लोग बूथ पर कब्जा करने का सहारा लेते थे, वे हताशा में मीडिया सूत्रों का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘लोकतांत्रिक व्यवस्था और संस्थाओं का दुरुपयोग करना उनकी संस्कृति और स्वभाव में है।’

मालवीय ने कहा कि यादव से यह अपेक्षा की जाती है कि वह शालीनता दिखाएं, अशिष्टता नहीं।

उन्होंने कहा, ‘यह बिहार का दुर्भाग्य है कि उनके जैसे नेता आज भी सत्ता के गलियारे में प्रासंगिक बने हुए हैं।’

भाषा

शुभम दिलीप

दिलीप


लेखक के बारे में