चांद में छाई काली रात, विक्रम से नहीं हो सका संपर्क, अब मिशन ‘गगनयान’ पर फोकस

चांद में छाई काली रात, विक्रम से नहीं हो सका संपर्क, अब मिशन 'गगनयान' पर फोकस

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  • Publish Date - September 21, 2019 / 07:15 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:16 PM IST

नई दिल्ली। चंद्रयान 2 के लैंडर विक्रम से संपर्क होने की उम्मीदें शनिवार को चांद पर रात शुरू होने के साथ लगभग खत्म हो गई है। इसरो चीफ के. सिवन ने भी कहा है कि विक्रम से संपर्क नहीं हो सका है और एजेंसी का ध्यान अब भारत के स्पेस मिशन ‘गगनयान’ पर हैं। सिवन के इस बयान के साथ ही माना जा रहा है कि अब विक्रम से संपर्क की कोई संभावना नहीं रह गई है।

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बता दें कि लैंडर का जीवनकाल चांद के एक दिन यानी धरती के 14 दिन के बराबर है। 7 सितंबर को तड़के ‘हार्ड लैंडिंग’ होने से चांद पर गिरे लैंडर का जीवनकाल शनिवार को खत्म हो गया क्योंकि 7 सितंबर से लेकर 21 सितंबर तक चांद का एक दिन पूरा होने के बाद शनिवार तड़के से चांद पर रात हो गई है। सिवन ने भी अब गगनयान को प्राथमिकता बताते हुए यह संकेत दे दिए हैं कि विक्रम से संपर्क की उम्मीदें टूट चुकी हैं।

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सिवन ने यह भी बताया है कि ऑर्बिटर अपना काम कर रहा है। उसमें मौजूद 8 उपकरण अपना-अपना काम कर रहे हैं। उन्होंने तस्वीरें भेजना शुरू कर दिया है और वैज्ञानिक उन्हें देख रहे हैं। बता दें कि ऑर्बिटर पर 8 एडवांस्ड पेलोड हैं जो चांद की 3-डी मैपिंग कर रहे हैं और दक्षिणी ध्रुव पर पानी, बर्फ और मिनरल्स ढूंढ़ रहे हैं। ऑर्बिटर का जीवनकाल एक साल निर्धारित किया गया था, लेकिन बाद में इसरो के वैज्ञानिकों ने कहा कि इसमें इतना अतिरिक्त ईंधन है कि यह लगभग सात साल तक काम कर सकता है।

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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) के प्रॉजेक्‍ट साइंटिस्ट नोआ. ई. पेत्रो के मुताबिक ‘एलआरओ 17 सितंबर को उस स्‍थान से गुजरा था जहां पर विक्रम गिरा है। उस समय चंद्रमा पर शाम हो रही थी। अंधेरे की काली छाया ने चंद्रमा के एक बड़े हिस्‍से को अपने आगोश में ले लिया था। एलआरओ ने लैंडिंग साइट की तस्‍वीर ली लेकिन विक्रम के गिरने की असली जगह पता नहीं थी, इसलिए कैमरा बहुत स्‍पष्‍ट तस्‍वीरें नहीं ले सका।

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