नयी दिल्ली, चार फरवरी (भाषा) राज्यसभा में मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए दावा किया कि वह जमीनी वास्तविता से दूर है और उसका जोर ‘सबका विकास’ के बदले ‘कुछ खास लोगों के विकास’ पर है।
तृणमूल कांग्रेस सदस्य सागरिका घोष ने दावा किया कि सरकार देश की वास्तविकता से दूर है और बेरोजगारी, महंगाई जैसी गंभीर समस्याओं के समाधान के लिए उसके पास कोई हल नहीं है। उन्होंने कहा कि यह सरकार मणिपुर में हिंसा पर काबू पाने में भी नाकाम रही है।
उच्च सदन में राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए सागरिका घोष ने कहा कि यह सरकार बातें ‘अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार’ की करती है लेकिन उसका जोर ‘‘न्यूनतम शासन, अधिकतम प्रचार’’ पर है। उन्होंने कहा कि यह बात महाकुंभ मेले में ही दिख गयी जिसका काफी प्रचार किया गया था लेकिन प्रभावी प्रबंधन नहीं किया गया।
घोष ने कहा कि उन्होंने एक पत्रकार के रूप में पिछले दो कुंभ को कवर किया था और दोनों बार काफी अच्छी सुविधाएं मुहैया करायी गयी थीं लेकिन इस बार सिर्फ प्रचार पर जोर था। उन्होंने कहा कि कुंभ मेले में ‘‘वीआईपी कल्चर’’ को बढ़ावा दिया गया।
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में हर साल गंगा सागर मेले का आयोजन होता है जिसमें करोड़ों लोग आते हैं लेकिन वहां बेहतर प्रबंधन के कारण अप्रिय घटनाएं नहीं होतीं।
तृणमूल सदस्य ने कहा कि देश में बेरोजगारी चरम पर है जबकि युवाओं को रोजगार मुहैया कराए बिना विकसित भारत संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि विश्व के प्रसिद्ध शिक्षण संस्थानों की सूची में भारत का कोई संस्थान नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार अपने कार्यकाल को अमृत काल बता रही है जबकि विभिन्न मोर्चों पर उसका प्रदर्शन बहुत खराब रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोई संवाददाता सम्मेलन नहीं किया और न ही संसद में सवालों का जवाब दिया।
घोष ने आरोप लगाया कि अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाली इस सरकार में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है।
बीजू जनता दल (बीजद) के मानस रंजन मंगराज ने अपनी बात उड़िया भाषा में रखी। उन्होंने पोलावरम परियोजना से ओडिशा को होने वाले नुकसान पर चिंता जतायी और कहा कि इससे बड़ी संख्या में लोगों का विस्थापन होगा।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सदस्य मनोज कुमार झा ने कहा कि राष्ट्रपति अभिभाषण की एक परंपरा रही है और अभिभाषण को कैबिनेट से मंजूरी मिलती है। उन्होंने इस परंपरा में बदलाव किए जाने का सुझाव दिया और कहा कि अभिभाषण में राष्ट्रपति के अपने अनुभव होने चाहिए। उन्होंने महाकुंभ में हुयी भगदड़ का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार को इसकी पुष्टि करने में 17 घंटे लग गए जिससे अफवाहों को बल मिला।
झा ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि देश में धार्मिकता और धर्मांधता के बीच फर्क मिटता जा रहा है और ‘बाबाओं’ की संख्या बढ़ती जा रही है। उन्होंने जाति आधारित जनगणना कराए जाने की मांग करते हुए कहा कि इससे वास्तविक आंकड़े सामने आएंगे।
उन्होंने आय के मामले में बढ़ती असमानता का जिक्र करते हुए कहा कि यह चिंता का विषय है। बेरोजगारी को दूर करने के लिए प्रभावी कदम की जरूरत पर जोर देते हुए झा ने कहा कि सरकार तो बेरोजगारी की बात स्वीकार करने को ही तैयार नहीं है।
उन्होंने कहा कि राज्य, राष्ट्र और सरकार के बीच के अंतर को मिटाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन तीनों की अलग-अलग व्याख्याएं है जिसे समझने की जरूरत है।
चर्चा में भाग लेते हुए भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सदस्य केआर सुरेश रेड्डी ने जल संसाधनों को मजबूत बनाए जाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने राज्यों के बीच जल विवाद के हल के लिए गठित न्यायाधिकरणों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें फैसला करने में सालों लग जाते हैं जिससे एक पीढ़ी प्रभावित हो जाती है। उन्होंने बारिश के पानी के उचित उपयोग पर भी जोर दिया।
रेड्डी ने दल-बदल को रोक लगाए जाने की भी मांग की।
भाषा अविनाश माधव
माधव
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