chandrayaan 3 latest update: चंद्रमा की सतह पर 23 अगस्त को उतरेगा चंद्रयान-3, जानिए कितना आया खर्च और इस मिशन से इंडिया को क्या होगा हासिल
चंद्रमा की सतह पर 23 अगस्त को उतरेगा चंद्रयान-3, जानिए कितना आया खर्च ! chandrayaan 3 se india ko kya fayda hoga?
नई दिल्ली। chandrayaan 3 se india ko kya fayda hoga? पूरा देश 23 अगस्त का इंतजार कर रहा है। क्योंकि इस दिन चंद्रयान- 3 इतिहास रचने वाला है। देश और दुनिया की निगाहें भारत के इस मिशन पर टिकी हुई हैं। चंद्रयान की लैंडर मॉड्यूल अंतिम डिबूस्टिंग के साथ चांद की सबसे करीबी कक्षा में पहुंच गया है। ISRO लगातार चंद्रयान की तस्वीरों को जारी कर रहा है। इस बीच कई सवाल ऐसे हैं, जिनका जवाब जानना जरूरी है।
क्या होती है सॉफ्ट लैंडिंग
chandrayaan 3 se india ko kya fayda hoga? आसान भाषा में समझें तो सॉफ्ट लैंडिंग उस प्रक्रिया को कहते हैं जब कोई अंतरिक्षयान किसी ग्रह पर ऐसे उतारा जाता है कि उसे किसी तरह का नुकसान न हो। इसी के उलट हार्ड लैंडिंग में इसमें मौजूद मशीन और इक्विपमेंट के खराब होने का खतरा रहता है। इससे पूरे मिशन के बर्बाद होने का रिस्क रहता है। इसलिए चंद्रयान-3 के जरिए विक्रम लैंडर के सॉफ्ट लैंडिंग की तैयारी है।
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इसरो बनाम नासा का खर्च
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) इसरो के अनुसार, चंद्रयान-3 को तैयार करने पर कुल 615 करोड़ रुपए का खर्च आया है। चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम, रोवर प्रज्ञान और प्रपल्शन मॉड्यूल को तैयार करने की कुल लागत 250 करोड़ रुपए है। साथ ही इसके लॉन्च पर 365 करोड़ रुपए खर्च हुए। इसका कुल खर्च चंद्रयान-2 की तुलना में करीब 30 फीसदी कम है। 2008 में भेजे गए चंद्रयान-1 की कुछ खर्च 386 करोड़ रुपए था। इसी तरह 2019 में भेजे गए चंद्रयान-2 पर कुल खर्च 978 करोड़ रुपए का खर्च आया था। यानी तीनों मिशन पर इसरो का कुल खर्च 1,979 करोड़ रुपए रहा है।
अमेरिका ने अपना लूनर मिशन साल 1960 में शुरू किया था। तब उसके मिशन का कुल खर्च 25.8 अरब डॉलर था। अगर आज के हिसाब के देखें तो यह 178 अरब डॉलर बैठता है। रुपए के हिसाब से देखें को यह रकम करीब 14 लाख करोड़ रुपए बैठती है। यानी इसरो के मुकाबले नासा के मून मिशन का खर्च करीब 3,000 गुना ज्यादा था। इसरो ने कुछ साल पहले मंगलयान को भी लॉन्च किया था। इसका कुल खर्च करीब 450 करोड़ रुपए था जबकि 2013 में आई हॉलीवुड फिल्म ग्रैविटी की लागत 600 करोड़ रुपए थी।
इस मिशन से भारत को क्या होगा हासिल
1. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की काफी कम जानकारी दुनिया के पास मौजूद है। इस मिशन से दक्षिणी ध्रुव की कई अहम जानकारी भारत को हाथ लग सकती है।
2. दक्षिणी ध्रुव में ज्यादातर समय छाया रहती है। इस क्षेत्र का तापमान बहुत कम रहता है। तापमान -100 डिग्री से भी नीचे चला जाता है. उम्मीद जताई जा रही है कि दक्षिणी ध्रुव पर तापमान कम होने की वजह से यहां पर पानी और खनिज की मौजूदगी भी हो सकती है।
3. इस मिशन के जरिए भारत दक्षिणी ध्रुव पर मिट्टी का केमिकल विश्लेषण के साथ चांद पर मौजूद चट्टानों की भी स्टडी करेगा। चंद्रमा के वातावरण की जानकारी भी प्राप्त की जा सकेगी। इंसान की ख्वाहिश है कि चंद्रमा पर मानव बस्तियां बस सके। इसके लिए वहां के वातावरण की पूरी जानकारी होनी जरूरी है।
4. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद मिट्टी और चट्टानों की स्टडी करने से वैज्ञानिकों को चंद्रमा के इतिहास और भूविज्ञान की काफी जानकारी मिल सकेगी, जो चंद्रमा पर भेजे जाने वाले मानव मिशनों के लिए उपयोगी होगी।
5. यह मिशन न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएगी बल्कि हमारे देश में रोजगार के कई अवसर भी खोलने में मदद करेगी। दरअसल, आज के समय अंतरिक्ष क्षेत्र में प्राइवेट इन्वेस्टर्स काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। चंद्रयान-3 की सफलता, प्राइवेट इन्वेस्टर्स को इसरो के साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।

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