नकदी विवाद : वकीलों के संगठन ने न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की

नकदी विवाद : वकीलों के संगठन ने न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की

नकदी विवाद : वकीलों के संगठन ने न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की
Modified Date: June 3, 2025 / 06:27 pm IST
Published Date: June 3, 2025 6:27 pm IST

नयी दिल्ली, तीन जून (भाषा) ‘बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन’ (बीएलए) ने भारत के प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई को पत्र लिखकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी है। न्यायमूर्ति वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास से भारी मात्रा में नकदी बरामद की गयी थी।

विवाद बढ़ने के बीच न्यायाधीश को इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित कर दिया गया था।

पूर्व प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा था। साथ ही उन्होंने न्यायमूर्ति वर्मा को दोषी ठहराने वाली शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त समिति की रिपोर्ट और न्यायाधीश के जवाब को भी उनके साथ साझा किया था।

 ⁠

‘बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन’ (बीएलए) ने दो जून को लिखे पत्र में न्यायाधीश के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी है। इसके अलावा, इस मुद्दे पर 21 मई को शीर्ष अदालत द्वारा एक जनहित याचिका खारिज किए जाने का भी हवाला दिया है। इस पत्र पर बीएलए के अध्यक्ष अहमद एम आब्दी और सचिव एकनाथ आर ढोकले ने हस्ताक्षर किए हैं।

शीर्ष अदालत ने मामले में प्राथमिकी दर्ज करने की मांग संबंधी जनहित याचिका को खारिज कर दिया था और याचिकाकर्ताओं को उचित प्ररधिकारियों से संपर्क करने को कहा था।

वकीलों के संगठन ने कहा, ‘‘ यह याद रखना होगा कि वादी और अन्य आम लोग कानूनी प्रक्रिया में सक्रिय पक्षकार हैं। आवेदक भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 और भारतीय न्याय संहिता 2023 के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने सहित आपराधिक मुकदमा शुरू करने के लिए आपकी मंजूरी मांग रहा है, जो उनके आधिकारिक आवास से नकदी की कथित बरामदगी के संबंध में है।’’

पत्र में 1991 के के. वीरास्वामी मामले में उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि प्रधान न्यायाधीश की पूर्व स्वीकृति के बिना उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के किसी भी सेवारत न्यायाधीश के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया जा सकता।

पत्र में कहा गया है कि 1991 के फैसले में कहा गया था कि उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश ‘लोक सेवक’ हैं, और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत आय से अधिक संपत्ति रखने जैसे अपराधों के लिए उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है।

फैसले में स्पष्ट किया गया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी देने के लिए राष्ट्रपति सक्षम प्राधिकारी हैं, लेकिन ऐसी मंजूरी प्रधान न्यायाधीश की सलाह पर आधारित होनी चाहिए।

उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त पैनल ने साक्ष्यों का विश्लेषण किया था और दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा तथा दिल्ली अग्निशमन सेवा प्रमुख सहित 50 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए थे। ये लोग 14 मार्च की रात करीब 11.35 बजे न्यायमूर्ति वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास में आग लगने की घटना के बाद सबसे पहले पहुंचने वालों में शामिल थे।

न्यायमूर्ति वर्मा उस समय दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायाधीश थे और उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा पैनल को दिए गए अपने जवाब में आरोपों से बार-बार इनकार किया था।

भाषा शोभना दिलीप

दिलीप


लेखक के बारे में