केंद्र, पंजाब सरकार पराली प्रबंधन के लिए उचित व्यवस्था सुनिश्चित नहीं कर रहे : किसान नेता |

केंद्र, पंजाब सरकार पराली प्रबंधन के लिए उचित व्यवस्था सुनिश्चित नहीं कर रहे : किसान नेता

केंद्र, पंजाब सरकार पराली प्रबंधन के लिए उचित व्यवस्था सुनिश्चित नहीं कर रहे : किसान नेता

:   Modified Date:  November 22, 2023 / 04:06 PM IST, Published Date : November 22, 2023/4:06 pm IST

चंडीगढ़, 22 नवंबर (भाषा) पंजाब में किसान नेताओं ने बुधवार को केंद्र और राज्य सरकार पर पराली प्रबंधन के लिए उचित व्यवस्था नहीं करने का आरोप लगाया और कहा कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता पर पराली जलाने का नहीं बल्कि वाहनों से होने वाले प्रदूषण एवं औद्योगिक प्रदूषण का प्रभाव पड़ता है।

उन्होंने यह भी कहा कि सरकारों को मक्का एवं दालों जैसी वैकल्पिक फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय कर देना चाहिए जिससे उत्पादक पानी की अधिक खपत करने वाली धान की फसल के बजाय वैकल्पिक फसलें चुनें। उन्होंने कहा कि धान पंजाब की मूल फसल भी नहीं है।

किसान नेताओं का यह बयान उच्चतम न्यायालय द्वारा पराली जलाने से जुड़े एक मामले की सुनवाई पर की गयी टिप्पणी के एक दिन बाद आया। न्यायालय ने कहा था कि किसानों को ‘खलनायक’ बनाया जा रहा है और उनकी बात भी नहीं सुनी जा रही है।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने यह भी सुझाव दिया था कि पराली जलाने वाले किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली के तहत खरीदारी नहीं करनी चाहिए क्योंकि प्रदूषण के कारण नागरिक और बच्चे प्रभावित होते हैं।

भारती किसान यूनियन (एकता उगराहां) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने बुधवार को कहा कि पराली प्रबंधन के मुद्दे पर न तो केंद्र और न ही पंजाब सरकार कोई ठोस कदम उठा रही है।

उन्होंने कहा,’ पराली प्रबंधन के लिए फसल अवशेष प्रबंधन के लिए पर्याप्त संख्या में मशीनरी दिए जाने के साथ किसानों को प्रोत्साहन भी दिया जाना चाहिए।’

कोकरीकलां ने कहा, ”दिल्ली के प्रदूषण में पंजाब की कोई भूमिका नहीं है।” उन्होंने सवाल उठाया कि दिल्ली के मुकाबले पंजाब के उस क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक कैसे बेहतर हो सकता है जहां पराली जलाई जा रही है। ‘‘अगर सरकारें आवश्यक व्यवस्था नहीं कर सकतीं तो किसानों को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा, ”जो किसान पराली जलाते हैं उन्हें एमएसपी का लाभ नहीं दिया जाए। लेकिन जिन कारखानों से धुआं निकलता है उनपर कोई कार्रवाई नहीं की जाती।”

भारती किसान यूनियन (लाखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह लाखोवाल ने पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए किसानों को वित्तीय प्रोत्साहन देने की मांग की।

उन्होंने कहा, ”पराली प्रबंधन के लिए किसानों को वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।”

भाषा अभिषेक मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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