कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अपने संशोधित आदेश में बंगाल में दुर्गा पूजा पंडालों के अंदर ढोलकियों को अनुमति दी

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अपने संशोधित आदेश में बंगाल में दुर्गा पूजा पंडालों के अंदर ढोलकियों को अनुमति दी

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अपने संशोधित आदेश में बंगाल में दुर्गा पूजा पंडालों के अंदर ढोलकियों को अनुमति दी
Modified Date: November 29, 2022 / 08:32 pm IST
Published Date: October 21, 2020 12:44 pm IST

कोलकाता, 21 अक्टूबर (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को सामुदायिक दुर्गा पूजा समारोह पर अपने आदेश को आंशिक रूप से संशोधित किया, जिसमें उन्होंने पूजा पंडालों में प्रवेश निषिद्ध क्षेत्र के भीतर ढोल बजाने वालों को प्रदर्शन करने की अनुमति दी और बड़े पंडालों में पूजा के लिए उपस्थित रह सकने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी 25 से बढ़ाकर 60 कर दिया।

‘फोरम फॉर दुर्गोत्सव’ द्वारा दायर याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर अपने पहले के आदेश को बरकरार रखते हुए सभी दुर्गा पूजा पंडालों को नो-एंट्री जोन घोषित किया और आगंतुकों को प्रवेश करने से रोकने के लिए पंडालों के सामने बैरिकेड लगाने के आदेश दिए। खंडपीठ में न्यायमूर्ति संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी शामिल थे।

अदालत के समक्ष पेश फोरम के वकील ने कहा कि दुर्गा पूजा बंगालियों का सबसे बड़ा त्योहार है और इसके साथ उनकी बहुत सारी भावनाएं जुड़ी हुई हैं, इसलिए ‘अंजली’ चढ़ाने के लिए और‘‘सांधी पूजा’’ के दौरान पूजा पंडालों में प्रवेश करने वालों की संख्या में वृद्धि की जाए।

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पीठ ने आदेश दिया कि बड़ी पूजा के लिए पंडाल के मौजूद अंदर रहने वालों की संख्या 25 से बढ़ाकर 60 की जा सकती है, लेकिन छोटी के लिए इसकी संख्या 15 बरकरार रखा गया है।

अदालत ने ढाकियों (ढोलकिया) को पंडालों के नो-एंट्री जोन के भीतर रहने की अनुमति दी लेकिन उन्हें सभी सुरक्षा और स्वच्छता प्रोटोकॉल का पालन करना होगा।

अदालत ने कहा कि बड़ी पूजा के लिए पंडाल के अंदर रहने वाले 60 लोगों की सूची को प्रतिदिन जारी की जाए।

अदालत ने यह भी कहा कि एक समय में अधिकतम 45 लोग पंडाल के अंदर उपस्थित हो सकते हैं।

अदालत ने कहा कि छोटे-छोटे पूजन के लिए, एक समय में पंडालों के भीतर रहने वाले लोगों की अधिकतम संख्या 10 है।

अदालत ने सोमवार को राज्य में कोविड-19 मामलों की वृद्धि को रोकने के लिए पश्चिम बंगाल में सभी पंडालों को नो-एंट्री जोन घोषित किया था।

पीठ ने यह भी आदेश दिया था कि किसी भी आगंतुकों को पंडालों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

इस बीच, पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है और दुर्गा पूजा आयोजकों से उत्सव के दौरान राज्य में कोविड-19 संक्रमण के संभावित बढ़ोत्तरी को रोकने के लिए प्रतिबंधों का पालन करने की अपील की है।

भाषा कृष्ण उमा

उमा


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